नई दिल्ली: देश के नाम से इंडिया शब्द हटाकर केवल भारत करने की मांग को लेकर दायर याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को बड़ा निर्देश दिया है। कोर्ट ने केंद्र से कहा है कि इस मांग पर जल्द से जल्द विचार कर उचित निर्णय लिया जाए। न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की एकल पीठ ने यह आदेश देते हुए याचिकाकर्ता को याचिका वापस लेने की अनुमति भी प्रदान की।
याचिकाकर्ता नमाह ने कोर्ट में दायर याचिका में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही 3 जून 2020 को अपने आदेश में केंद्र सरकार को इस विषय पर निर्णय लेने के लिए कहा था, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। इसी आदेश के अनुपालन के लिए उन्होंने अब दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याचिका में याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उनके पास हाईकोर्ट में आने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं था।
याचिका में तर्क दिया गया कि देश के नाम 'इंडिया' की उत्पत्ति ग्रीक शब्द इंडिका से हुई है, जो औपनिवेशिक कालखंड की याद दिलाता है। याचिकाकर्ता ने कहा कि देश को उसके मूल और प्रामाणिक नाम 'भारत' से ही आधिकारिक मान्यता मिलनी चाहिए। इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 1 में संशोधन करने की मांग भी की गई, ताकि भारत के नागरिक अपने औपनिवेशिक इतिहास के अंग्रेजी नाम से छुटकारा पाकर एक सशक्त राष्ट्रीय भावना का अनुभव कर सकें।
याचिका में यह भी कहा गया कि 'इंडिया' शब्द अंग्रेजों के शासनकाल की गुलामी का प्रतीक है और इसे बनाए रखना स्वतंत्रता संग्राम के बलिदान और देश की स्वतंत्रता के लिए अनुचित है। यह भी तर्क दिया गया कि इस नाम के बने रहने से जनता की भावनाएं आहत हुई हैं और भारत को उसकी ऐतिहासिक पहचान से जोड़े रखना आवश्यक है।
याचिकाकर्ता ने संविधान सभा की 15 नवंबर 1948 को हुई बहस का भी उल्लेख किया, जिसमें संविधान के मसौदे के अनुच्छेद 1 पर चर्चा के दौरान सदस्यों ने देश के नाम के लिए 'भारत', 'भारतवर्ष' या 'हिन्दुस्तान' जैसे नामों को अपनाने की वकालत की थी। विशेष रूप से एम. अनंतशयनम अय्यंगर और सेठ गोविंद दास द्वारा इस संदर्भ में दिए गए सुझावों का हवाला याचिका में दिया गया।
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के वकील को निर्देश दिया कि वे इस मामले में संबंधित मंत्रालयों को उचित कदम उठाने के लिए कहें। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट के 2020 के आदेश के आलोक में केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर जल्द विचार करना चाहिए।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि केंद्र सरकार इस मामले में क्या रुख अपनाती है। 'भारत' बनाम 'इंडिया' की बहस समय-समय पर देश के राजनीतिक और सामाजिक मंचों पर उठती रही है। हाईकोर्ट के इस निर्देश के बाद एक बार फिर से यह मुद्दा राष्ट्रीय बहस के केंद्र में आ गया है।
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