लखनऊ: समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय महासचिव और राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन के एक बयान ने प्रदेश की राजनीति को गर्मा दिया है। उन्होंने हाल ही में राणा सांगा को लेकर एक विवादित टिप्पणी की थी, जिस पर कुंडा के निर्दलीय विधायक राजा भैया ने कड़ी आपत्ति जताई है। राजा भैया ने इसे राष्ट्रवाद और देशभक्ति पर हमला बताते हुए कहा कि अब समय आ गया है जब इतिहास की सच्चाई को फिर से लिखा जाए।
उनका कहना है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ लोग राजनीतिक स्वार्थ और तुष्टिकरण की नीति के तहत देश के महापुरुषों को खलनायक बनाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि इतिहास के साथ छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी और राष्ट्रवादी विचारधारा को कमजोर करने की कोशिश करने वालों को करारा जवाब दिया जाएगा।
राजा भैया ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा,।राणा सांगा केवल एक नाम नहीं, बल्कि शौर्य, पराक्रम और स्वाभिमान की पहचान हैं। वह एक ऐसे योद्धा थे जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा के लिए अनगिनत लड़ाइयां लड़ीं और हमेशा विजय प्राप्त की। उनके शरीर पर 80 से अधिक घाव थे, एक आंख और एक हाथ खो चुके थे, लेकिन उनके शरीर पर कभी भी पीठ पर घाव नहीं आया।
उन्होंने आगे कहा कि कुछ लोग राजनीतिक स्वार्थ और तुष्टिकरण के चलते हमारे महान नायकों को गद्दार और खलनायक साबित करने में लगे हुए हैं। राजा भैया ने इस बयान को देशभक्ति और राष्ट्रवाद पर हमला करार दिया और कहा कि ऐसे लोगों को करारा जवाब देना जरूरी है।
राजा भैया ने रामजी लाल सुमन के बयान पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि यह केवल इतिहास के साथ छेड़छाड़ नहीं है, बल्कि यह हर देशभक्त भारतीय के लिए अपमानजनक है। उन्होंने कहा, इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करने की कोशिश देश के वीरों के प्रति घोर अन्याय है। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे महान योद्धाओं को अपमानित करने की कोशिश की जा रही है, जबकि औरंगजेब जैसे क्रूर शासक को महिमामंडित किया जा रहा है।
राजा भैया ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि औरंगजेब, जिसने अपने पिता को कैद किया, अपने भाइयों की हत्या करवाई और उन्हें कुत्तों को खिलाया, उसे सम्मान देने वाले लोग देश के वास्तविक नायकों के खिलाफ झूठा प्रचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह बेहद चिंताजनक है कि कुछ लोग इतिहास की सच्चाई को दबाने की कोशिश कर रहे हैं और देश के गौरवशाली अतीत को धूमिल कर रहे हैं।
राजा भैया ने अपने बयान में जोर देकर कहा कि यह वही मानसिकता है जो स्वार्थ और तुष्टिकरण की राजनीति में लिप्त होकर देश की संस्कृति, परंपराओं और वीरों के इतिहास को धूमिल करने का प्रयास कर रही है।
अब समय आ गया है जब इतिहास का सच फिर से लिखा जाए।
राजा भैया ने अपने बयान में कहा कि अब समय आ गया है कि इतिहास के उन छुपे हुए सच को उजागर किया जाए, जिन्हें राजनीतिक कारणों से दबा दिया गया था। उन्होंने कहा, जो लोग अपने ही नायकों को अपमानित कर रहे हैं, वे यह न भूलें कि यह देश वीरों की भूमि है और यहां राणा सांगा जैसे योद्धाओं का इतिहास मिटाया नहीं जा सकता।
उन्होंने जोर देकर कहा कि देश के युवाओं को सच्चे इतिहास से अवगत कराने की जरूरत है और ऐसी साजिशों का पर्दाफाश किया जाना चाहिए।
राजा भैया के इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। सपा नेता रामजी लाल सुमन की टिप्पणी के खिलाफ राजा भैया के तीखे बयान ने इस विवाद को और बढ़ा दिया है। हालांकि, समाजवादी पार्टी की ओर से अभी तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
इतिहासकारों के अनुसार, राणा सांगा मेवाड़ के सबसे वीर योद्धाओं में से एक थे। उन्होंने कई लड़ाइयों में विजय प्राप्त की और मुगल आक्रांताओं को कड़ी टक्कर दी। इतिहास में यह दर्ज है कि बाबर की सेना को कड़ा मुकाबला देने वाले योद्धाओं में राणा सांगा का नाम सबसे ऊपर आता है।
इतिहासकार यह भी मानते हैं कि राणा सांगा केवल एक शासक नहीं, बल्कि एक विचारधारा थे, जो मातृभूमि की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार रहते थे। उनकी गाथा आज भी भारतीय इतिहास में साहस, पराक्रम और स्वाभिमान का प्रतीक मानी जाती है।
इस पूरे विवाद से यूपी की राजनीति में एक नया मोड़ आ सकता है।
1. राजा भैया की छवि एक राष्ट्रवादी नेता के रूप में और मजबूत हुई है।
2. सपा को अपने सांसद के बयान पर सफाई देनी पड़ सकती है।
3. हिंदुत्व और राष्ट्रवाद की राजनीति में यह मुद्दा और जोर पकड़ सकता है।
4. आने वाले चुनावों में इस विवाद का असर देखा जा सकता है।
अब देखना यह होगा कि सपा इस विवाद पर क्या रुख अपनाती है और क्या रामजी लाल सुमन अपने बयान पर सफाई देते हैं या नहीं। वहीं, राजा भैया का बयान आने के बाद अन्य राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया का भी इंतजार किया जा रहा है।
राजा भैया का यह बयान सिर्फ एक प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि एक चेतावनी भी है कि इतिहास से छेड़छाड़ अब और बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उनका कहना है कि अब वक्त आ गया है कि वास्तविक इतिहास को सामने लाया जाए और झूठे प्रचार को रोका जाए।
अब यह मुद्दा कितना तूल पकड़ेगा, यह आने वाले दिनों में साफ हो जाएगा। लेकिन इतना तय है कि यह विवाद अभी जल्दी थमने वाला नहीं है।
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