लखनऊ: प्रदेश के राजकीय माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों के लिए एक अच्छी खबर आई है। सरकार ने राष्ट्रीय अध्यापक कल्याण प्रतिष्ठान कोष के तहत दी जाने वाली सहायता राशि में बड़ा संशोधन किया है। अब गंभीर बीमारियों से ग्रस्त शिक्षकों को 30 हजार की बजाय एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता मिलेगी। वहीं, मृत शिक्षकों की बेटियों के विवाह हेतु दी जाने वाली सहायता राशि को 10 हजार से बढ़ाकर एक लाख रुपये कर दिया गया है।
शिक्षकों की आर्थिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए शासन ने राष्ट्रीय अध्यापक कल्याण प्रतिष्ठान की नियमावली में संशोधन कर दिया है। नए नियमों के अनुसार, यदि कोई शिक्षक गंभीर रोग से पीड़ित होता है, तो मंत्री के अनुमोदन से उसे एक सप्ताह के भीतर तत्काल 50 हजार रुपये की सहायता दी जाएगी। इसके बाद, विशेष परिस्थितियों में अतिरिक्त सहायता देने का भी प्रावधान किया गया है। इसके लिए संबंधित शिक्षक को सक्षम अधिकारी का प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना होगा।
माध्यमिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने बताया कि शिक्षकों और उनके आश्रितों को सहायता राशि के लिए अब ऑनलाइन आवेदन करना होगा। इसके लिए एक नया पोर्टल विकसित किया जाएगा, जहां आवेदन पत्र जमा किए जा सकेंगे। इस पोर्टल पर प्राप्त आवेदनों का एक निश्चित समय-सीमा के भीतर निस्तारण किया जाएगा। इसके लिए एक तीन सदस्यीय समिति का गठन भी किया जाएगा।
शिक्षा विभाग ने झंडा शुल्क और शिक्षक दिवस पर ली जाने वाली सहयोग राशि में बढ़ोतरी का भी प्रस्ताव रखा है। कक्षा 1 से 8 तक के छात्रों से अब झंडा शुल्क के रूप में 2 रुपये के स्थान पर 5 रुपये और कक्षा 9 से 12 के छात्रों से 10 रुपये सहयोग राशि ली जाएगी। इसके अलावा, शिक्षकों से शिक्षक दिवस पर ली जाने वाली सहयोग राशि को 100 रुपये किए जाने पर भी विचार किया जा रहा है। इस पर अंतिम निर्णय शिक्षक संगठनों के साथ चर्चा के बाद लिया जाएगा।
राष्ट्रीय अध्यापक कल्याण प्रतिष्ठान प्रकोष्ठ के संचालन के लिए सरकार सेवानिवृत्त कर्मचारियों को भी अवसर देने जा रही है। सहायक सचिव, लेखाकार, कंप्यूटर सहायक और परिचारक के पदों पर सेवानिवृत्त कर्मियों को मानदेय के आधार पर नियुक्त किया जाएगा।
सरकार के इस फैसले से शिक्षकों को न केवल गंभीर बीमारी की स्थिति में आर्थिक राहत मिलेगी, बल्कि मृत शिक्षकों के परिवारों को भी संबल मिलेगा। शिक्षक संगठनों ने सरकार के इस निर्णय का स्वागत किया है और इसे शिक्षकों के कल्याण की दिशा में एक सकारात्मक कदम बताया है।
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