Mon, 14 Apr 2025 15:22:08 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी: रविवार की रात जैसे ही घड़ी की सुइयां बारह बजाने को हुईं, चौबेपुर क्षेत्र के मुनारी बाजार में एक ऐसा मंजर घटा, जिसने मानवता को झकझोर दिया। एक तेज रफ्तार स्कॉर्पियो ने एक चलती बाइक को रौंद दिया, जिससे एक मासूम की मौके पर ही मौत हो गई और परिवार के तीन अन्य सदस्य ज़िंदगी और मौत के बीच झूलते नजर आए। यह हादसा महज एक सड़क दुर्घटना नहीं था। यह एक पूरे परिवार की खुशियों पर काली स्याही पोतने वाला खौफनाक पल था।
तेरहवीं से लौट रहा था परिवार, मिल गई मौत की दस्तक
प्राप्त जानकारी के अनुसार खेतलपुर निवासी कृष्ण कुमार ऊर्फ टाइगर (35), अपनी मां उर्मिला देवी (65), बेटी गुनगुन (5) और बेटे चीकू (3) को बाइक पर बैठाकर रिश्तेदार के यहां से तेरहवीं कार्यक्रम से घर लौट रहे थे। अंधेरी रात में उन्हें क्या पता था कि यह सफर उनके जीवन का सबसे दर्दनाक मोड़ बन जाएगा।
जैसे ही उनकी बाइक मुनारी बाजार चौराहे के पास पहुंची, चौबेपुर की ओर से आ रही एक तेज रफ्तार स्कॉर्पियो बेकाबू होकर सीधा उनकी बाइक से टकरा गई। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि सड़क पर चीख-पुकार मच गई। आसपास के लोग दहशत में घरों से बाहर निकल आए।
मासूम की मौत, बाकी जिंदगी की जंग में
घटना की सूचना मिलते ही प्रभारी निरीक्षक जगदीश कुशवाहा अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे और घायलों को तुरंत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, चोलापुर पहुंचाया। लेकिन 3 वर्षीय मासूम चीकू को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। मां, बेटी और कृष्ण कुमार की हालत गंभीर देख उन्हें पं. दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल रेफर कर दिया गया।
मासूम चीकू की मौत की खबर जैसे ही गांव पहुंची, खेतलपुर में कोहराम मच गया। एक मासूम की मुस्कान अब कभी नहीं लौटेगी, और एक मां की गोद हमेशा के लिए सूनी हो गई।
जिम्मेदार कौन
सवाल यह है कि ऐसी घटनाओं के पीछे आखिर जिम्मेदार कौन है। सड़कें क्या सिर्फ रफ्तार के लिए बनी हैं, कब थमेगा यह दर्दनाक सिलसिला। प्रशासन, परिवहन विभाग और समाज तीनों को मिलकर इस पर मंथन करने की जरूरत है।
पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और आगे की कार्रवाई की जा रही है।
भावनाओं की चुभन
इस घटना ने साबित कर दिया कि सड़क पर एक पल की लापरवाही किसी की पूरी दुनिया उजाड़ सकती है। वो तीन साल का मासूम चीकू, जो शायद अपने छोटे-छोटे सवालों और खिलौनों से दुनिया को जानने की कोशिश कर रहा था, अब सिर्फ तस्वीरों में रह गया है।
जब कोई परिवार अपने बच्चों की हँसी लेकर लौट रहा हो और सड़क पर मौत उन्हें अपने आगोश में ले ले, तो यह केवल एक खबर नहीं रह जाती, यह समाज की आत्मा पर चोट बन जाती है।