Thu, 12 Jun 2025 21:37:20 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी: रामनगर/गंगा की पावन धारा के किनारे बसा रामनगर आज एक गहरी चुप्पी में डूबा है। जनसंचार की दुनिया में अपनी बेबाक लेखनी से पहचान बनाने वाले वरिष्ठ पत्रकार मनोज श्रीवास्तव उर्फ डब्बू जी के परिवार में दुख की घड़ी आ पड़ी है। उनके बड़े भाई, बब्बू श्रीवास्तव जी, का गुरुवार की देर शाम निधन हो गया। यह खबर पूरे इलाके में दुख और स्तब्धता का सन्नाटा बिखेर गई।
प्राप्त जानकारी के अनुसार बब्बू श्रीवास्तव बीते दिन से अस्वस्थ चल रहे थे। परिवारजन उन्हें लेकर चिंतित थे, उम्मीदें थीं कि जल्द तबीयत सुधरेगी, लेकिन नियति ने कुछ और ही तय कर रखा था। गुरुवार की शाम, जब सूर्य अस्ताचल की ओर बढ़ रहा था, ठीक उसी वक़्त बब्बू जी ने अंतिम सांस ली। एक शांत, सरल, स्नेही और समर्पित व्यक्तित्व इस संसार से विदा हो गया, मगर उनके जाने की आहट ने पूरे रामनगर को भीतर तक हिला दिया।
बब्बू श्रीवास्तव न सिर्फ एक आदरणीय पारिवारिक पुरुष थे, बल्कि समाज में भी उनकी एक गहरी पहचान थी। व्यवहार में सौम्यता, आंखों में ममता और शब्दों में संयम का मेल बब्बू जी को हर दिल अज़ीज़ बना देता था। उनके निधन की सूचना जैसे ही फैली, जनसंदेश परिवार, पत्रकारिता जगत, स्थानीय नागरिक और शुभचिंतक स्तब्ध रह गए।
परिवार पर यह आघात भारी है, उनकी माता जी जो कि खुद ही अस्वस्थ चल रही है, उनका रो-रो कर बुरा हाल है।लेकिन सबसे ज्यादा टूटे हुए दिखे उनके छोटे भाई मनोज श्रीवास्तव "डब्बू जी", जो खुद वर्षों से पत्रकारिता की दुनिया में सच्चाई की मशाल लेकर चलते आ रहे हैं। एक ऐसा इंसान जिसकी कलम कभी रुकी नहीं, आज शब्दों से विह्वल है।
रामनगर के सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार, व्यापारी वर्ग और तमाम स्थानीय नागरिकों ने उनके आवास पर पहुंचकर शोक संवेदनाएं व्यक्त कीं। हर आंख नम थी, हर चेहरा मौन था। कोई कुछ बोल नहीं पा रहा था, बस आंखें बता रही थीं कि बब्बू जी की कमी कितनी गहरी है।
पिता तुल्य भाई के चले जाने का दर्द शब्दों में नहीं बंध सकता। यह एक ऐसी क्षति है, जिसकी भरपाई संभव नहीं। बब्बू श्रीवास्तव भले आज हमारे बीच न हों, मगर उनके संस्कार, उनके विचार और उनका स्नेह सदैव परिवार और समाज को मार्ग दिखाता रहेगा।
ईश्वर दिवंगत आत्मा को चिरशांति प्रदान करें और शोकसंतप्त परिवार को इस असहनीय दुख को सहने की शक्ति दे।
रामनगर आज सचमुच शोक में है। एक युग, एक आस्था और एक स्नेहिल छाया का अंत हो गया।
सौजन्य: न्यूज रिपोर्ट