Sat, 24 May 2025 22:51:44 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी: आज शनिवार को वाराणसी की धरती पर ऐसा दृश्य देखने को मिला, जिसने हर भारतीय के हृदय में गर्व और जोश भर दिया। तिरंगा यात्रा के माध्यम से न केवल राष्ट्रभक्ति का संदेश पूरे शहर में गूंजा, बल्कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की ऐतिहासिक सफलता का जश्न भी भव्य रूप से मनाया गया। इस आयोजन ने यह स्पष्ट कर दिया कि जब बात भारत की सुरक्षा और सम्मान की आती है, तो देश की जनता चाहे पुरुष हो या महिला एकजुट होकर खड़ी होती है।
तिरंगा यात्रा की शुरुआत महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से हुई और यह मलदहिया स्थित सरदार वल्लभभाई पटेल चौराहे से होती हुई संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय तक पहुंची। पूरे मार्ग में देशभक्ति का ऐसा उत्सव देखा गया, मानो शहर की हर गली, हर नुक्कड़ भारत माता के जयकारों से गूंज रहा हो। हजारों की संख्या में लोगों ने इसमें भाग लिया, जिसमें महिलाओं और युवतियों की भागीदारी विशेष रूप से उल्लेखनीय रही। पारंपरिक वेशभूषा में सजी महिलाएं, हाथ में तिरंगा थामे जब देशभक्ति के गीतों पर कदम मिलाकर चलीं, तो वह दृश्य भारतीय नारी शक्ति की दृढ़ता और समर्पण का प्रतीक बन गया।
इस यात्रा में बीजेपी के वरिष्ठ नेता, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, राष्ट्रीय महामंत्री सुनील बंसल और प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी जैसे प्रमुख राजनेता भी शामिल हुए। डिप्टी सीएम ने जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि यह तिरंगा यात्रा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय सेना द्वारा अंजाम दिए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की अद्वितीय सफलता को समर्पित है। उन्होंने कहा, “हमारे जवानों ने यह दिखा दिया कि भारत अब केवल रक्षा नहीं, आक्रामक जवाब देने में भी पूरी तरह सक्षम है। ऑपरेशन सिंदूर के तहत हमारी सेना ने पाकिस्तान को ऐसा जवाब दिया कि वह विश्व पटल पर भी शर्मसार हो गया।”
‘ऑपरेशन सिंदूर’ को भारतीय सेना की एक रणनीतिक और साहसी कार्रवाई माना जा रहा है, जिसने न केवल सीमा पार छुपे आतंक के ठिकानों को ध्वस्त किया, बल्कि यह संदेश भी दिया कि भारत की सहनशीलता को उसकी कमजोरी न समझा जाए। इस मिशन की सफलता का जश्न तिरंगा यात्रा के माध्यम से इस तरह मनाया गया, जिसमें हर नागरिक की आंखों में गर्व था और दिल में राष्ट्र के प्रति समर्पण।
इस यात्रा का सबसे आकर्षक पहलू वह विशाल तिरंगा था, जिसे सैकड़ों लोगों ने मिलकर उठाया और पूरे मार्ग में लहराया। यह तिरंगा केवल कपड़े का टुकड़ा नहीं, बल्कि राष्ट्र के गौरव और एकता का प्रतीक बन गया। देशभक्ति से भरे गीत, ढोल-नगाड़ों की गूंज और हर तरफ लहराता तिरंगा। यह सब कुछ मिलकर ऐसा माहौल रच रहे थे, मानो पूरा वाराणसी राष्ट्रप्रेम में डूब गया हो।
महिलाओं की भागीदारी ने इस आयोजन को और भी विशेष बना दिया। छात्राओं, गृहिणियों, शिक्षिकाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बड़ी संख्या में यात्रा में भाग लेकर यह प्रमाणित कर दिया कि आज की भारतीय नारी केवल प्रेरणा की स्रोत नहीं, बल्कि राष्ट्र के हर संघर्ष और विजय की भागीदार भी है। महिलाएं समूहों में नारे लगाते हुए, देशभक्ति के गीत गाते हुए, और कुछ स्थानों पर सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से सेना और देश के प्रति अपने भाव प्रकट करती नजर आईं।
इस आयोजन ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि भारत की आत्मा आज भी जीवंत है, और जब भी आवश्यकता होगी, देश का हर नागरिक, हर महिला और हर पुरुष, राष्ट्र की रक्षा और सम्मान में तन-मन-धन से जुट जाएगा। तिरंगा यात्रा के रूप में मनाया गया यह उत्सव न केवल ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता का उत्सव था, बल्कि यह भारत की जनता के अटूट संकल्प, नारी शक्ति की बढ़ती भागीदारी और भारतीय सेना के अदम्य साहस का प्रतीक बन गया।
वाराणसी की यह यात्रा इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई है।एक ऐसी यात्रा के रूप में, जिसमें न सिर्फ भारत का गौरव झलका, बल्कि उसमें महिलाओं और पुरुषों की एकजुटता और राष्ट्र के प्रति समर्पण भी साफ-साफ नजर आया। यह आयोजन आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा कि भारत का तिरंगा जब भी लहराता है, तो उसके नीचे 140 करोड़ दिल एक साथ धड़कते हैं।