Sun, 20 Apr 2025 11:52:21 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी: धर्म और आस्था की नगरी काशी में इन दिनों एक तस्वीर को लेकर खासा बवाल मचा हुआ है। काशी के कोतवाल माने जाने वाले बाबा कालभैरव का एक फोटो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें बाबा के मुख के पास सिगरेट लगी हुई दिख रही है। इस तस्वीर के सामने आने के बाद श्रद्धालुओं के बीच गहरी नाराजगी देखने को मिल रही है। लोग इसे भगवान का अपमान मानते हुए तीखी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। सोशल मीडिया पर तमाम यूजर्स ने इस फोटो को भगवान के साथ खिलवाड़ करार दिया है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग उठाई है।
काशी कोतवाल कालभैरव मंदिर के प्रबंधन से जुड़े अधिकारियों ने इस वायरल तस्वीर को लेकर सफाई दी है। मंदिर प्रशासन के अनुसार, यह फोटो नया नहीं है, बल्कि काफी पुराना है, जिसे किसी शरारती तत्व ने जानबूझकर साजिश के तहत दोबारा वायरल किया है। प्रशासन ने भक्तों से संयम बरतने और अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की है। साथ ही इस मामले में जांच के लिए साइबर क्राइम सेल को सूचित कर दिया गया है ताकि असली दोषी तक पहुँचा जा सके।
बाबा कालभैरव का वाराणसी में विशेष महत्व
वाराणसी में बाबा कालभैरव का स्थान अत्यंत उच्च और विशिष्ट है। उन्हें काशी का कोतवाल अर्थात् नगर रक्षक कहा जाता है। मान्यता है कि काशी नगरी भगवान शिव की प्रिय नगरी है, और कालभैरव स्वयं शिव का रुद्रस्वरूप हैं, जो काशी की रक्षा का दायित्व निभाते हैं। कहा जाता है कि बिना कालभैरव के दर्शन किए काशी यात्रा अधूरी मानी जाती है। श्रद्धालु काशी विश्वनाथ के दर्शन से पहले या बाद में कालभैरव के दर्शन करना आवश्यक समझते हैं, ताकि उनकी यात्रा सफल और मंगलमयी हो।
बाबा कालभैरव को 'भय के नाशक' के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि कालभैरव की कृपा से सभी प्रकार के भय, संकट, और दुष्ट शक्तियों से मुक्ति मिलती है। कालभैरव केवल काशी ही नहीं, बल्कि पूरे सनातन धर्म में समय और मृत्यु के अधिपति के रूप में पूजनीय हैं। विशेष रूप से वाराणसी में बाबा कालभैरव का स्थान और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह नगरी स्वयं कालजयी कही जाती है, और इस कालजयी नगर की रक्षा का जिम्मा बाबा पर ही है।
बाबा का वाहन श्वान (कुत्ता) है, जो वफादारी और सचेतता का प्रतीक है। कालभैरव मंदिर में प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं, विशेष रूप से कालाष्टमी के दिन यहां विशाल आयोजन होता है। भक्तजन बाबा को मदिरा का भोग अर्पित करते हैं, जो कि कालभैरव पूजा की एक विशिष्ट परंपरा मानी जाती है। इसी विशेष परंपरा के चलते कई बार बाबा के शृंगार में कुछ रोचक और अनोखे दृश्य देखने को मिलते हैं, लेकिन सिगरेट जैसी आपत्तिजनक चीज़ को जोड़ना, भक्तों के अनुसार, एक दुर्भाग्यपूर्ण और अस्वीकार्य कृत्य है।
प्रशासन सख्त, दोषियों की तलाश जारी
मंदिर प्रशासन और स्थानीय पुलिस इस पूरे घटनाक्रम को गंभीरता से ले रही है। प्रशासन का कहना है कि बाबा के नाम पर किसी भी प्रकार की अवमानना या गलत प्रचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। साइबर क्राइम टीम इस बात का पता लगाने में जुटी है कि आखिर यह तस्वीर किसने वायरल की और इसके पीछे क्या मंशा थी। साथ ही चेतावनी दी गई है कि धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
वाराणसी के वरिष्ठ पुजारियों और धर्माचार्यों ने भी इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया है और भक्तों से संयम और धैर्य रखने की अपील की है। उन्होंने कहा कि बाबा कालभैरव की महिमा अमिट है और कोई भी नकारात्मक प्रयास उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल नहीं कर सकता।
काशी की आस्था, परंपरा और धर्मनिष्ठा का केंद्र बाबा कालभैरव, आज भी अपने भक्तों के बीच उसी श्रद्धा और विश्वास के साथ विराजमान हैं। ऐसी घटनाएं चाहे जितनी भी कोशिश कर लें, लेकिन काशी और उसके कोतवाल के बीच के अटूट संबंध को कभी भी कमजोर नहीं कर सकती है।