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वाराणसी: बिजली कर्मियों का हड़ताल, ट्रांजेक्शन कंसल्टेंट निरस्त करने की मांग

वाराणसी: बिजली कर्मियों का हड़ताल, ट्रांजेक्शन कंसल्टेंट निरस्त करने की मांग

पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के निजीकरण के विरोध में कर्मचारियों ने भिखारीपुर स्थित प्रबंध निदेशक कार्यालय पर धरना प्रदर्शन किया और ट्रांजेक्शन कंसल्टेंट की नियुक्ति रद्द करने की मांग की है।

वाराणसी: पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (PuVVNL) के निजीकरण के विरोध में निगम के कर्मचारियों ने बुधवार से धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है। भिखारीपुर स्थित प्रबंध निदेशक कार्यालय पर प्रदर्शन करते हुए कर्मचारियों ने ट्रांजेक्शन कंसल्टेंट की नियुक्ति से जुड़े आदेश को तुरंत निरस्त किए जाने की मांग की। कर्मचारियों ने यह स्पष्ट किया है कि शाम 5 बजे के बाद से लेकर अगले दिन सुबह 10 बजे तक वे किसी भी प्रकार का दफ्तर या फील्ड संबंधी कार्य नहीं करेंगे।

यह विरोध आंदोलन विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर आयोजित किया गया है, जिसमें 'वर्क टू रूल' नीति अपनाई गई है। इस नीति के तहत कर्मचारी केवल निर्धारित कार्य समय के दौरान ही अपने कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे और उसके बाद किसी भी अतिरिक्त कार्य या आपातकालीन सेवाओं में भाग नहीं लेंगे। आंदोलन का उद्देश्य निगम के प्रस्तावित निजीकरण के खिलाफ एकजुटता और विरोध दर्ज कराना है, जिसे कर्मचारी अपने अधिकारों और भविष्य के लिए खतरे के रूप में देख रहे हैं।

संघर्ष समिति के सह-संयोजक वेद प्रकाश राय ने कहा कि बिजली कर्मचारियों के साथ जिस प्रकार का व्यवहार हो रहा है, वह न केवल अनुचित है, बल्कि इससे कर्मचारियों के मनोबल पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक कर्मचारी सामान्य कार्य करेंगे, लेकिन शाम 5 बजे के बाद किसी भी कार्य में हिस्सा नहीं लेंगे। यह विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण और अनुशासित ढंग से चलाया जाएगा, जिसमें तकनीकी और प्रशासनिक दोनों श्रेणियों के कर्मचारी शामिल हैं।

उन्होंने यह भी बताया कि निगम प्रबंधन द्वारा बुलाई गई किसी भी प्रकार की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में अब विद्युत अभियंता भाग नहीं लेंगे। यह निर्णय भी 'वर्क टू रूल' नीति का हिस्सा है, जो आगामी 19 मई तक प्रभावी रहेगा। इस दौरान कर्मचारियों ने यह संकेत भी दिया है कि यदि उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो आंदोलन को और अधिक व्यापक और निर्णायक रूप दिया जाएगा।

बिजली कर्मचारी यह मानते हैं कि निजीकरण से न केवल उनकी नौकरी की सुरक्षा खतरे में पड़ेगी, बल्कि उपभोक्ताओं को भी महंगी और अस्थिर सेवाओं का सामना करना पड़ सकता है। उनका कहना है कि बिजली क्षेत्र का निजीकरण केवल लाभ कमाने के उद्देश्य से किया जा रहा है, जिससे सेवा की गुणवत्ता और जवाबदेही पर विपरीत असर पड़ेगा।

संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों ने स्पष्ट रूप से यह संकेत दिया है कि जब तक ट्रांजेक्शन कंसल्टेंट की नियुक्ति रद्द नहीं की जाती और कर्मचारियों की मांगों पर सकारात्मक पहल नहीं होती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। इस धरना प्रदर्शन में सभी वर्गों लाइनमैन, अभियंता, टेक्निकल स्टाफ और क्लेरिकल कर्मचारियों ने भाग लिया और एक स्वर में अपनी एकता और विरोध प्रकट किया।

बिजली विभाग के इस आंदोलन का असर विभिन्न जिलों में महसूस किया जा सकता है, जहां आपातकालीन सेवाओं के लिए तैनात कर्मचारी भी तय समय के बाहर कार्य नहीं कर रहे हैं। हालांकि, कर्मचारियों ने यह आश्वासन भी दिया है कि उपभोक्ताओं की आवश्यक सेवाओं को प्रभावित न किया जाए, इसलिए आंदोलन को व्यवस्थित और संतुलित तरीके से चलाया जा रहा है।

पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के प्रस्ताव को लेकर लंबे समय से असंतोष बना हुआ है, और यह आंदोलन उसी असंतोष का परिणाम है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि निगम प्रबंधन और राज्य सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है और किस प्रकार कर्मचारियों की मांगों का समाधान निकालती है।

Published By : SANDEEP KR SRIVASTAVA Updated : Thu, 15 May 2025 02:47 PM (IST)
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Tags: varanasi news bijli karmi purvanchal vidyut vitran nigam

Category: breaking news uttar pradesh news

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