वाराणसी: काशी में टूटी परंपरा, पहली बार बदली शिव बारात की तारीख, महाशिवरात्रि पर नहीं होंगे आयोजन

वाराणसी में शिव बारात समिति ने महाकुंभ के पलट प्रवाह और प्रशासन की अपील पर 2025 में शिव बारात की तारीख बदलकर 27 फरवरी कर दी है, इस बार बारात का थीम महाकुंभ होगा।

Sun, 23 Feb 2025 23:46:05 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

वाराणसी: बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी की पवित्र धरती पर सदियों से चली आ रही शिव बारात की अनोखी परंपरा में इस बार एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है। शिव बारात समिति ने पहली बार इस आयोजन की तारीख में बदलाव किया है। महाशिवरात्रि के अगले दिन यानी 27 फरवरी, 2025 को शिव बारात निकाली जाएगी। यह निर्णय महाकुंभ के पलट प्रवाह और प्रशासन की अपील के चलते लिया गया है।

शिव बारात समिति के संरक्षक आरके चौधरी ने बताया कि इस बार शिव बारात का थीम महाकुंभ रखा गया है। उन्होंने कहा कि इस बार शोभायात्रा में विदेशों से भी सैकड़ों भक्त हिस्सा लेंगे। आने वाले भक्तों का गंगाजल से छिड़काव करके तिलक लगाकर भव्य स्वागत किया जाएगा।

शिव बारात में भगवान भोले नाथ के भक्त अनोखे रूप में दिखेंगे। बैलगाड़ी पर दूल्हा बने भोलेनाथ होंगे, तो बाराती बने काशीवासियों के बीच नागा साधु दिखेंगे। बनारसी मस्ती की झलक होगी। होलियाना अंदाज में निकलने वाली इस शिव बारात में दूसरे शहरों के लोग भी हिस्सा लेंगे।

देवाधिदेव महादेव के त्रिशूल पर बसी अविनाशी काशी में बाबा भोलेनाथ के भूत, पिशाच, ताल, बैताल, सभी देवी-देवताओं संग निकलने वाली दुनिया की पहली विश्व प्रसिद्ध शिव-बारात 27 फरवरी, गुरुवार को शाम 7 बजे निकाली जाएगी। बारात महामृत्युंजय मंदिर, दारानगर से उठकर मैदागिन, बुलानाला, चौक, बाबा धाम गोदौलिया होते हुए चितरंजन पार्क तक जाएगी। वहां वधू-पक्ष भांग ठंडई, माला-फूल से बारातियों की अगवानी करेगा।

नगर में निकलने वाली विश्व प्रसिद्ध शिव-बारात 43वें वर्ष में प्रवेश कर स्वर्ण जयंती की ओर अग्रसर है। इस बारात की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अब काशी के आस-पास के इलाके से ही नहीं बल्कि नेपाल, भूटान, मॉरीशस में भी शिव-बारात निकलने लगी है। इस शिव-बारात में शामिल होने के लिए देश के कोने-कोने से विदेशी भी बाराती बनने आते हैं।

काशी की इस अनूठी परंपरा में इस बार का बदलाव न केवल एक नई शुरुआत का प्रतीक है, बल्कि यह भक्तों के लिए एक और अवसर है कि वे भोले बाबा की इस दिव्य बारात में शामिल होकर अपनी आस्था को और मजबूत कर सकें। शिव बारात का यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह काशी की सांस्कृतिक विरासत को भी बढ़ावा देता है।

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