नई दिल्ली: सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए हाल ही में संपन्न ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर देशवासियों को बधाई दी और भारतीय सेना, सशस्त्र बलों, खुफिया एजेंसियों और वैज्ञानिकों के अद्वितीय योगदान को नमन किया। पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों के खिलाफ की गई इस सटीक और निर्णायक कार्रवाई को प्रधानमंत्री ने देश के सामर्थ्य और संयम का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि भारत की सेनाओं ने न केवल आतंकवाद के अड्डों को ध्वस्त किया है, बल्कि पूरी दुनिया को यह संदेश भी दिया है कि भारत अब आतंक के खिलाफ किसी भी स्तर तक जाने को तैयार है।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन की शुरुआत ऑपरेशन सिंदूर के पीछे की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए की। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों द्वारा निर्दोष नागरिकों की निर्मम हत्या की घटना का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि धर्म पूछकर बच्चों के सामने उनके माता-पिता की हत्या करना, न केवल क्रूरता की पराकाष्ठा थी, बल्कि यह भारत के सामाजिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न करने की घिनौनी साजिश भी थी। पीएम मोदी ने इस हमले को व्यक्तिगत पीड़ा का विषय बताया और कहा कि इस घटना के बाद संपूर्ण राष्ट्र एकजुट होकर आतंक के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की मांग करने लगा।
भारत सरकार ने सेना को पूरी छूट दी और इसके परिणामस्वरूप ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया गया, जो कि केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि भारत की न्यायिक और नैतिक प्रतिज्ञा का प्रतीक बन गया। प्रधानमंत्री ने कहा कि 6 और 7 मई की दरमियानी रात को दुनिया ने देखा कि भारत की सेनाओं ने पाकिस्तान में स्थित आतंकवादी अड्डों और ट्रेनिंग सेंटर्स को सटीकता से निशाना बनाया। बहावलपुर और मुरीदके जैसे ठिकानों पर हमला करते हुए भारत ने उन जड़ों को उखाड़ फेंका, जो दशकों से वैश्विक आतंकवाद को पोषित कर रही थीं। इस अभियान में 100 से अधिक खूंखार आतंकियों को मार गिराया गया और उन आतंक के आकाओं का भी अंत हुआ, जो लंबे समय से पाकिस्तान में खुलेआम भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम दे रहे थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पाकिस्तान इस साहसी कार्रवाई से स्तब्ध रह गया और हताशा में आकर उसने भारत के सैन्य और नागरिक ठिकानों पर हमला करने की कोशिश की। लेकिन भारत के सशक्त एयर डिफेंस सिस्टम और सतर्कता ने पाकिस्तान की मिसाइलों और ड्रोन हमलों को विफल कर दिया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की तैयारी सीमा पर हमले की थी, लेकिन भारत ने उसके सीने पर प्रहार किया। भारत की जवाबी कार्रवाई इतनी प्रभावी थी कि पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर तनाव कम करने के लिए गुहार लगानी पड़ी। 10 मई को पाकिस्तानी सेना ने भारत के डीजीएमओ से संपर्क किया, तब तक भारत अपने सैन्य उद्देश्यों की प्राप्ति कर चुका था।
पीएम मोदी ने इस कार्रवाई को मात्र एक सैन्य प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति का हिस्सा बताया। उन्होंने कहा कि अब भारत की रणनीति स्पष्ट है: अगर भारत पर आतंकी हमला हुआ तो जवाब मिलेगा, वह भी अपने तरीके से और अपनी शर्तों पर। उन्होंने तीन मुख्य सिद्धांतों को दोहराया—पहला, भारत अब किसी भी आतंकी हमले पर चुप नहीं बैठेगा; दूसरा, न्यूक्लियर ब्लैकमेल को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा; और तीसरा, भारत आतंकियों और उन्हें शरण देने वाली सरकारों को अलग-अलग नहीं देखेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने “न्यू नॉर्मल” की शुरुआत की है, जिसमें भारत आतंक के हर रूप के खिलाफ न केवल सजग रहेगा, बल्कि हर मोर्चे पर आक्रामक कार्रवाई के लिए तैयार रहेगा। उन्होंने विशेष रूप से ध्यान दिलाया कि इस ऑपरेशन में मेड इन इंडिया रक्षा प्रणालियों और हथियारों की विश्वसनीयता प्रमाणित हुई है, जो आने वाले वर्षों में भारत की आत्मनिर्भरता और रक्षा निर्यात को नई दिशा देंगे।
उन्होंने विश्व समुदाय को भी स्पष्ट संदेश दिया कि पाकिस्तान के साथ अब बातचीत केवल आतंकवाद या पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) पर ही हो सकती है। उन्होंने सिंधु जल संधि के सन्दर्भ में संकेत दिया कि “पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते।” भारत की नीति टेरर और टॉक, या टेरर और ट्रेड को साथ-साथ नहीं चलने देने की है। पीएम मोदी ने चेताया कि अगर पाकिस्तान को खुद को बचाना है, तो उसे आतंक के अपने ढांचे को जड़ से खत्म करना ही होगा।
अपने संबोधन के अंत में प्रधानमंत्री मोदी ने बुद्ध पूर्णिमा का उल्लेख करते हुए कहा कि शांति का मार्ग शक्ति से होकर गुजरता है। भारत की ताकत केवल अपनी रक्षा के लिए नहीं, बल्कि वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए है। उन्होंने फिर एक बार भारतीय सेना, सशस्त्र बलों और हर नागरिक के संकल्प को सलाम करते हुए राष्ट्र को धन्यवाद दिया और तीन बार ‘भारत माता की जय’ के उद्घोष से अपना भाषण समाप्त किया।
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