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प्रतापगढ़: शहीद एयरफोर्स अफसर रामकुमार तिवारी का पार्थिव शरीर पहुंचा गांव, नम आंखों से दी अंतिम विदाई

प्रतापगढ़: शहीद एयरफोर्स अफसर रामकुमार तिवारी का पार्थिव शरीर पहुंचा गांव, नम आंखों से दी अंतिम विदाई

आगरा एयरबेस में पैराशूट न खुलने से शहीद हुए वारंट ऑफिसर रामकुमार तिवारी का पार्थिव शरीर प्रतापगढ़ स्थित उनके पैतृक गांव पहुंचा, जहां नम आंखों और पूरे सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी गई.

प्रतापगढ़: पूरा बेलहा गांव एक अजीब-सी खामोशी में डूबा था। सन्नाटा इतना गहरा कि हर दिल की धड़कन सुनाई दे रही थी। आंखें नम थीं, लेकिन सीना गर्व से चौड़ा था। शहीद एयरफोर्स अफसर रामकुमार तिवारी का पार्थिव शरीर जब गांव पहुंचा, तो ऐसा लगा मानो समय ठहर गया हो। उनकी अंतिम यात्रा में उमड़ा जनसैलाब बता रहा था कि ये सिर्फ एक परिवार का नहीं, पूरे देश का बेटा था।

शनिवार को आगरा एयरबेस में पैराशूट न खुलने की वजह से शहीद हुए वारंट ऑफिसर रामकुमार तिवारी अब पंचतत्व में विलीन हो चुके हैं। लेकिन उनकी वीरगाथा, उनका जज़्बा और उनका बलिदान अनंत काल तक अमर रहेगा।

जब बहादुरी ने अंतिम उड़ान भरी:

शनिवार सुबह 9:30 बजे का वक्त था। आगरा एयरबेस पर रुटीन पैरा जंपिंग ट्रेनिंग चल रही थी। रामकुमार, जिनके नेतृत्व में कई युवा कमांडो जंपिंग की ट्रेनिंग लेते थे, खुद भी छलांग लगाने उतरे। लेकिन तकनीकी खामी ने उन्हें वक्त से पहले बुला लिया। पैराशूट नहीं खुला और वह धरती से जा टकराए। जैसे ही अफसरों और जवानों ने उन्हें गिरते देखा, सब दौड़ पड़े। अस्पताल में दो घंटे की जद्दोजहद के बाद दोपहर 12 बजे वायुसेना ने अपने एक चमकते सितारे को खो दिया।

प्रीति की चीख, मां का क्रंदन—धरती भी रोई:

रविवार सुबह जब रामकुमार का पार्थिव शरीर पैतृक गांव लाया गया, तो पूरा गांव उनके स्वागत में खड़ा था। लेकिन इस बार तालियों की गूंज नहीं थी, बल्कि आंखों से बहते आंसू और दिल से निकलती दुआएं थीं। पत्नी प्रीति, चीखते हुए एम्बुलेंस से उतरीं, मानो आसमान भी कांप गया हो। मां उर्मिला शव से लिपट गईं, और पिता रमाशंकर तिवारी हाथ जोड़कर आखिरी बार बेटे को प्रणाम करते हुए फफक कर रो पड़े। यह दृश्य ऐसा था जिसे देख आंखें पत्थर भी नम हो जातीं।

गौरव की अंतिम विदाई—मानिकपुर के गंगा घाट पर सलामी:

रामकुमार के पार्थिव शरीर को 50 किमी दूर मानिकपुर गंगा घाट पर लाया गया, जहां एयरफोर्स के जांबाज़ों ने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया। अंतिम संस्कार की अगुवाई पिता ने की, कांपते हाथों से बेटे को अग्नि दी, लेकिन चेहरे पर गर्व भी साफ झलक रहा था।

एक योद्धा की कहानी, जो देश के लिए जिया और देश के लिए गया:

रामकुमार तिवारी 2002 में भारतीय वायुसेना में भर्ती हुए थे। पहली पोस्टिंग पठानकोट में हुई। 2009 से आगरा में कार्यरत थे और NSG के कमांडो ट्रेनर थे। इतना ही नहीं, उन्होंने क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी को भी पैरा जंपिंग की ट्रेनिंग दी थी।

कुछ दिन पहले ही मॉरीशस से मेडल जीतकर लौटे थे। उनकी बहादुरी के लिए प्रधानमंत्री द्वारा सम्मानित किया गया था। छोटे भाई श्याम कुमार तिवारी, जो लखनऊ हाईकोर्ट में वकील हैं, ने कहा, मैं उसे मना करता था कि इतनी जोखिम क्यों लेते हो... वो हंसते हुए कहता था – 'अगर सब घर बैठ जाएंगे, तो देश के लिए कौन लड़ेगा।
एक संकल्प—शहीद की यादें अमर होंगी

राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित की और घोषणा की कि:

गांव में 'शहीद द्वार' और 'शहीद स्मारक' बनवाएंगे ताकि आने वाली पीढ़ियां भी जान सकें कि देश के लिए बलिदान देने वाला रामकुमार तिवारी कौन था।

रामकुमार नहीं रहे, लेकिन उनका जज़्बा जिंदा रहेगा:

रामकुमार तिवारी जैसे सपूत इस धरती पर विरले ही जन्म लेते हैं। वो सिर्फ एक बेटा, पति या पिता नहीं थे—वो इस देश की आत्मा का हिस्सा थे। उनकी शहादत सिर्फ एक परिवार का नुकसान नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र की क्षति है। लेकिन हम उनके बलिदान को सिर्फ आंसुओं से नहीं, बल्कि उनके सपनों को पूरा करके याद रखेंगे।

यूपी खबर शहीद रामकुमार तिवारी को सलाम करता है।

जय हिंद।

Published By : SANDEEP KR SRIVASTAVA Updated : Sun, 06 Apr 2025 06:43 PM (IST)
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Tags: pratapgarh news airforce officer ramkumar tiwari

Category: uttar pradesh defence

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