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कानपुर: इंटरमीडिएट में कम अंक आने पर छात्रा ने की आत्महत्या, परिजनों में शोक की लहर

कानपुर: इंटरमीडिएट में कम अंक आने पर छात्रा ने की आत्महत्या, परिजनों में शोक की लहर

कानपुर के फजलगंज में एक छात्रा ने इंटरमीडिएट परीक्षा में अपेक्षित अंक न मिलने पर आत्महत्या कर ली, जिससे परिवार में शोक की लहर है, छात्रा ने 90% अंक की अपेक्षा की थी, लेकिन 79% अंक आने पर उसने यह कदम उठाया।

कानपुर: फजलगंज थाना क्षेत्र से एक बेहद मार्मिक और चिंता में डाल देने वाली घटना सामने आई है, जहां इंटरमीडिएट की परीक्षा में अपेक्षित अंक न आने पर एक होनहार छात्रा ने आत्महत्या कर ली। आकांक्षा सैनी नाम की इस 19 वर्षीय छात्रा को परीक्षा में 90 प्रतिशत अंक की उम्मीद थी, लेकिन जब उसे परिणाम स्वरूप 79 प्रतिशत अंक मिले, तो वह इस कदर मानसिक दबाव में आ गई कि उसने खुद को फांसी लगाकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। यह घटना न केवल एक परिवार के सपनों के टूटने की कहानी है, बल्कि यह समाज के उस मानसिक दबाव की भी तस्वीर पेश करती है जो आजकल युवा विद्यार्थियों पर अक्सर हावी हो जाता है।

ओमनगर गुमटी नंबर पांच की निवासी आकांक्षा, जेके मंदिर परिसर में फूलों का व्यापार करने वाले श्यामजी सैनी की इकलौती बेटी थी। परिवार में माता गौरी, भाई श्रेष्ठ और पिता श्यामजी शामिल हैं। आकांक्षा ने अशोकनगर स्थित एक स्कूल से बायोलॉजी विषय में इंटरमीडिएट की परीक्षा दी थी। परीक्षा में उसने प्रथम श्रेणी यानी 79 प्रतिशत अंक हासिल किए थे। परिजनों और आसपास के लोगों ने उसे इस उपलब्धि पर बधाई भी दी थी, लेकिन आकांक्षा इससे संतुष्ट नहीं थी। उसने अपने भविष्य के लिए 90 प्रतिशत से अधिक अंक की उम्मीद पाल रखी थी, जिससे उसका आत्मविश्वास जुड़ा हुआ था।

पिता श्यामजी सैनी ने बताया कि बेटी हमेशा से डॉक्टर बनने का सपना देखती थी और उसे विश्वास था कि वह परीक्षा में टॉप करके उस दिशा में कदम बढ़ाएगी। लेकिन परिणाम अपेक्षा से कम आने के बाद वह बेहद निराश हो गई और धीरे-धीरे अवसाद में जाने लगी। परिवार वालों ने उसे समझाने और हौसला बढ़ाने की पूरी कोशिश की, लेकिन आकांक्षा ने अपने मन में उठे घातक विचारों को किसी से साझा नहीं किया।

घटना रविवार की रात की है। पिता श्यामजी अपने काम पर गए हुए थे, बेटा श्रेष्ठ अपने कमरे में पढ़ाई कर रहा था और मां गौरी दूसरे कमरे में थीं। इसी दौरान आकांक्षा चुपचाप घर की तीसरी मंजिल पर स्थित कमरे में गई और दुपट्टे से फांसी का फंदा बनाकर आत्महत्या कर ली। जब पिता घर लौटे और बेटी को नहीं देखा तो उन्होंने उसे आवाज लगाई, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। तीसरी मंजिल पर पहुंचकर दरवाजा खटखटाया गया, और प्रतिक्रिया न आने पर पड़ोसियों की मदद से दरवाजा तोड़ा गया। अंदर का दृश्य देखकर सबके होश उड़ गए, आकांक्षा का शव पंखे से लटका हुआ मिला।

परिजन उसे तत्काल अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। सूचना मिलने पर पुलिस और फॉरेंसिक टीम मौके पर पहुंची और जांच के बाद शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया। फजलगंज थाना प्रभारी सुनील कुमार सिंह के अनुसार, मौके से कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में फांसी लगाकर आत्महत्या की पुष्टि हुई है।

घटना ने पूरे मोहल्ले को स्तब्ध कर दिया है। एक हंसती-खिलखिलाती होनहार बच्ची का इस तरह चले जाना, समाज के उस भयावह दबाव की ओर इशारा करता है जो अंकों की दौड़ में बच्चों को मानसिक रूप से तोड़ देता है। आकांक्षा के पिता ने भर्राए गले से कहा, "वो बहुत होशियार थी, हमेशा डॉक्टर बनने का सपना देखती थी। कहती थी कि टॉपर बनूंगी, सबका नाम रोशन करूंगी। लेकिन आज वो सपना अधूरा ही रह गया।"

यह घटना न केवल एक परिवार के लिए असहनीय दुख लेकर आई है, बल्कि यह पूरे समाज को यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हमारे बच्चे केवल अंकों से ही आंके जाने चाहिए? और क्या शिक्षा का मकसद सिर्फ प्रतिशत बनकर रह गया है? मानसिक स्वास्थ्य को लेकर स्कूलों, अभिभावकों और समाज को अब और अधिक संवेदनशील और सक्रिय होने की आवश्यकता है, ताकि कोई और आकांक्षा अपने सपनों के टूटने से पहले खुद को न खो दे।

Published By : SANDEEP KR SRIVASTAVA Updated : Tue, 29 Apr 2025 01:34 PM (IST)
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Tags: kanpur news student suicide examination stress

Category: crime education

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