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वाराणसी: दैवीय आपदा प्रबंधन जांच समिति की बैठक, राहत-बचाव कार्यों की समीक्षा, जागरूकता पर ज़ोर

वाराणसी: दैवीय आपदा प्रबंधन जांच समिति की बैठक, राहत-बचाव कार्यों की समीक्षा, जागरूकता पर ज़ोर

वाराणसी में दैवीय आपदा प्रबंधन जांच समिति की बैठक में आपदा राहत कार्यों की समीक्षा की गई, जिसमें जनहानि को कम करने के लिए जागरूकता अभियान चलाने और राहत कार्यों को सुनिश्चित करने पर ज़ोर दिया गया।

वाराणसी, 4 मई 2025: उत्तर प्रदेश विधान परिषद की दैवीय आपदा प्रबंधन जाँच समिति की एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक वाराणसी के सर्किट हाउस सभागार में संपन्न हुई। इस बैठक की अध्यक्षता समिति के सभापति अवनीश कुमार सिंह ने की। बैठक में समिति के अन्य सदस्य—अंगद कुमार सिंह, पद्म सेन चौधरी, एवं अरुण पाठक—भी उपस्थित रहे। बैठक का मुख्य उद्देश्य आपदा के दौरान राहत और बचाव कार्यों की समीक्षा करना और भविष्य में बेहतर रणनीति तैयार करने के लिए ठोस सुझावों पर विचार करना था।

बैठक के दौरान एक विशेष कार्यशाला का आयोजन भी किया गया, जिसमें एनडीआरएफ कर्मियों, राहत मित्रों, माननीय पार्षदगण और ग्राम प्रधानों को आपदा से निपटने के तौर-तरीकों के बारे में जानकारी दी गई। समिति के अध्यक्ष ने स्पष्ट रूप से कहा कि आपदा के समय जनहानि को न्यूनतम रखना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए और इसके लिए सभी संबंधित विभागों को बारिश से पूर्व ही गांवों व शहरी इलाकों में जागरूकता अभियान चलाना चाहिए। उन्होंने निर्देश दिया कि जिला प्रशासन को समय-समय पर जनजागरूकता हेतु पुस्तिकाएं वितरित करनी चाहिए तथा तात्कालिक राहत व पुनर्निर्माण की व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए।

जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने वज्रपात से होने वाली दुर्घटनाओं पर विशेष ध्यान आकर्षित किया और कहा कि ऐसे हादसे अधिकतर खेतों में होते हैं। उन्होंने बताया कि बारिश या वज्रपात के दौरान पेड़ के नीचे खड़ा न हों, मोबाइल फोन का प्रयोग बंद कर दें, बिजली के खंभों या खुले मैदानों से दूर रहें और यदि वाहन में हों तो सभी शीशे बंद रखें तथा किसी धातु को न छुएं। उन्होंने घर के भीतर भी सभी इलेक्ट्रिक उपकरणों के उपयोग से बचने की सलाह दी। उन्होंने यह भी बताया कि जल जीवन मिशन की पानी टंकियों और पंचायत भवनों पर इलेक्ट्रिक अरेस्टर लगाए जा रहे हैं, ताकि इन पर बिजली गिरने की घटनाएं रोकी जा सकें।

राजस्व विभाग की ओर से एडीएम एफआर वंदिता श्रीवास्तव ने आपदा प्रबंधन चक्र की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि आपदा की पूर्व तैयारी, तत्काल राहत और पुनर्प्राप्ति जैसे तीनों चरणों में प्रशासन को हमेशा सतर्क रहना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार द्वारा आपदा से मृत्यु पर चार लाख रुपये की सहायता राशि प्रदान की जाती है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संदीप चौधरी ने सर्पदंश से संबंधित जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि सर्पदंश होने पर तुरंत साबुन-पानी से धोकर पीड़ित को शांत अवस्था में निकटतम अस्पताल ले जाना चाहिए और किसी प्रकार का घरेलू उपचार नहीं अपनाना चाहिए। उन्होंने आश्वस्त किया कि सभी सरकारी अस्पतालों में एंटी-स्नेक वेनम उपलब्ध है।

बैठक में एनडीआरएफ के कमांडेंट ने आपदा के समय अपनाई जाने वाली राहत और बचाव तकनीकों का विवरण प्रस्तुत किया। उन्होंने "दामिनी" और "सचेत" मोबाइल ऐप की जानकारी दी, जो आपदा की चेतावनी देने में मदद करते हैं। एनडीआरएफ द्वारा CPR तकनीक का भी प्रदर्शन समिति के समक्ष किया गया।

समिति ने सर्पदंश से होने वाली मौतों की रोकथाम को गंभीरता से लेते हुए सभी सरकारी अस्पतालों में एंटी-स्नेक वेनम की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के आदेश दिए। साथ ही सर्पदंश की घटनाओं में मृत्यु होने पर पोस्टमार्टम के बाद त्वरित मुआवजा दिए जाने के निर्देश भी दिए। तहसील, ब्लॉक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर सर्पदंश से बचाव की जानकारी प्रदर्शित की जाएगी। तालाबों में डूबने से होने वाली मौतों को रोकने के लिए खतरनाक स्थलों पर चेतावनी बोर्ड लगाए जाने का भी निर्णय लिया गया।

समिति ने आकाशीय बिजली और जलभराव से प्रभावित लोगों की तहसीलवार जानकारी मांगी। रैन बसेरों और शीत ऋतु में अलाव की व्यवस्था की स्थिति की भी रिपोर्ट ली गई। वन विभाग से संरक्षित और रोपित पौधों की स्थिति के बारे में जानकारी लेकर उनके संरक्षण के सभी प्रयास सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया, ताकि हरित क्षेत्र और ट्री कैनोपी में वृद्धि हो सके।

सभापति अवनीश कुमार सिंह ने जनहानि से संबंधित प्रस्तुत आंकड़ों में गड़बड़ी मिलने पर जिलाधिकारी को निर्देश दिया कि वे स्वयं इसकी जांच करें और आगे से सही एवं प्रमाणित आँकड़ों के साथ रिपोर्ट प्रस्तुत करें। नगर निगम द्वारा सिल्ट सफाई के पुराने आंकड़ों को क्रॉस चेक कर सत्यापन सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए गए। उन्होंने यह भी कहा कि बरसात से पूर्व सभी नालों की सफाई तथा सीवरेज कार्यों में संलग्न कर्मचारियों का बीमा कवरेज सुनिश्चित किया जाए।

शिक्षा क्षेत्र में आपदा प्रबंधन को लेकर समिति के सदस्य ने जिले के इंटर कॉलेजों में शिक्षकों को आपदा राहत प्रशिक्षण देने की जरूरत बताई। छात्रों को भी साप्ताहिक रूप से आपदा से बचाव की जानकारी दी जाए। संचारी रोगों से निपटने के लिए सभी विभागों की ग्रामवार संयुक्त बैठकें आयोजित करने तथा आयुष विभाग को योग शिविरों का आयोजन नियमित करने के निर्देश भी बैठक में दिए गए।

इसके अलावा, होमगार्डों को आपदा की विशेष ट्रेनिंग देने, सरकारी भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग को अनिवार्य बनाने, और ज्वलनशील फैक्ट्रियों में आपात स्थिति से निपटने की व्यवस्था सुनिश्चित करने पर भी चर्चा हुई। सभापति ने कहा कि पुराने कुओं को पुनर्जीवित किया जाना चाहिए और मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार आपदा प्रभावित लोगों को शीघ्र राहत उपलब्ध कराई जानी चाहिए।

बैठक के समापन पर जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने समिति का आभार व्यक्त करते हुए आश्वासन दिया कि सभी निर्देशों के अनुरूप कार्ययोजना बनाकर उसका प्रभावी क्रियान्वयन किया जाएगा। बैठक में अपर पुलिस आयुक्त डॉ. एस. चिनप्पा, डीएफओ स्वाति सिंह, एडीएम प्रशासन विपिन कुमार, अपर नगर आयुक्त सविता यादव, विकास प्राधिकरण के सचिव समेत कृषि, शिक्षा, सिंचाई, अग्निशमन विभाग आदि के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे।

Published By : SANDEEP KR SRIVASTAVA Updated : Sun, 04 May 2025 07:47 PM (IST)
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Tags: varanasi news disaster management relief operations

Category: uttar pradesh government schemes

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