Sat, 07 Jun 2025 21:39:56 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी: शहर की सड़कों पर कानून व्यवस्था को चुनौती देना अब भारी पड़ता दिख रहा है। जेल से रिहा हुए आरोपी आबिद शेख के स्वागत में बिना किसी प्रशासनिक अनुमति के निकाले गए विजय जुलूस पर वाराणसी पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए मुख्य आरोपी आबिद शेख सहित दो अन्य को हिरासत में ले लिया है। इसके साथ ही लापरवाही बरतने के आरोप में तेलियाबाग चौकी प्रभारी शिवम श्रीवास्तव को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
घटना शुक्रवार देर शाम की है, जब शहर के चेतगंज क्षेत्र में उस समय अफरा-तफरी मच गई, जब आपराधिक मामलों में जेल से छूटे आबिद शेख ने अपने समर्थकों के साथ खुली गाड़ी में भव्य जुलूस निकाला। इस दौरान भारी संख्या में जुटे समर्थकों ने न केवल आपत्तिजनक नारे लगाए, बल्कि प्रशासनिक नियमों की खुल्लमखुल्ला अवहेलना भी की। "भाई अपना छूट गया, जेल का ताला टूट गया" जैसे उत्तेजक नारों से माहौल गूंज उठा। यही नहीं, भीड़ द्वारा लगाए गए कुछ नारे शासन-प्रशासन को सीधी चुनौती दे रहे थे।
प्रशासन के अनुसार, यह जुलूस बिना किसी पूर्व अनुमति के निकाला गया था, जो सीधे तौर पर कानून का उल्लंघन है। चेतगंज इलाके की सड़कों पर निकाले गए लंबे जुलूस के चलते काशी विश्वनाथ मंदिर जाने वाली सड़क पर गंभीर जाम लग गया, जिससे श्रद्धालुओं और पर्यटकों को काफी असुविधा का सामना करना पड़ा।
पुलिस जांच में यह भी सामने आया है कि जुलूस में समाजवादी पार्टी (सपा) के कुछ कार्यकर्ता भी शामिल थे, जिनकी पहचान की जा रही है। इन पर भी नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। पुलिस आयुक्त के निर्देश पर संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और अन्य लोगों की भी पहचान कर उन्हें नोटिस भेजे जा रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, आबिद शेख पहले भी लूट, मारपीट और अन्य गंभीर आपराधिक मामलों में जेल जा चुका है। हाल ही में जमानत पर छूटकर बाहर आया था। जेल से रिहा होने के बाद इस तरह का प्रदर्शन प्रशासन के लिए एक चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। पुलिस और खुफिया तंत्र को अब यह निर्देश दिए गए हैं कि ऐसे मामलों में कोई ढिलाई नहीं बरती जाएगी।
वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट ने स्पष्ट किया है कि शहर की शांति व्यवस्था को भंग करने की किसी भी कोशिश को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। प्रशासन ने यह भी संकेत दिए हैं कि ऐसे मामलों में अब रासुका (राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम) जैसे कठोर प्रावधानों के तहत भी कार्रवाई की जा सकती है, ताकि भविष्य में कोई अपराधी खुलेआम कानून को ठेंगा न दिखा सके।
इस पूरे प्रकरण ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की 'जीरो टॉलरेंस' नीति के तहत कानून व्यवस्था के खिलाफ कोई भी कदम अब सख्त सजा की दिशा में जाएगा। वाराणसी जैसे धार्मिक और पर्यटन केंद्र में इस प्रकार की घटनाएं न केवल छवि को धूमिल करती हैं, बल्कि आमजन की सुरक्षा और सुविधा पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा करती हैं।
प्रशासन की इस सख्त कार्रवाई से एक संदेश स्पष्ट है। कानून का उल्लंघन करने वालों को किसी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वे कितनी भी भीड़ या राजनीतिक रसूख के साथ क्यों न आएं।
सौजन्य: न्यूज रिपोर्ट