वाराणसी में स्पा सेंटर्स की आड़ में अनैतिक गतिविधियों का बढ़ता जाल, प्रशासन पर उठे सवाल

प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में 50 से अधिक स्पा सेंटर्स में अनैतिक गतिविधियों के संचालित होने की आशंका जताई जा रही है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि इन संस्थानों में उच्च मूल्य की सेवाएं दी जा रही हैं।

Sun, 06 Apr 2025 16:33:01 - By : Dilip kumar

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र और आध्यात्मिक नगरी के रूप में प्रसिद्ध वाराणसी में स्पा सेंटर्स की आड़ में अनैतिक गतिविधियों का कथित रूप से विस्तार होता जा रहा है। बाबा विश्वनाथ की इस नगरी में यदि अवैध कार्य इतने खुलेआम संचालित हो रहे हैं, तो यह प्रशासनिक संवेदनशीलता और सतर्कता पर गंभीर प्रश्न खड़े करता है।

स्पा की आड़ में संदिग्ध गतिविधियाँ : स्थानीय सूत्रों के अनुसार, शहर में 50 से अधिक स्पा सेंटर्स ऐसे हैं, जहां अनैतिक देह व्यापार की गतिविधियाँ होने की आशंका जताई जा रही है। सोनिया, विद्यापीठ गली, मलदहिया (विनायक प्लाजा), सुंदरपुर, भेलूपुर, लंका, कैंट और सिगरा जैसे क्षेत्रों में स्थित कई स्पा सेंटर्स में यह कामकाज नियमित रूप से चलने की जानकारी सामने आई है।

कुछ प्रमुख स्पा सेंटर्स के नाम जो चर्चा में हैं:

⁍ लेमन स्पा सेंटर
⁍ कलर चीप स्पा
⁍ गोल्डन डोर स्पा

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि इन संस्थानों में ग्राहकों से 3000 से 5000 रुपये तक की राशि वसूली जाती है। कुछ हाई-प्रोफाइल मामलों में यह रकम और भी अधिक हो सकती है। यह भी सामने आया है कि इनमें आने वाले ग्राहक केवल आम व्यक्ति नहीं, बल्कि शहर के कुछ प्रतिष्ठित कारोबारी और समाजसेवी भी हैं।

वर्तमान भारतीय कानूनों के तहत इस तरह की गतिविधियों के लिए कोई वैध लाइसेंस नहीं होता। ऐसे में यह स्वाभाविक सवाल उठता है कि इन संस्थानों को किसके संरक्षण में ये काम करने की छूट मिली हुई है? स्थानीय थाना और चौकी स्तर पर अधिकारियों की चुप्पी ने इस संदेह को और गहरा कर दिया है।

सूत्रों का दावा है कि कुछ स्पा सेंटर्स में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, लेकिन उनकी निगरानी प्रणाली संदिग्ध है। कैमरे कहीं निगरानी के लिए तो नहीं बल्कि रिकॉर्डिंग और शोषण के अन्य माध्यमों के रूप में तो इस्तेमाल नहीं हो रहे? इस पर भी कोई स्पष्टता नहीं है।

इन सेंटर्स में कार्यरत महिलाओं की स्थिति भी चिंताजनक विषय है। यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि वे स्वेच्छा से कार्यरत हैं या किसी प्रकार के मानसिक, सामाजिक अथवा आर्थिक दबाव के तहत यह कार्य कर रही हैं। इस पहलू पर अब तक न तो कोई समाजिक संगठन सक्रिय हुआ है और न ही पुलिस प्रशासन ने कोई ठोस जांच की है।

चौंकाने वाली बात यह है कि जिले के किसी भी वरिष्ठ अधिकारी अथवा जनप्रतिनिधि द्वारा इस विषय पर कोई सख्त पहल नहीं की गई है। पूर्व में डीआईजी श्री लालजी शुक्ला द्वारा किए गए एक प्रभावी अभियान का उदाहरण हमारे सामने है, जब उन्होंने केबिन रेस्तरां के नाम पर चल रहे अवैध कारोबार पर कार्रवाई कर उसे बंद कराया था।

लेकिन अब ऐसा प्रतीत होता है कि यह अवैध व्यापार नए रूप में, नए स्थानों से दोबारा सक्रिय हो गया है।

धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत से समृद्ध वाराणसी में यदि इस प्रकार के अनैतिक कार्य प्रशासन की नाक के नीचे पनप रहे हैं, तो यह न केवल कानून व्यवस्था की विफलता है, बल्कि सामाजिक मूल्यों के क्षरण का भी संकेत है। आवश्यकता है कि प्रशासन तत्परता से इस ओर कदम उठाए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करे।

रिपोर्ट: दिलीप कुमार, यूपी खबर, वाराणसी

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