वाराणसी : उत्तर प्रदेश की आत्मा और काशी की सड़कों ने शनिवार दोपहर एक ऐसी घटना को देखा जिसने न केवल शहर की राजनीति में उबाल ला दिया, बल्कि प्रदेश भर की कानून व्यवस्था को भी कठघरे में खड़ा कर दिया। समाजवादी पार्टी के तेजतर्रार नेता हरीश मिश्रा, जिन्हें 'बनारस वाले मिश्रा जी' के नाम से जनता जानती है, पर सिगरा थाना क्षेत्र के आशा महाविद्यालय मोड़ के पास चाकू से हमला हुआ। इस निर्मम हमले में मिश्रा गंभीर रूप से घायल हो गए, सिर पर गहरी चोटें आईं और वे लहूलुहान हालत में ज़मीन पर गिर पड़े। यह दृश्य केवल एक राजनीतिक हिंसा का मामला नहीं था, बल्कि यह उस सामाजिक असहिष्णुता का संकेत था जो आज के दौर की राजनीति में हिंसक प्रतिक्रियाओं में बदलती जा रही है।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, मिश्रा जी पर छह लोगों ने मिलकर हमला किया। घटना इतनी तेज़ और सुनियोजित थी कि आसपास मौजूद लोग भी कुछ पल के लिए स्तब्ध रह गए। लेकिन मोहल्ले के स्थानीय नागरिकों की बहादुरी ने स्थिति को और बिगड़ने से रोका। भीड़ ने हमला कर रहे युवकों को घेर लिया, जिनमें से दो मौके से फरार हो गए, जबकि दो को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया गया। पकड़े गए आरोपियों में से एक, अविनाश पांडेय ने चौंकाने वाला बयान देते हुए खुद को 'करणी सेना' का सदस्य बताया और कहा कि यह हमला 'मां करणी' के अपमान का बदला लेने के लिए किया गया है। यह दावा उस बयान से जुड़ा हुआ माना जा रहा है, जिसमें मिश्रा ने करणी सेना की आलोचना करते हुए उन्हें खुली चुनौती दी थी — "अगर बहुत बड़े धुरंधर हो, तो मैदान तय करो, तारीख तय करो… पुलिस हटवाओ, आ जाना… फरिया लिया जाएगा।"
इस घटना ने समाजवादी पार्टी में तीव्र प्रतिक्रिया उत्पन्न कर दी। सैकड़ों की संख्या में पार्टी कार्यकर्ता सिगरा थाने के बाहर जमा हो गए। गुलाब बाग़ पार्क में धरना शुरू हुआ और जिलाध्यक्ष सुजीत यादव ‘लक्कड़’ ने सख्त लहजे में कहा कि जब तक हमले के आरोपियों पर मुकदमा दर्ज नहीं होता, पार्टी का आंदोलन जारी रहेगा। इस बीच, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने मिश्रा पर हमले को उत्तर प्रदेश की बदहाल कानून व्यवस्था का जीता-जागता प्रमाण बताया और कहा कि एक राजनीतिक आवाज़ को चुप कराने की ये कोशिश लोकतांत्रिक मूल्यों पर सीधा हमला है।
अखिलेश यादव ने कहा, “समाजवादी पार्टी के जुझारू नेता व ‘बनारस वाले मिश्रा जी’ पर कातिलाना हमला अत्यंत निंदनीय है। उनके लहूलुहान वस्त्र इस बात का सबूत हैं कि उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था केवल कागजों पर बची है। अब देखना है कि योगी सरकार की निष्क्रिय व्यवस्था इस घटना के बाद भी जागती है या नहीं।”
पुलिस की ओर से एडीसीपी काशी सर्वणन टी ने बयान देते हुए बताया कि मामले में दोनों पक्षों की ओर से एफआईआर दर्ज की गई है और जांच जारी है।
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