Tue, 29 Apr 2025 20:01:07 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
नई दिल्ली: मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की सुरक्षा स्थिति पर उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, तीनों सेनाओं के प्रमुख और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान शामिल रहे। यह बैठक उस महत्वपूर्ण क्षण में हुई, जब भारत दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद संभावित जवाबी कदमों पर विचार कर रहा है। इस हमले में अब तक की रिपोर्ट के अनुसार 26 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, जिनमें बड़ी संख्या में निर्दोष पर्यटक शामिल थे।
करीब डेढ़ घंटे तक चली इस गहन बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने देश के सशस्त्र बलों को स्पष्ट संदेश देते हुए कहा कि आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक और सख्त कार्रवाई ही भारत का रुख रहेगा। उन्होंने कहा कि देश की सुरक्षा से समझौता नहीं किया जाएगा और आतंक के खिलाफ लड़ाई हमारे राष्ट्रीय संकल्प का हिस्सा है। प्रधानमंत्री ने भरोसा जताते हुए यह भी कहा कि हमारी सेनाएं पूरी तरह सक्षम और पेशेवर हैं, और उन्हें यह तय करने की पूरी आज़ादी है कि इस हमले का जवाब कब, कैसे और कहां देना है। उनके इस बयान को सुरक्षा प्रतिष्ठान को पूरी छूट के रूप में देखा जा रहा है, जो आने वाले समय में एक निर्णायक रणनीतिक प्रतिक्रिया का संकेत देता है।
प्रधानमंत्री ने यह भी दोहराया कि जो आतंकी और उनके संरक्षक इस हमले के लिए जिम्मेदार हैं, उन्हें धरती के आखिरी कोने तक खोजकर सबसे सख्त सजा दी जाएगी। हालांकि उन्होंने किसी देश का नाम नहीं लिया, लेकिन उनका इशारा स्पष्ट रूप से पाकिस्तान की ओर था, जो भारत में आतंकवाद को समर्थन देने और आतंकियों को पनाह देने के आरोपों से पहले भी घिर चुका है। इससे पहले सोमवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी से उनके आवास 7, लोक कल्याण मार्ग पर मुलाकात की थी। उसी दिन सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने भी रक्षा मंत्री को हमले के बाद लिए गए कुछ रणनीतिक फैसलों से अवगत कराया था।
पाकिस्तान के खिलाफ उठाए गए रणनीतिक कदमों की बात करें तो कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) की आपात बैठक में भारत ने पांच अहम फैसले लिए हैं, जो द्विपक्षीय संबंधों को सीधे प्रभावित कर सकते हैं। पहला फैसला सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित करने का है, जो भारत-पाकिस्तान के बीच 1960 में बनी थी और अब तक बनी रही है। दूसरा बड़ा कदम अटारी बॉर्डर चेक पोस्ट को अस्थायी रूप से बंद करने का है, जिससे दोनों देशों के बीच ज़मीनी आवाजाही पर असर पड़ेगा। तीसरा निर्णय यह लिया गया है कि अब पाकिस्तान के नागरिकों को सार्क वीजा सुविधा के तहत भारत में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी।
चौथे और पांचवे फैसले के तहत भारत ने पाकिस्तान उच्चायोग में तैनात रक्षा, सैन्य, नौसेना और वायु सेना से जुड़े सलाहकारों को एक सप्ताह के भीतर भारत छोड़ने का आदेश जारी किया है। यह कदम कूटनीतिक दबाव बढ़ाने की दिशा में देखा जा रहा है और इससे पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर अलग-थलग करने की भारत की नीति को बल मिलेगा।
इन घटनाक्रमों से यह स्पष्ट हो गया है कि भारत अब आतंकी हमलों को केवल सुरक्षा चुनौती नहीं, बल्कि संप्रभुता और राष्ट्रीय सम्मान का मुद्दा मानकर उसका जवाब देने को तैयार है। प्रधानमंत्री की तरफ से सेनाओं को दी गई खुली छूट और कूटनीतिक मोर्चे पर लिए गए कठोर निर्णय आने वाले समय में भारत की रणनीति को दिशा देंगे। देश की जनता और सुरक्षा तंत्र अब यह देखने के लिए तैयार है कि भारत इस चुनौती का जवाब किस रूप में और कितनी तीव्रता से देता है।