Mon, 26 May 2025 21:59:05 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी: इंसानी जज़्बातों को भीतर तक झकझोर देने वाली एक त्रासद घटना ने पूरे पुलिस महकमे को स्तब्ध कर दिया है। रविवार की रात, वाराणसी के पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल के कैंप ऑफिस परिसर में एक 38 वर्षीय होमगार्ड अमेरिका पटेल ने फंदा लगाकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। इस हृदयविदारक घटना की सूचना मिलते ही कैंट थाने की पुलिस मौके पर पहुँची और मृतक का शव पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। यह हादसा केवल एक आत्महत्या भर नहीं है—यह एक ऐसी संवेदनशील कहानी है जो मानसिक स्वास्थ्य, अकेलेपन और आंतरिक संघर्षों की अनकही पीड़ा को उजागर करती है।
मंगारी निवासी अमेरिका पटेल, जो इन दिनों पुलिस आयुक्त कार्यालय की सुरक्षा व्यवस्था में तैनात थे, बीते कुछ समय से गंभीर मानसिक व शारीरिक तनावों से जूझ रहे थे। पुलिस की प्रारंभिक जांच में यह जानकारी सामने आई है कि वे स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण निरंतर बेचैनी और मानसिक अशांति के शिकार थे। उन्हें नींद न आने की गंभीर समस्या थी और उनका व्यवहार कई बार चिड़चिड़ेपन की ओर झुक जाता था। इसके साथ ही, वे आत्मिक और मानसिक रूप से भी किसी अदृश्य भय, जैसे भूत-प्रेत जैसी मानसिक बाधाओं से ग्रसित महसूस करते थे। यह एक गहरी मानसिक अवस्था को दर्शाता है, जो लंबे समय से उनके भीतर पल रही थी, और शायद यह कोई ऐसी पुकार थी जिसे कोई ठीक से सुन नहीं पाया।
रविवार देर रात जब उनके साथी पुलिसकर्मियों ने उन्हें ड्यूटी स्थल पर नहीं देखा तो चिंतित होकर उनकी तलाश शुरू की गई। काफी देर तक खोजबीन के बाद वे पुलिस आयुक्त कार्यालय परिसर के एक कोने में फंदे से लटके मिले। यह दृश्य न केवल भावनात्मक रूप से तोड़ देने वाला था, बल्कि यह भी दर्शाता है कि सार्वजनिक सुरक्षा के जिम्मेदारों के कंधों पर उनके अपने जीवन का कितना भारी बोझ होता है, जिसे वे अक्सर दूसरों से छुपा लेते हैं।
घटना की सूचना मिलते ही कैंट थाना पुलिस और फॉरेंसिक टीम मौके पर पहुंची और आवश्यक कानूनी प्रक्रिया पूरी कर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। इस संबंध में वरुणा ज़ोन के डीसीपी प्रमोद कुमार ने बताया कि प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, यह मामला स्वास्थ्य और मानसिक तनावों से जुड़ा प्रतीत होता है। उन्होंने यह भी कहा कि मृतक के परिजनों से विस्तृत बातचीत की जा रही है, ताकि आत्महत्या के पीछे की सही वजह का पता लगाया जा सके।
यह घटना हमें यह सोचने पर विवश करती है कि वर्दी के पीछे छुपे इन सिपाहियों के भी अपने दुख, डर और दर्द होते हैं। जिस होमगार्ड ने दूसरों की सुरक्षा का जिम्मा उठाया, वह खुद अंदर से कितना असुरक्षित महसूस कर रहा था, इसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल है। आज जब हम मानसिक स्वास्थ्य को लेकर धीरे-धीरे जागरूक हो रहे हैं, तब ऐसी घटनाएं इस बात का साफ संकेत देती हैं कि ज़मीनी स्तर पर और भी गहराई से ध्यान देने की ज़रूरत है। खासतौर पर सुरक्षा बलों और वर्दीधारियों के मानसिक संतुलन और भावनात्मक ज़रूरतों पर।
इस घटना ने पुलिस विभाग को भीतर तक हिला दिया है, और वरिष्ठ अधिकारियों ने संवेदना व्यक्त करते हुए आश्वासन दिया है कि वे इस मामले की गंभीरता से जांच कर रहे हैं। साथ ही, यह भी संकेत दिया गया है कि भविष्य में ऐसे हादसों की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए कर्मियों के मानसिक स्वास्थ्य की निगरानी और परामर्श सेवाओं की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे।
अमेरिका पटेल अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी यह चुपचाप चली गई ज़िंदगी एक अनकही कहानी छोड़ गई है।एक ऐसी कहानी, जो समाज, प्रशासन और हम सभी से यह सवाल पूछती है: क्या हम अपने आसपास के लोगों के भीतर चल रही जंग को समझ पा रहे हैं।