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इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश, पुलिस भर्ती 2018 में अनफिट अभ्यर्थियों की होगी दोबारा मेडिकल जांच

इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश, पुलिस भर्ती 2018 में अनफिट अभ्यर्थियों की होगी दोबारा मेडिकल जांच

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती 2018 में शारीरिक परीक्षण के दौरान अनफिट घोषित किए गए अभ्यर्थियों के लिए दोबारा मेडिकल जांच कराने का आदेश दिया है, जिससे उनके नियुक्ति पर विचार किया जा सके.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती 2018 में शारीरिक परीक्षण (फिजिकल टेस्ट) के दौरान अनफिट घोषित किए गए अभ्यर्थियों के लिए एक महत्वपूर्ण और राहत भरा फैसला सुनाया है। अदालत ने स्पष्ट निर्देश जारी करते हुए राज्य सरकार को आदेश दिया है कि इन अभ्यर्थियों की एक बार फिर से मेडिकल जांच कराई जाए, और यदि वे जांच में फिट पाए जाएं, तो उनकी नियुक्ति पर गंभीरता से विचार किया जाए। यह फैसला उन हजारों युवाओं के लिए आशा की किरण लेकर आया है जो अब तक अपने भविष्य को लेकर अनिश्चितता की स्थिति में थे।

राज्य सरकार की ओर से अदालत में यह तर्क रखा गया था कि भर्ती प्रक्रिया का अंतिम परिणाम 13 मार्च 2025 को पहले ही घोषित किया जा चुका है और नियुक्तियों की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। उनका कहना था कि अगर अब इसमें किसी प्रकार का बदलाव किया गया तो पहले से चयनित उम्मीदवारों के अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। हालांकि, हाईकोर्ट ने इस तर्क को न्याय के व्यापक हितों के मुकाबले कमतर माना और कहा कि जब बात संभावित रूप से गलत तरीके से अनफिट घोषित किए गए उम्मीदवारों की हो, तो न्यायसंगत ढंग से पुनः मूल्यांकन अनिवार्य हो जाता है।

कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी भी व्यक्ति को केवल प्रशासनिक सुविधा या प्रक्रिया की अंतिमता के नाम पर अवसर से वंचित नहीं किया जा सकता, विशेषकर जब उसका भविष्य दांव पर हो और उसके पास अपनी योग्यता साबित करने का मौका दोबारा दिए जाने की संभावनाएं मौजूद हों। कोर्ट ने आदेश में यह भी स्पष्ट किया कि इस पुनः जांच की प्रक्रिया निष्पक्ष, पारदर्शी और समयबद्ध होनी चाहिए ताकि संबंधित अभ्यर्थियों को अनावश्यक विलंब का सामना न करना पड़े।

इस फैसले के बाद हजारों अभ्यर्थियों में न्याय पाने की नई उम्मीद जगी है, जो वर्षों से इस भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताओं और तकनीकी कारणों के चलते हाशिए पर चले गए थे। युवाओं ने इस आदेश का स्वागत किया है और इसे एक सकारात्मक कदम बताया है जो योग्यता और निष्पक्षता की भावना को बल देता है।

हाईकोर्ट के इस आदेश को एक मिसाल के रूप में देखा जा रहा है जिसमें न्यायपालिका ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि किसी भी प्रक्रिया में पारदर्शिता और न्याय सर्वोपरि है, और यदि किसी अभ्यर्थी के साथ अन्याय हुआ है, तो उसकी जांच और पुनः मूल्यांकन करना सरकार की जिम्मेदारी है।

यह फैसला सिर्फ प्रभावित अभ्यर्थियों के लिए नहीं, बल्कि संपूर्ण भर्ती प्रणाली के लिए एक चेतावनी और सुधार का अवसर भी है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि भविष्य में किसी भी अभ्यर्थी के साथ इस प्रकार की परिस्थिति उत्पन्न न हो।

Published By : SANDEEP KR SRIVASTAVA Updated : Wed, 21 May 2025 12:35 PM (IST)
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Tags: allahabad highcourt police bharti 2018 uttar pradesh police

Category: law news uttar pradesh news

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