UP KHABAR
Search Icon
UP KI BAAT DESH KE SATH

लखनऊ: योगी सरकार का पर्यावरण संरक्षण पर ज़ोर, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का होगा पुनर्गठन

लखनऊ: योगी सरकार का पर्यावरण संरक्षण पर ज़ोर, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का होगा पुनर्गठन

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कार्यों की समीक्षा करते हुए इसके पुनर्गठन पर बल दिया, ताकि पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करने के लिए इसे और अधिक सक्षम बनाया जा सके।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार पर्यावरण संरक्षण को लेकर एक व्यापक रणनीति के साथ आगे बढ़ रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज राजधानी लखनऊ में अपने सरकारी आवास पर उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) के कार्यों की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए बोर्ड के पूर्ण पुनर्गठन की आवश्यकता पर बल दिया। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि वर्ष 1995 में गठित इस बोर्ड की संरचना अब वर्तमान दौर की पर्यावरणीय चुनौतियों के अनुरूप नहीं रही और इसे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के ‘Reform, Perform, Transform’ विज़न के अनुरूप नए सिरे से सुदृढ़ और सक्षम बनाया जाना आवश्यक है।

मुख्यमंत्री ने बैठक के दौरान बताया कि प्रदेश के 75 जिलों में वर्तमान में केवल 28 क्षेत्रीय कार्यालय कार्यरत हैं, जो पर्यावरणीय निगरानी और नियमन के लिए अपर्याप्त हैं। उन्होंने निर्देश दिए कि इन कार्यालयों को अब प्रदेश के 18 मंडलों पर पुनर्गठित किया जाए और प्रत्येक जनपद में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का अलग कार्यालय स्थापित किया जाए। जिन मंडलों में औद्योगिक गतिविधियों की अधिकता है, वहां आवश्यकतानुसार एक से अधिक क्षेत्रीय कार्यालयों की स्थापना की जा सकती है। यह कदम न केवल प्रशासनिक दक्षता में वृद्धि करेगा, बल्कि स्थानीय स्तर पर पर्यावरणीय मामलों का त्वरित समाधान भी सुनिश्चित करेगा।

मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देशित किया कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भविष्य की पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने में सक्षम बनाने के लिए उसके भीतर विशेष तकनीकी प्रकोष्ठों (Cells) की स्थापना की जाए। इसमें ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, तरल अपशिष्ट प्रबंधन, खतरनाक अपशिष्ट (Hazardous Waste), इलेक्ट्रॉनिक कचरा (E-Waste), और बायोमेडिकल वेस्ट जैसे प्रमुख क्षेत्रों के लिए अलग-अलग इकाइयाँ गठित की जाएंगी। साथ ही, जनशिकायत निवारण, अनुसंधान एवं विकास, पर्यावरणीय जागरूकता अभियान और सूचना प्रौद्योगिकी व आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित निगरानी के लिए भी विशिष्ट इकाइयों की स्थापना का सुझाव दिया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह प्रयास बोर्ड की कार्यकुशलता, पारदर्शिता और जनहित में प्रभावी हस्तक्षेप को मजबूती प्रदान करेंगे।

बैठक में मुख्यमंत्री ने औद्योगिक इकाइयों से जुड़े अनापत्ति प्रमाण पत्र (CTO/CTE) की स्वीकृति प्रक्रिया में लगने वाले समय को कम करने की आवश्यकता को रेखांकित किया। वर्तमान में लाल, नारंगी और हरी श्रेणी के लिए आवेदन निस्तारण का समय 120 दिन निर्धारित है, जिसे घटाकर क्रमशः 40 दिन, 25 दिन और 10 दिन करने के निर्देश दिए गए। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी और डिजिटल माध्यमों से अधिक प्रभावी बनाया जाए, ताकि ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस को बल मिले और निवेशकों का भरोसा भी मजबूत हो।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बोर्ड में तकनीकी विशेषज्ञता बढ़ाने के लिए मानव संसाधन के सुदृढ़ीकरण की भी आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा कि बोर्ड में रिक्त पदों को शीघ्र भरने की दिशा में कार्यवाही की जाए और प्रयास किया जाए कि देश के प्रतिष्ठित तकनीकी संस्थानों जैसे आईआईटी आदि से दक्ष और प्रशिक्षित युवाओं की भर्ती की जाए। उन्होंने कहा कि ऐसे युवा विशेषज्ञों को प्रतिस्पर्धी वेतन पैकेज की पेशकश की जाए जिससे उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एक तकनीकी रूप से सक्षम और सशक्त संस्था बन सके।

बैठक में एक और महत्वपूर्ण बिंदु के तहत मुख्यमंत्री ने यह भी अवगत कराया कि अनापत्ति प्रमाणपत्र एवं सहमति शुल्क में वर्ष 2008 के बाद से कोई संशोधन नहीं हुआ है, जबकि राज्य में प्रदूषण प्रबंधन से जुड़ी चुनौतियां कई गुना बढ़ चुकी हैं। उन्होंने कहा कि बोर्ड को इस विषय पर व्यापक विचार-विमर्श कर एक न्यायसंगत, व्यावहारिक और समयानुकूल शुल्क संरचना निर्धारित करनी चाहिए, जिससे बोर्ड की वित्तीय स्वायत्तता और परिचालन क्षमता भी सुदृढ़ हो सके।

मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई यह समीक्षा बैठक राज्य के पर्यावरण प्रशासन के लिए नीतिगत दिशा तय करने वाली एक निर्णायक पहल के रूप में देखी जा रही है। उत्तर प्रदेश में औद्योगिक विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन स्थापित करने की दिशा में यह रणनीतिक योजना न केवल शासन की संवेदनशीलता को प्रदर्शित करती है, बल्कि यह संकेत भी देती है कि राज्य अब पर्यावरणीय मामलों को सर्वोच्च प्राथमिकता की श्रेणी में रखकर कार्य करेगा।

इस बैठक में मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव पर्यावरण, यूपीपीसीबी के चेयरमैन, तकनीकी विशेषज्ञ और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे। सरकार की इस पहल से उत्तर प्रदेश में पर्यावरणीय शासन की पारदर्शिता, उत्तरदायित्व और प्रभावशीलता को नई दिशा मिलने की उम्मीद है।

Published By : SANDEEP KR SRIVASTAVA Updated : Wed, 16 Apr 2025 06:01 PM (IST)
FOLLOW WHATSAPP CHANNEL

Tags: uttar pradesh news yogi adityanath pollution control board

Category: environment uttar pradesh

LATEST NEWS