Sat, 31 May 2025 18:10:12 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी: रामनगर के गुरुद्वारा सिंह सभा में कई महीनों से चला आ रहा प्रधान पद का विवाद आज एक ऐतिहासिक समाधान की ओर पहुँचा, जब स्थानीय प्रशासन और समुदाय की आपसी समझदारी से एक शांतिपूर्ण चुनाव का रास्ता तय किया गया। यह संयोग भी कम नहीं कि यह ऐतिहासिक निर्णय सिखों के पंचम गुरु श्री गुरु अर्जुन देव जी की पावन जयंती के दिन हुआ, जिसने इस पूरे घटनाक्रम को एक आध्यात्मिक और सामाजिक गहराई दी।
राजू सिंह की निर्णायक भूमिका और ‘यूपी खबर’ की सशक्त रिपोर्टिंग
इस घटनाक्रम में रामनगर के थाना प्रभारी निरीक्षक श्री राजू सिंह की भूमिका को लोग बेहद सराह रहे हैं। उन्होंने न केवल दोनों गुटों के बीच मध्यस्थता कर विवाद को सुलझाया, बल्कि आज सुबह अर्जुन देव जी की जयंती पर हुई मारपीट की घटना के बाद भी सक्रियता से स्थिति को संभाला। यह वही घटना थी, जिसे ‘यूपी खबर’ ने प्रमुखता से उठाया और जिसमें राजू सिंह ने खुद मारपीट का आरोप दर्ज किया था। प्रशासन की सतर्कता और मीडिया की सजगता ने मिलकर माहौल को बिगड़ने से रोका।
समझदारी और सद्भाव का संदेश
पारंपरिक पर्ची प्रणाली द्वारा चुनाव की सहमति पर आज शाम 8:00 बजे गुरुद्वारा परिसर में चुनाव संपन्न होगा, जिसमें एक छोटे बालक के हाथों से दो नामों, सरदार गुरजीत सिंह और सरदार मंजीत सिंह “मन्नू” (मलिक सिंह जसबीर सिंह) में से एक की पर्ची निकाली जाएगी, जो अगले दो वर्षों तक गुरुद्वारा सिंह सभा के प्रधान पद की जिम्मेदारी संभालेंगे। निवर्तमान प्रधान सरदार दलबीर सिंह का स्वेच्छा से दिया गया इस्तीफा भी समुदाय की परिपक्वता का परिचायक रहा।
गुरु अर्जुन देव जी की जयंती पर आया समझौता – एक प्रतीकात्मक संदेश
यह विशेष उल्लेखनीय है कि यह ऐतिहासिक निर्णय सिखों के पांचवें गुरु श्री गुरु अर्जुन देव जी की जयंती के दिन हुआ। गुरु अर्जुन देव जी न केवल सिख इतिहास के महान संत और विचारक थे, बल्कि उन्होंने सहिष्णुता, बलिदान और मानव सेवा की मिसाल पेश की थी।
गुरु अर्जुन देव जी (1563–1606) सिख धर्म के पहले शहीद गुरु माने जाते हैं। उन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब का संकलन किया और सिखों के लिए आध्यात्मिक मार्गदर्शन को स्थायित्व प्रदान किया। उन्होंने स्वर्ण मंदिर (हरिमंदिर साहिब) की नींव रखवाने में भी अग्रणी भूमिका निभाई। गुरु जी ने सभी धर्मों और जातियों के लोगों को बराबरी का अधिकार दिया और धार्मिक सहिष्णुता का संदेश दिया। मुग़ल बादशाह जहाँगीर के शासन में, जब धार्मिक अत्याचार अपने चरम पर था, तब गुरु अर्जुन देव जी ने अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया और अंततः उन्होंने शहादत दी।
उनकी शहादत, धार्मिक स्वतंत्रता और सच्चाई के लिए एक महान बलिदान के रूप में आज भी याद की जाती है। उनका जीवन सिखों ही नहीं, पूरे मानव समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत है। आज उनकी जयंती पर रामनगर गुरुद्वारा में जो सौहार्द्र और समझौता देखने को मिला, वह गुरु जी की शिक्षाओं का जीवंत उदाहरण है।
समाज और प्रशासन की संयुक्त जीत
आज का दिन रामनगर के लिए इसलिए भी ऐतिहासिक है क्योंकि यह साबित हुआ कि जब समुदाय के लोग आपसी संवाद और सद्भाव से निर्णय लेते हैं, और जब प्रशासन निष्पक्षता से नेतृत्व करता है, तो सबसे कठिन स्थितियाँ भी सुलझ सकती हैं। थाना प्रभारी राजू सिंह की दूरदर्शिता और संयम के साथ, दोनों गुटों की समझदारी ने क्षेत्र में सामाजिक एकता को मजबूती दी है।
स्थानीय निवासियों, गुरुद्वारा समिति और सभी संबंधित पक्षों को आज की इस सफलता के लिए बधाई दी जा रही है। यह न केवल एक धार्मिक संगठन की आंतरिक व्यवस्था का समाधान है, बल्कि एक समाज के परिपक्व होते दृष्टिकोण का प्रमाण भी है।
— सौजन्य: NEWS REOPRT