अंबेडकरनगर: पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले को लेकर सोशल मीडिया पर दिए गए लोक गायिका नेहा सिंह राठौर के बयान के मामले में शुक्रवार को एसीजेएम एकता सिंह की अदालत में अहम सुनवाई हुई। मामले की संवेदनशीलता और दोनों पक्षों की दलीलों को ध्यान में रखते हुए अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया है, जो अब 6 मई को सुनाया जाएगा।
यह मामला तब शुरू हुआ जब अंबेडकरनगर जिले के महरुआ थाना क्षेत्र स्थित पकड़िया गांव की रहने वाली प्रसिद्ध लोक गायिका नेहा सिंह राठौर पर सोशल मीडिया के माध्यम से देश विरोधी बयान देने और आतंकी हमले को लेकर कथित रूप से विवादास्पद टिप्पणी करने का आरोप लगा। इस संबंध में ब्लॉक प्रमुख संघ के जिलाध्यक्ष शिवेंद्र सिंह ने एक परिवाद दायर किया था, जिसमें नेहा सिंह राठौर के बयान को देशद्रोह की श्रेणी में रखा गया है। परिवाद में दावा किया गया है कि गायिका ने ना केवल राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े संवेदनशील मामले पर असंवेदनशील टिप्पणी की, बल्कि यह भी आरोप लगाया गया कि वह पहले भी कई बार इस तरह के कथित "देशविरोधी" बयानों में शामिल रही हैं।
शुक्रवार को अदालत में वादी और प्रतिवादी पक्ष की ओर से विस्तृत तर्क प्रस्तुत किए गए। वादी के अधिवक्ता ने कोर्ट में कहा कि नेहा सिंह राठौर का बयान न केवल गैर-जिम्मेदाराना था, बल्कि वह देश की एकता और अखंडता के खिलाफ था, जिससे समाज में भ्रम और असंतोष फैलने की आशंका है। उन्होंने इसे "आदतन देश विरोधी मानसिकता" का हिस्सा बताया और देशद्रोह की धाराओं के अंतर्गत कठोर कार्रवाई की मांग की।
वहीं, नेहा सिंह राठौर की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ने अदालत के समक्ष यह तर्क रखा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा देशद्रोह कानून पर फिलहाल रोक लगाई गई है और इस स्थिति में इस तरह के आरोप स्वतः ही आधारहीन हो जाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी मुवक्किल ने किसी भी तरह की देशविरोधी भावना से बयान नहीं दिया, बल्कि वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का प्रयोग कर रही थीं।
दोनों पक्षों की बातों को गंभीरता से सुनने के बाद अदालत ने पत्रावली का अवलोकन किया और आदेश पारित करने की तारीख 6 मई निश्चित की। यह मामला अब केवल एक लोक गायिका के बयान तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा कर रहा है कि सोशल मीडिया पर दी गई राय और विचार किस हद तक कानूनी रूप से स्वीकार्य हैं और किस बिंदु पर वे देश की सुरक्षा और सार्वजनिक भावना के खिलाफ माने जा सकते हैं।
6 मई को आने वाले इस फैसले पर न सिर्फ स्थानीय स्तर पर बल्कि राष्ट्रीय मीडिया की भी निगाहें टिकी होंगी, क्योंकि यह निर्णय भविष्य में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और देशद्रोह कानून की व्याख्या पर भी व्यापक असर डाल सकता है।
Category: law and order crime
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