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काशी: अक्षय तृतीया पर 125 कन्याओं का भव्य सामूहिक विवाह, मोहन भागवत की उपस्थिति में ऐतिहासिक पहल

काशी: अक्षय तृतीया पर 125 कन्याओं का भव्य सामूहिक विवाह, मोहन भागवत की उपस्थिति में ऐतिहासिक पहल

वाराणसी में अक्षय तृतीया के अवसर पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की उपस्थिति में 125 कन्याओं का सामूहिक विवाह आयोजित किया गया, जिसमें सभी वर्गों के दूल्हों ने एक साथ बारात निकालकर सामाजिक एकता का संदेश दिया।

वाराणसी: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने एक बार फिर धर्मनगरी काशी से पूरे देश को सामाजिक समरसता और एकता का सशक्त संदेश देने की ऐतिहासिक पहल की है। अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर संघ प्रमुख मोहन भागवत की उपस्थिति में 125 बेटियों का सामूहिक विवाह कराया जाएगा। यह आयोजन केवल एक वैवाहिक समारोह नहीं, बल्कि जातीय भेदभाव के खिलाफ एक सशक्त सामाजिक अभियान के रूप में सामने आ रहा है।

कार्यक्रम की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि पहली बार सभी सामाजिक वर्गों, अगड़े, पिछड़े और दलित समुदायों के दूल्हे एक साथ घोड़ी, बग्घी और रथ पर सवार होकर बारात निकालेंगे। यह दृश्य भारतीय सामाजिक संरचना में बदलाव का प्रतीक माना जा रहा है, जहां अब तक कई इलाकों से दलित दूल्हों को बारात में घोड़ी से उतारने की खबरें आती रही हैं। लेकिन अब काशी की धरती से यह संदेश दिया जा रहा है कि समाज में हर वर्ग को समान गरिमा और सम्मान मिलना चाहिए।

शहर के शंकुलधारा पोखरे पर भव्य आयोजन की तैयारी की गई है, जहां 125 वेदियां सजाई जा रही हैं। यहीं पर विवाह की सभी विधियां संपन्न होंगी। खास बात यह है कि प्रत्येक वेदी पर वर-वधू के पांव पखारने के लिए शहर के प्रतिष्ठित नागरिक उपस्थित होंगे। इनमें अगड़े, पिछड़े और दलित सभी समुदायों के लोग शामिल होंगे। यही नहीं, विवाह संपन्न कराने वाले पुजारी भी केवल ब्राह्मण वर्ग से नहीं होंगे, बल्कि हर वर्ग से प्रतिनिधित्व किया जाएगा। यह पहली बार होगा जब धार्मिक रीति-रिवाजों में जातिगत सीमाएं टूटी नजर आएंगी।

समारोह में अंतरजातीय विवाह भी कराए जाएंगे, जो अपने आप में एक क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है। यह पहल संघ के उस मूल विचार को साकार कर रही है, जिसे संघ प्रमुख मोहन भागवत कई बार दोहरा चुके हैं। "एक मंदिर, एक कुआं, एक श्मशान" की अवधारणा। उनका मानना है कि हिन्दू समाज को एकसूत्र में बांधने के लिए यह आवश्यक है कि सभी वर्गों को समान सामाजिक अधिकार और सम्मान मिले।

सांस्कृतिक परंपरा और आधुनिक सामाजिक सुधार के इस संगम की शुरुआत शाम 4 बजे शंकुलधारा पोखरे से होने वाली भव्य बारात से होगी। ढोल-नगाड़े, बैंड-बाजे और आतिशबाजी के बीच बारात द्वारकाधीश मंदिर पहुंचेगी, जहां विवाह की विधियों का अंतिम चरण संपन्न होगा। एक वेदी पर स्वयं मोहन भागवत, संघ के क्षेत्र कार्यवाह वीरेंद्र जायसवाल और शहर के अनेक प्रतिष्ठित नागरिक बैठेंगे और परंपरागत तरीके से कन्यादान की सभी रस्में पूरी करेंगे। विवाह समारोह के उपरांत रामानंद विद्यालय में सभी वर्गों के बारातियों के लिए एकसाथ भोजन की व्यवस्था की गई है, जिससे समरसता का संदेश और भी गहरा होता है।

संघ के इस प्रयास की अगुवाई कर रहे वीरेंद्र जायसवाल का कहना है, "मैं ईश्वर का आभारी हूं। उनकी कृपा से मुझमें ऐसा विचार आया। इस कन्यादान महोत्सव में पूरे समाज की सहभागिता है। मैं तो बस निमित्त मात्र हूं।" उनके इस कथन में संघ की सोच का मूल भाव झलकता है, जो व्यक्तिगत नेतृत्व से अधिक सामूहिक प्रयासों को महत्व देता है।

इस आयोजन के माध्यम से आरएसएस ने न केवल सामाजिक समरसता की दिशा में एक ठोस कदम उठाया है, बल्कि यह भी स्पष्ट कर दिया है कि वह केवल विचार मंच तक सीमित नहीं है, बल्कि जमीन पर व्यावहारिक बदलाव की दिशा में काम कर रहा है। यह आयोजन संघ के आगामी शताब्दी वर्ष अभियानों की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें समाज के हर वर्ग को साथ लेकर एक समरस, सशक्त और संगठित राष्ट्र निर्माण की दिशा में कदम बढ़ाए जाएंगे। आने वाले वर्षों में देश के विभिन्न हिस्सों में इस तरह के और भी कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, ताकि भारतवर्ष की सामाजिक एकता को मजबूती मिल सके।

Published By : SANDEEP KR SRIVASTAVA Updated : Tue, 29 Apr 2025 01:18 PM (IST)
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Tags: varanasi news akshay tritiya samuhik vivah

Category: uttar pradesh social events

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