वाराणसी: आईएएस की तैयारी कर रहे छात्र ने कमरे में फांसी लगाकर की आत्महत्या, मां के नाम लिखी चिट्ठी

वाराणसी के सिगरा थाना क्षेत्र में आईएएस की तैयारी कर रहे 28 वर्षीय छात्र प्रेम शर्मा ने अपने किराए के कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली, कमरे से एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है।

Wed, 05 Feb 2025 16:19:45 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

वाराणसी: सिगरा थाना क्षेत्र के हरि नगर कॉलोनी में बुधवार की सुबह एक दर्दनाक घटना सामने आई। आईएएस की तैयारी कर रहे प्रेम शर्मा (28) नामक छात्र ने अपने किराए के कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मूल रूप से मऊ निवासी प्रेम शर्मा पिछले चार वर्षों से वाराणसी में रहकर सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहा था।

सोमवार को प्रेम ने पूरा दिन दरवाजा नहीं खोला, जिससे उसके दोस्तों को शक हुआ। बार-बार दरवाजा खटखटाने के बावजूद कोई जवाब न मिलने पर मकान मालिक और पुलिस को सूचना दी गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने दरवाजा तोड़ा, तो अंदर प्रेम का शव पंखे से लटका मिला। कमरे में बिखरी किताबें और दीवारों पर चिपके नोट्स उसकी मेहनत की गवाही दे रहे थे।

पुलिस को कमरे से एक सुसाइड नोट मिला, जिसमें प्रेम ने लिखा, मां, मैं आपके सपने को पूरा नहीं कर पाया। मुझे माफ कर देना। इस पत्र ने हर किसी की आंखें नम कर दीं। बताया जा रहा है कि आत्महत्या की वजह परीक्षा की तैयारी का तनाव और मानसिक दबाव हो सकता है।

प्रेम की मौत की खबर सुनते ही परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। पिता ने रोते हुए कहा, मेरा बेटा बहुत मेहनती था। उसने कभी हार नहीं मानी, लेकिन पता नहीं उसे ऐसा कदम क्यों उठाना पड़ा। बताया जा रहा है कि प्रेम ने आत्महत्या से एक रात पहले अपनी मां से फोन पर बात की थी और कहा था, सब ठीक है, मैं जल्द ही क्वालीफाई कर लूंगा और आप सबका नाम रोशन करूंगा।

विशेषज्ञों का कहना है कि प्रतियोगी परीक्षाओं का दबाव युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डाल रहा है। आईएएस जैसी कठिन परीक्षा की तैयारी में छात्रों को अत्यधिक मानसिक दबाव झेलना पड़ता है। मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि छात्रों को मानसिक रूप से मजबूत बनाए जाने की जरूरत है, ताकि वे असफलताओं से डरकर ऐसा आत्मघाती कदम न उठाएं।

फिलहाल पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और मामले की जांच जारी है। प्रारंभिक जांच में आत्महत्या का कारण मानसिक तनाव बताया जा रहा है, लेकिन पुलिस अन्य पहलुओं की भी जांच कर रही है। इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों को पर्याप्त मानसिक सहायता मिल रही है? समाज को यह समझना होगा कि सफलता जरूरी है, लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरी है मानसिक और भावनात्मक संतुलन।

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