वाराणसी: एक वीरान रात, एक गुमनाम ट्रेन, और स्लीपर कोच से आती मासूम चीखें… बुधवार की रात कैंट रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 9 पर जैसे कोई फिल्मी सीन सजीव हो उठा। फरक्का एक्सप्रेस की स्लीपर बोगी नंबर 5 में छिपा था एक रोंगटे खड़े कर देने वाला राज, मानव तस्करी का भयावह चेहरा, जिसे समय रहते हमारी सजग आरपीएफ टीम ने बेनकाब कर दिया।
सूचना थी कि ट्रेन के स्लीपर कोच में कुछ बच्चे असहज अवस्था में यात्रा कर रहे हैं। वे डरे-सहमे, अपनी आंखों में खौफ और मन में घबराहट लिए चुपचाप बैठे थे। उनके साथ एक युवक था, अब्दुल अजीज, मालदा (पश्चिम बंगाल) का निवासी, जो बच्चों के चुप रहने की कीमत अच्छी तरह जानता था। पर उसे यह नहीं मालूम था कि अब न्याय की ट्रेन छूटने वाली नहीं।
आरपीएफ कैंट इंस्पेक्टर संदीप यादव के नेतृत्व में सहायक उप निरीक्षक धर्मेंद्र कुमार यादव, हेड कांस्टेबल राजेश्वर, पंकज सिंह, उपेंद्र कुमार, और महिला कांस्टेबल रीना सिंह, ज्योति व सविता कुमारी ने मौके पर त्वरित कार्रवाई करते हुए बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला। साथ ही ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ के प्रतिनिधि कृष्ण प्रताप शर्मा और चंदा गुप्ता ने बच्चों को संभाला, उनकी आंखों से छलकती खामोश पीड़ा को पढ़ा।
यह सिर्फ एक रेस्क्यू ऑपरेशन नहीं था, यह इंसानियत की उस लौ का पुनर्जागरण था, जो हर बार अंधेरे में उम्मीद की किरण बनकर उभरती है। इन पांच मासूमों के लिए यह रात शायद एक नया जीवन लेकर आई। चाइल्ड लाइन की देखरेख में अब उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की गई है। वहीं, गिरफ्तार आरोपी अब्दुल अजीज को आरपीएफ ने तत्काल कैंट कमिश्नरेट पुलिस के हवाले कर दिया है, जो उससे पूछताछ कर मानव तस्करी के इस नेटवर्क की गहराई तक जाने की कोशिश कर रही है।
क्या कहते हैं अधिकारी?
इंस्पेक्टर संदीप यादव ने यूपी खबर से खास बातचीत में कहा, हमारे लिए हर बच्चा एक भविष्य है। इस तरह के मामलों में हमारी प्राथमिकता उनकी जान-माल की सुरक्षा और मानसिक स्थिरता होती है। इस रेस्क्यू ने साबित कर दिया कि सजग समाज और सतर्क पुलिस बल मिलकर हर साजिश को नाकाम कर सकते हैं।
संवेदना और सवाल
इन मासूम आंखों ने क्या देखा होगा उस सफर में, क्या खोया होगा उन खामोश रास्तों में यह सोचकर रूह कांप उठती है। ये सिर्फ पांच बच्चे नहीं थे, ये हमारे समाज की नींव हैं, जिन्हें बचाना हमारा सामूहिक कर्तव्य है।
यह घटना न केवल पुलिस की सतर्कता की मिसाल है, बल्कि हम सबको झकझोरने वाली एक सच्चाई भी। कि मानव तस्करी जैसी काली सच्चाई हमारे बीच आज भी मौजूद है।
यूपी खबर अपील करता है:
अगर आपके आस-पास कोई बच्चा असहज, डरा हुआ या असामान्य स्थिति में दिखे, तो चुप न रहें। एक कॉल, एक सूचना किसी की ज़िंदगी बदल सकती है।
फरक्का एक्सप्रेस की इस घटना ने हमें फिर याद दिलाया – चुप रहना भी गुनाह है।
बचपन को बचाना है, तो उठाइए आवाज़।
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