वाराणसी: काश, कोई उस दर्द को समझ पाता जो इंस्पेक्टर तरुण पांडे के दिल में घुमड़ रहा था। काश, उस अकेलेपन की आवाज किसी को सुनाई देती जो हर रोज उनके कमरे की दीवारों से टकरा रही थी। लेकिन नहीं... रविवार की सुबह जब म्योर रोड स्थित उनके मकान से एक गोली की आवाज आई, तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
वाराणसी क्राइम ब्रांच में तैनात तेजतर्रार और ईमानदार इंस्पेक्टर तरुण पांडे ने अपनी ही राइफल से सिर में गोली मारकर खुदकुशी कर ली। यह ख़बर न केवल पुलिस महकमे को झकझोर देने वाली है, बल्कि हर संवेदनशील हृदय को भी भीतर तक तोड़ देने वाली है।
बीमारी, दर्द और अंततः अकेलापन बना काल:
पांच महीने पहले घर की सीढ़ियों से गिरने के कारण इंस्पेक्टर तरुण की रीड की हड्डी टूट गई थी। यह हादसा उनकी जिंदगी की दिशा ही बदल गया। लंबे समय तक वह आनंद हॉस्पिटल में इलाज कराते रहे, फिर दिल्ली का रुख किया। चार महीने से वह मेडिकल लीव पर घर लौटे थे, लेकिन बीमारी से उपजी शारीरिक पीड़ा और मानसिक तनाव के बीच वे अकेले ही जूझते रहे।
घर में अकेलेपन ने धीरे-धीरे उन्हें खामोश कर दिया। पत्नी पूनम पांडे और बेटा बेंगलुरु में रहते हैं। हाल ही में 1 मार्च 2025 को उन्होंने अपनी बेटी की शादी अयोध्या में धूमधाम से की थी – शायद पिता के चेहरे पर उस दिन मुस्कान थी, मगर मन में एक गहरा खालीपन भी साथ था।
सुबह की सन्नाटे को चीरती गोली की आवाज:
रविवार की सुबह जब पड़ोसियों ने गोली चलने की आवाज सुनी, तो किसी अनहोनी की आशंका से सिहर उठे। पुलिस को खबर दी गई, दरवाजा तोड़ा गया – और सामने था एक ऐसा दृश्य जिसे देख हर आंख भर आई। इंस्पेक्टर तरुण पांडे का निःप्राण शरीर पड़ा था। पास में उनकी सर्विस राइफल थी, और दीवार पर था मर्मांतक अंत का निशान।
पुलिस विभाग में शोक की लहर:
एक कर्मठ अफसर, जो कर्तव्य के लिए हर वक्त तत्पर रहते थे, इस तरह अचानक सभी को छोड़कर चले जाएंगे – किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। पुलिस महकमे में शोक की लहर है। विभागीय अधिकारियों ने उन्हें नमन करते हुए कहा कि तरुण पांडे एक साहसी, जिम्मेदार और संवेदनशील पुलिस अधिकारी थे, जिनकी कमी कभी पूरी नहीं की जा सकेगी।
क्या कहता है यह हादसा हम सब से:
यह केवल एक आत्महत्या नहीं, एक गहरी सामाजिक और मानवीय पीड़ा का प्रतीक है। हमारे बीच कितने ही ऐसे लोग हैं जो भीतर ही भीतर टूटते जा रहे हैं, लेकिन उनकी मुस्कुराहटें हमें धोखा देती हैं। इंस्पेक्टर तरुण की तरह कई लोग अपने दर्द को शब्दों में नहीं, खामोशी में बयां करते हैं।
यूपी खबर आपसे अपील करता है – अपने करीबियों से जुड़े रहें, उनकी खामोशी को सुनें, और अगर कोई अकेलेपन की गिरफ्त में हो, तो उनका सहारा बनें। क्योंकि कभी-कभी एक छोटी सी बात, एक साथ बिताया गया लम्हा, एक फोन कॉल – किसी की जान बचा सकता है।
इंस्पेक्टर तरुण पांडे को भावभीनी श्रद्धांजलि।
आपका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा – यह समाज अब चुप नहीं रहेगा।
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