Thu, 22 May 2025 20:04:03 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
वाराणसी: कमिश्नरेट पुलिस ने फर्जी क्रिप्टोकरेंसी "BSG" के नाम पर करोड़ों रुपये की साइबर ठगी करने वाले संगठित गिरोह का पर्दाफाश करते हुए गैंग के सरगना सहित तीन शातिर साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार अभियुक्तों के कब्जे से पांच मोबाइल फोन, दो लैपटॉप, एक पेन ड्राइव और 98,000 रुपये नकद बरामद किए गए हैं। यह कार्रवाई वाराणसी साइबर क्राइम थाना में दर्ज एक बहुचर्चित केस के सिलसिले में की गई है, जिसमें पीड़ितों से करीब 16.5 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की गई थी।
इस मामले की शुरुआत 14 मई 2025 को हुई जब रामपुर, थाना रामनगर निवासी राजकुमार गोंड ने साइबर क्राइम थाना, कमिश्नरेट वाराणसी में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके और उनके सहयोगियों के साथ BSG नामक एक फर्जी क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से भारी साइबर ठगी की गई है। मामले में IPC की धारा 406, 420, 120बी और आईटी एक्ट की धारा 66डी के तहत आठ आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया, जिसकी विवेचना निरीक्षक राजकिशोर पांडेय द्वारा की जा रही है।
पुलिस आयुक्त श्री मोहित अग्रवाल और पुलिस उपायुक्त अपराध श्री सरवनन टी के निर्देशन में तथा अपर पुलिस उपायुक्त श्रीमती श्रुति श्रीवास्तव और सहायक पुलिस आयुक्त श्री विजय प्रताप सिंह के नेतृत्व में एक विशेष टीम का गठन किया गया। गठित तीन टीमों ने वाराणसी, सोनभद्र, लखनऊ और मुजफ्फरनगर सहित कई स्थानों पर तकनीकी और मानवीय खुफिया के माध्यम से छापेमारी की। कड़ी मेहनत और लगातार निगरानी के बाद पुलिस ने गैंग के मास्टरमाइंड सहित तीन अभियुक्तों को गिरफ्तार किया।
गिरफ्तार अभियुक्तों की पहचान राजकुमार मौर्या (28 वर्ष, बदायूं), अर्जुन शर्मा (34 वर्ष, उन्नाव) और दानिश खान (24 वर्ष, वाराणसी) के रूप में हुई है। गिरोह ने "busdglobal.com" और "www.mbsgworld.com" जैसी फर्जी वेबसाइटें बनाकर BSG नामक फर्जी टोकन तैयार किया था। इस टोकन को वेन्डेक्स नामक एक्सचेंज पर लिस्ट करवाकर मल्टी लेवल मार्केटिंग (MLM) के ढांचे पर आम जनता से पैसा निवेश करवाया गया। प्रारंभिक चरण में निवेशकों को भारी बोनस और मुनाफा दिखाकर उनका भरोसा जीता गया, लेकिन जैसे-जैसे निवेश बढ़ा, इन अपराधियों ने BSG टोकन को एक्सचेंज से हटा दिया और सारा पैसा लेकर फरार हो गए।
यह ठगी सुनियोजित तरीके से अंजाम दी गई थी, और गिरोह की संरचना अत्यंत पेशेवर थी। उनके पास अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और एक सुव्यवस्थित ऑनलाइन ढांचा मौजूद था। इससे पहले भी इसी केस में एक अन्य अभियुक्त शुभम उर्फ विशाल मौर्या (21 वर्ष, मिर्जापुर निवासी) को गिरफ्तार किया जा चुका है। मुख्य अभियुक्त राजकुमार मौर्या पर पहले से ही थाना चन्दौसी, जिला सम्भल में गंभीर धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज है, जिसमें धारा 328, 376, 506 और 120बी शामिल हैं।
बरामदगी में जिन उपकरणों को जब्त किया गया है, उनकी अनुमानित कीमत लगभग साढ़े पांच लाख रुपये आंकी गई है। इनमें पांच मोबाइल (कीमत लगभग चार लाख रुपये), दो लैपटॉप (करीब डेढ़ लाख रुपये), एक पेन ड्राइव और 98,000 रुपये नकद शामिल हैं।
इस पूरे अभियान को सफल बनाने वाली पुलिस टीम में निरीक्षक अजय राज वर्मा, विजय नारायण मिश्र, राजकिशोर पाण्डेय, विजय कुमार यादव, दीनानाथ यादव, विपिन कुमार, उपनिरीक्षक राकेश सिंह, संजीव कनौजिया, शैलेन्द्र कुमार, आलोक रंजन सिंह, एसएसआई श्याम लाल गुप्ता सहित कुल 30 से अधिक पुलिसकर्मी शामिल थे। महिला पुलिसकर्मी प्रीति सिंह, अंकिता सिंह और संगीता देवी की भी इस कार्रवाई में सक्रिय भूमिका रही। सोशल मीडिया सेल और तकनीकी विश्लेषकों की भूमिका भी सराहनीय रही, जिनकी मदद से इस साइबर गिरोह का डिजिटल नेटवर्क ट्रैक कर गिरफ्तारियां संभव हो सकीं।
पुलिस उपायुक्त, अपराध के अनुसार, यह कार्रवाई साइबर अपराधों के खिलाफ कमिश्नरेट की प्रतिबद्धता को दर्शाती है और भविष्य में इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए एक मिसाल बन सकती है। पुलिस टीम को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रशंसा पत्र दिए जाने की संस्तुति भी की गई है। साथ ही आम जनमानस को आगाह किया गया है कि वे किसी भी प्रकार के निवेश से पहले उसकी प्रामाणिकता की जांच जरूर करें, खासकर क्रिप्टोकरेंसी जैसी अपारदर्शी स्कीमों में।
पुलिस की विवेचना अभी भी जारी है और शेष अभियुक्तों की तलाश के लिए लगातार छापेमारी की जा रही है। यह माना जा रहा है कि इस ठगी में और भी कई चेहरे शामिल हो सकते हैं, जिनकी भूमिका की जांच की जा रही है। इस गिरफ्तारी से साइबर अपराधियों में हड़कंप मच गया है और पुलिस के इस कदम को व्यापक सराहना मिल रही है।