वाराणसी: बेटे की मौत की खबर सुनकर मां ने भी तोड़ा दम, गांव में छाया मातम

वाराणसी के राम रायपुर गांव में एक दर्दनाक घटना घटी, जिसमें एक बेटे की सड़क हादसे में मौत के बाद सदमे में आई मां ने भी आत्महत्या कर ली, जिससे पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई।

Fri, 21 Mar 2025 12:52:55 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

वाराणसी: कभी-कभी जिंदगी इतनी बेरहम हो जाती है कि एक ही दिन में पूरे परिवार की खुशियाँ छिन जाती हैं। लोहता थाना क्षेत्र के राम रायपुर गांव में बीती रात कुछ ऐसा ही मंजर देखने को मिला, जिसने हर किसी की आंखें नम कर दीं। एक मां ने अपने जवान बेटे की अर्थी उठने से पहले खुद को भी काल के गाल में सौंप दिया।

27 वर्षीय विनय कुमार सिंह, अपने गांव का सबसे होनहार बेटा था। गुरुवार रात करीब 10 बजे वह अपनी बुलेट मोटरसाइकिल से परमपुर रिंग रोड की ओर निकला था। किसे पता था कि यह उसकी जिंदगी की आखिरी सवारी होगी। रास्ते में संदिग्ध हालात में बाइक से गिरा और सड़क पर लहूलुहान हो गया। राहगीरों ने मानवता दिखाई, पुलिस को खबर दी। जंसा पुलिस ने फौरन एंबुलेंस से ट्रॉमा सेंटर भिजवाया, लेकिन अस्पताल पहुँचने से पहले ही विनय ने दम तोड़ दिया।

जब यह मनहूस खबर विनय की मां समलावती देवी तक पहुँची, तो मानो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। छह महीने पहले पति को खो चुकीं समलावती देवी के लिए बेटे का जाना असहनीय था। वह बदहवास होकर कभी ज़मीन पर गिरतीं, कभी अपने भाग्य को कोसतीं। सुबह करीब 5 बजे, जब गांव के लोग यह सोचकर उनके पास थे कि मां को ढांढस बंधाएं, तब तक वह खुद को चुपचाप बनकट गांव के पास रेलवे ट्रैक तक ले जा चुकी थीं। एक झटके में ट्रेन के आगे कूदकर उन्होंने अपने बेटे के पीछे-पीछे दुनिया छोड़ दी।

राम रायपुर गांव में शुक्रवार की सुबह दो अर्थियों की तैयारी हो रही थी। बेटा और मां दोनों की एक साथ विदाई। पूरा गांव स्तब्ध है। कोई कुछ कहने की स्थिति में नहीं। लोग एक-दूसरे से नजरें मिलाने से बच रहे हैं, क्योंकि हर आंख में आंसू तैर रहे हैं। कोई कह रहा था, किसी की बदनसीबी इतनी गहरी भी हो सकती है। चार बहनों और दो भाइयों में विनय सबसे छोटा था। बहनों की शादी हो चुकी है, बड़े भाई विक्की अब अकेले बचे हैं। पिता पहले ही लंबी बीमारी में गुजर चुके थे।

विनय के गिरने और मौत के कारणों को लेकर पुलिस जांच में जुटी है। सीसीटीवी खंगाले जा रहे हैं, लेकिन शायद पुलिस भी जानती है कि हादसे की असली वजह से ज्यादा बड़ा सवाल यह है। एक मां का दिल आखिर कितना टूट गया था कि वो अपने बेटे के बिना जीने की कल्पना तक नहीं कर सकीं।

यह खबर नहीं, एक बेजान घर की करुण पुकार है।
जहां दीवारें चुप हैं, दरवाजे मौन हैं...
जहां मां-बेटे दोनों की चिता की राख एक साथ ठंडी हो रही है।

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