बरेली: बॉलीवुड सुपरस्टार सलमान खान एक बार फिर सुर्खियों में हैं, लेकिन इस बार वजह उनकी कोई फिल्म नहीं, बल्कि उनकी कलाई में बंधी घड़ी है। इस घड़ी पर अयोध्या के श्रीराम मंदिर की तस्वीर बनी हुई थी, जिसे पहनने पर बरेली के एक मौलाना ने कड़ी आपत्ति जताई है। मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी ने सलमान खान के इस कृत्य को इस्लामी शरीयत के खिलाफ बताते हुए इसे हराम करार दिया और उन्हें तत्काल तौबा करने की सलाह दी।
बॉलीवुड सुपरस्टार सलमान खान अपनी आगामी फिल्म सिकंदर की रिलीज के लिए तैयार हैं। एक्टर ने गुरुवार को एक शानदार राम जन्मभूमि वाली घड़ी दिखाते हुए अपनी शानदार तस्वीरें शेयर कीं। लग्जरी ब्रांड जैकब एंड कंपनी द्वारा डिजाइन की गई इस घड़ी में अयोध्या राम मंदिर, भगवान राम, भगवान हनुमान और कई अन्य देवी-देवताओं की छवियां उकेरी गई हैं। सलमान के इस घड़ी को पहनने पर बवाल मच गया है और एक मौलवी के साथ-साथ केआरके ने भी इसे लेकर आपत्ति जताई है।
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा है कि सलमान का इस घड़ी को पहनना गलत है। उन्होंने इस्लाम और शरिया का हवाला देते हुए इसे हराम बताया और कहा, "शरिया में किसी भी मुसलमान को गैर-मुसलमानों के धार्मिक प्रतीकों, इमारतों या मंदिरों का प्रचार करने की अनुमति नहीं है और ऐसा करना हराम माना गया है। यदि कोई मुसलमान इस तरह के प्रचार में शामिल होता है-चाहे वह मंदिर का हो या राम संस्करण वाली घड़ी पहनकर, तो शरिया के अनुसार वह अपराध कर रहा है। यह काम ही हराम है और उसे इससे बचना चाहिए। मैं सलमान खान को नसीहत देना चाहता हूं कि वह अपने हाथों से राम नाम एडिशन की घड़ी उतार दें।
दूसरी तरफ, फिल्म क्रिटिक और अभिनेता कमाल राशिद खान (केआरके) ने भी इस मामले में भड़काऊ बयान दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, सभी मुसलमानों को बधाई, जो ईद पर सलमानखान की फिल्म सिकंदर देखकर उन्हें ईदी देना चाहते हैं। वह ज़ायोनीस्ट कंपनी की घड़ी, राम जन्मभूमि वर्जन पहनकर सभी मुसलमानों का मज़ाक उड़ा रहा है, उसके सभी मुस्लिम फैंस बेशर्म हैं।
सलमान खान के घड़ी पहनने के इस विवाद पर उनके प्रशंसकों और आलोचकों की मिश्रित प्रतिक्रियाएँ सामने आ रही हैं। जहां कुछ लोग इसे उनकी व्यक्तिगत पसंद बता रहे हैं, वहीं कुछ कट्टरपंथी इसे इस्लामिक नियमों के उल्लंघन के रूप में देख रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी इस विषय पर जमकर बहस हो रही है।
कुछ यूजर्स ने मौलाना के बयान को अतिवादी करार देते हुए कहा कि हर व्यक्ति को अपने जीवन में क्या पहनना है और क्या नहीं, इसका अधिकार है। वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि सलमान खान को अपने धार्मिक पहचान को ध्यान में रखते हुए ऐसा कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए जो विवाद को जन्म दे।
यह पहली बार नहीं है जब सलमान खान किसी धार्मिक विवाद में फंसे हैं। इससे पहले भी वे कई बार विवादों में घिर चुके हैं। कभी उनके बयानों को लेकर हंगामा हुआ तो कभी उनके फिल्मों के दृश्यों पर धार्मिक संगठनों ने आपत्ति जताई।
2017 में, जब सलमान खान ने अपनी फिल्म 'टाइगर जिंदा है' के प्रमोशन के दौरान एक टीवी शो में कुछ टिप्पणी की थी, तब भी इस पर काफी बवाल हुआ था। वहीं, 2019 में उनकी फिल्म 'भारत' के नाम पर भी कुछ संगठनों ने आपत्ति जताई थी और इसे इस्लाम विरोधी बताया था।
शरीयत इस्लामिक कानून है जो कुरान और हदीस के आधार पर चलता है। इसमें यह स्पष्ट रूप से बताया गया है कि किसी भी मुसलमान को दूसरे धर्मों की पूजा या उनके धार्मिक प्रतीकों को अपनाना उचित नहीं है। मौलाना के अनुसार, सलमान खान का राम मंदिर की छवि वाली घड़ी पहनना इस्लाम के नियमों के खिलाफ है और इसे हराम माना जाता है।
बरेली इससे पहले भी धार्मिक विवादों का गवाह बन चुका है। 2017 में, जब राम मंदिर के समर्थन में कुछ पोस्टर लगाए गए थे, जिनमें मुस्लिम धर्मगुरुओं की तस्वीरें बिना उनकी अनुमति के इस्तेमाल की गई थीं, तब भी विवाद खड़ा हो गया था। उस समय भी मौलाना शाहिब अहसन काजमी ने आपत्ति जताई थी।
इस पूरे मामले में आम जनता भी बंटी हुई नजर आ रही है। कुछ लोगों का मानना है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और हर नागरिक को अपनी इच्छा के अनुसार रहने, पहनने और अपने जीवन को जीने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। वहीं, कुछ लोग मानते हैं कि यदि कोई व्यक्ति किसी विशेष धर्म को मानता है, तो उसे अपने धार्मिक नियमों का पालन करना चाहिए।
सलमान खान की घड़ी पहनने की इस घटना ने एक बार फिर धार्मिक प्रतीकों के सार्वजनिक प्रदर्शन और उनकी स्वीकृति पर बहस छेड़ दी है। मौलाना शहाबुद्दीन रजवी और केआरके की टिप्पणियों से यह स्पष्ट होता है कि धार्मिक समुदायों के बीच संवेदनशील मुद्दों पर सतर्कता और सम्मान की आवश्यकता है। अब देखना यह होगा कि सलमान खान इस मामले में कोई प्रतिक्रिया देते हैं या नहीं।
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