Wed, 28 May 2025 11:25:30 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी: बुधवार सुबह लगभग 7:10 बजे का वक्त था, जब गंगा की लहरें रोज़ की तरह शांत बह रही थीं। लेकिन इस बार, इन लहरों ने एक परिवार की खुशियों को सदा के लिए बहा लिया। देवरिया जिले से आए छह दोस्तों का समूह अस्सी घाट के उस पार गंगा में स्नान कर रहा था, जब एक हंसता-खेलता जीवन अचानक हमेशा के लिए थम गया। इस दुखद हादसे में 17 वर्षीय श्रेयांश सिंह, पुत्र रणजीत सिंह, की गंगा में डूबने से मृत्यु हो गई। श्रेयांश सलेमपुर थाना क्षेत्र का निवासी था और अपने दोस्तों के साथ गर्मी की छुट्टियों में वाराणसी आया था।
घटना उस वक्त हुई जब सभी दोस्त गंगा में नहा रहे थे। स्नान करते-करते दो दोस्त, श्रेयांश और अभिराज पासवान (पुत्र लल्लन पासवान), गहराई में चले गए और बहाव में डूबने लगे। कुछ ही पलों में यह मस्तीभरा पल एक भयावह मंजर में तब्दील हो गया। दोस्तों की चीख-पुकार सुनकर घाट पर मौजूद लोगों ने तुरंत जल पुलिस को सूचना दी। जल पुलिस की दशाश्वमेध टीम तत्काल मौके पर पहुंची और अपने साथ मौजूद अनुभवी गोताखोरों सनी, अजय और राकेश की मदद से बचाव कार्य शुरू किया। उनकी तत्परता और अनुभव के चलते अभिराज पासवान को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। लेकिन श्रेयांश को खोजने में कुछ देर हो गई। जब तक उसे निकाला गया, वह बेहोशी की हालत में था। उसे तत्काल रामनगर अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
इस हृदयविदारक घटना की जानकारी जब श्रेयांश के परिवार को दी गई, तो घर में कोहराम मच गया। एक बेटे की असामयिक मृत्यु की खबर ने माता-पिता और परिजनों को गहरे शोक में डुबो दिया। उनका रो-रो कर बुरा हाल है। कुछ समय पहले तक जो श्रेयांश दोस्तों संग हंसी-ठिठोली कर रहा था, वो अब इस दुनिया में नहीं रहा। उसकी मौत ने सभी को झकझोर कर रख दिया है।
स्थानीय लोग और वहां पर घूमने आए पर्यटक इस घटना से स्तब्ध हैं। गंगा में स्नान करने वाले युवाओं के लिए यह एक बड़ा सबक है कि उत्साह और मस्ती के बीच सावधानी न बरतना जानलेवा साबित हो सकता है। श्रेयांश, जो एक मेधावी छात्र और परिवार का उज्ज्वल भविष्य था, अब सिर्फ यादों में रह गया है।
गंगा, जो हमेशा से जीवनदायिनी मानी जाती है, आज एक परिवार के लिए पीड़ा की प्रतीक बन गई। जल पुलिस द्वारा समय रहते रेस्क्यू ऑपरेशन चलाने और अभिराज को बचाने की कोशिशें सराहनीय हैं, लेकिन श्रेयांश को बचा पाना संभव नहीं हो सका। और यह बात सबसे ज़्यादा चुभती है।
गंगा के तट पर अब भी उस सुबह की चीखें गूंजती हैं, दोस्तों की फूट-फूटकर रोती आंखों में श्रेयांश की आखिरी झलक बसी है। अस्सी घाट की लहरों ने भले ही उसे अपने आगोश में ले लिया, लेकिन उसकी यादें उन दोस्तों, उसके परिवार और इस शहर की सुबहों में हमेशा बनी रहेंगी।