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वाराणसी: रामनगर में गहराया जल संकट, भीषण गर्मी में बूंद-बूंद पानी को तरस रहे लोग, जनता त्रस्त प्रशासन मस्त

वाराणसी: रामनगर में गहराया जल संकट, भीषण गर्मी में बूंद-बूंद पानी को तरस रहे लोग, जनता त्रस्त प्रशासन मस्त

वाराणसी के रामनगर में भीषण गर्मी के बीच जल संकट गहरा गया है, जिससे काशी नरेश की ऐतिहासिक नगरी में लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं और नगरपालिका भंग होने के बाद स्थिति बदतर हो गई है।

वाराणसी: रामनगर/ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र और असम के राज्यपाल के आवास क्षेत्र रामनगर में जल संकट ने विकराल रूप धारण कर लिया है। जहां एक ओर पूरे उत्तर भारत में भीषण गर्मी ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है, वहीं दूसरी ओर रामनगर की एक तिहाई आबादी बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रही है। यह संकट उस क्षेत्र में व्याप्त है जिसे काशी नरेश की ऐतिहासिक नगरी माना जाता है, और जहां से देश के शीर्ष नेतृत्व का सीधा संबंध है।

क्षेत्र के निवासी लगातार शिकायत कर रहे हैं कि कई मोहल्लों में पानी पूरी तरह से आना बंद हो गया है, जबकि कुछ इलाकों में जहां आपूर्ति हो भी रही है, वह बेहद धीमी है या फिर पानी इतना गंदा है कि पीने योग्य तो दूर, नहाने लायक भी नहीं है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि जब से नगरपालिका को भंग कर नगर निगम को अधिकार सौंपा गया है, तब से बुनियादी सुविधाएं लगातार घटती जा रही हैं। जल संकट की यह स्थिति अब असहनीय हो चुकी है।

रामनगर की अधिकतर आबादी जल संस्थान द्वारा संचालित पानी की आपूर्ति पर निर्भर करती है। ऐसे में जब तापमान 45 डिग्री के पार पहुंच रहा हो, और लोग नलों की ओर उम्मीद भरी नजरों से देख रहे हों, उस समय पानी की अनुपलब्धता ने लोगों को रोजमर्रा की जिंदगी से जूझने पर मजबूर कर दिया है।

स्थानीय लोगों का आरोप है कि जल संकट की इस गंभीर स्थिति में न तो नगर निगम के अधिकारी फोन उठाते हैं, और न ही जनप्रतिनिधि इस मुद्दे को गंभीरता से ले रहे हैं। जो लोग आर्थिक रूप से सक्षम हैं, उनके पास बोरवेल और समरसेबल पंप की सुविधा है, जिससे उन्हें कोई परेशानी नहीं हो रही। लेकिन मध्यम वर्ग और गरीब तबका पूरी तरह से सरकारी जल आपूर्ति पर आश्रित है, जिसके अभाव में उनकी स्थिति अत्यंत दयनीय हो चुकी है।

रामनगर-पड़ाव मार्ग पर हो रहे सड़क निर्माण कार्य ने इस संकट को और भी बढ़ा दिया है। सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) द्वारा सड़क निर्माण के लिए जलापूर्ति पाइपलाइन को क्षतिग्रस्त कर दिया गया, जिससे पानी की आपूर्ति कई क्षेत्रों में पूरी तरह ठप हो गई। सड़क निर्माण का कार्य अब तक अधूरा पड़ा है, जबकि इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक कई बार नाराजगी जता चुके हैं। बावजूद इसके न तो निर्माण कार्य पूरा हो रहा है और न ही पानी की आपूर्ति बहाल की जा रही है।

स्थानीय निवासियों का कहना है कि नगर निगम के अधिकारी पूरी तरह से उदासीन हैं और ऐसा प्रतीत होता है जैसे उन पर किसी का कोई नियंत्रण नहीं है। वहीं जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधि भी इस मुद्दे पर खामोश हैं, मानो उन्हें अपने ही क्षेत्र की समस्याओं से कोई सरोकार नहीं।

रामनगर की गलियों में अब एक ही स्वर गूंज रहा है।"नगर पालिका हमारी बहाल करो"। लोग याद कर रहे हैं वह समय जब नगरपालिका के कार्यकाल में बुनियादी सुविधाएं कम से कम इतनी तो उपलब्ध थीं कि लोगों को दैनिक जरूरतों के लिए संघर्ष नहीं करना पड़ता था।

आज रामनगर की जनता एक तरफ़ जल संकट से त्रस्त है, तो दूसरी तरफ़ प्रशासनिक उदासीनता से आहत। यह विडंबना ही है कि देश की राजनीतिक राजधानी माने जाने वाले क्षेत्र में लोग पीने के पानी के लिए दर-दर भटक रहे हैं और उनकी आवाज़ सुनने वाला कोई नहीं। यह प्रश्न न केवल प्रशासनिक विफलता को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि शहरी नियोजन और जनसुविधाओं के प्रबंधन में कितनी बड़ी खामियां हैं।

रामनगर की जनता आज एक बार फिर अपने पुराने नगरपालिका मॉडल को याद करते हुए अपील कर रही है कि उन्हें बुनियादी सुविधाओं से वंचित न किया जाए। "त्रस्त जनता, मस्त अधिकारी और नेता", इस व्यथा को बदलने के लिए अब लोगों की नजरें सरकार और प्रशासन की ओर हैं, कि क्या उनके इस संकट की कोई सुनवाई होगी या यह आवाज़ भी बाकी शहरी शोर में कहीं गुम हो जाएगी।

Published By : SANDEEP KR SRIVASTAVA Updated : Tue, 20 May 2025 10:40 PM (IST)
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Tags: varanasi news ramnagar jal sankat water crisis

Category: uttar pradesh local news

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