विधायकों को अब सिर्फ दो पास, विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने पुराने पास किए निरस्त

उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने विधायकों के पास के दुरुपयोग को रोकने के लिए बड़ा फैसला लिया है, जिसके तहत अब विधायकों को सिर्फ 2 RFID पास ही मिलेंगे, पुराने सभी पास अप्रैल अंत तक निरस्त।

Thu, 20 Mar 2025 12:06:38 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में विधायकों की पास पॉलिटिक्स पर अब रोक लगने जा रही है। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने सख्त रुख अपनाते हुए अप्रैल के अंत तक पहले से जारी सभी विधानसभा पास निरस्त करने का आदेश दे दिया है। इसके साथ ही अब नई तकनीक आधारित रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) पास जारी किए जाएंगे। खास बात यह है कि नए नियम के तहत किसी भी विधायक को अधिकतम सिर्फ 2 पास ही मिलेंगे।

विधानसभा पास का मुख्य उद्देश्य विधायकों और उनके प्रतिनिधियों को विधानसभा भवन में प्रवेश देना है। लेकिन बीते समय में इन पासों का टोल प्लाजा पर टोल शुल्क बचाने, सचिवालय भवनों में बेरोकटोक एंट्री, एयरपोर्ट पार्किंग और अन्य सार्वजनिक स्थलों पर भी विशेषाधिकार दिखाने के लिए दुरुपयोग किया जा रहा था। कई विधायकों के पासों की संख्या 10 से 15 तक पहुंच गई थी। विधानसभा सचिवालय से मिली जानकारी के अनुसार, सिफारिश और रसूख के बल पर विधायक मनचाही संख्या में पास जारी करवा लेते थे।

हर विधायक को सिर्फ 2 पास जारी किए जाएंगे, एक पास विधायक के निजी वाहन के लिए, दूसरा पास विधायक के सहयोगी या प्रतिनिधि के वाहन के लिए, पूर्व विधायकों को सिर्फ 1 पास मिलेगा।
पहले से जारी सभी पास अप्रैल के अंत तक निरस्त कर दिए जाएंगे। पास अब RFID टेक्नोलॉजी से लैस होंगे, जिससे बिना फिजिकल चेकिंग के गाड़ी खुद-ब-खुद रजिस्टर हो जाएगी।

राजधानी लखनऊ के सचिवालय भवनों में पहले से ही RFID रीडर बैरियर सिस्टम लगे हैं। गाड़ी गेट पर पहुँचते ही RFID रीडर पास को स्कैन कर बैरियर अपने आप खोल देगा। यह सिस्टम विधान भवन के गेट नंबर 2, 5, 7, 9 और अन्य प्रमुख भवनों – बापू भवन, एनेक्सी, योजना भवन व लोक भवन में पहले से सक्रिय है।

पासों के जरिए टोल टैक्स में छूट का गैरकानूनी फायदा उठाया जा रहा था। असीमित पासों के जरिए सचिवालय भवन में मनचाहे लोगों की बेरोकटोक आवाजाही हो रही थी। विधायक पासों का इस्तेमाल सार्वजनिक स्थानों पर शक्ति प्रदर्शन के लिए भी होने लगा था। कानून व्यवस्था और सुरक्षा दृष्टि से यह एक गंभीर खतरा बनता जा रहा था।

नए नियम को लेकर कुछ विधायकों ने असहमति जताई है। उनका कहना है कि कई बार एयरपोर्ट या अन्य जगहों पर उनके लिए गाड़ियां आती-जाती हैं। ऐसे में पास वाहन के नाम पर न होकर विधायक के नाम पर ही होना चाहिए। लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने स्पष्ट कर दिया है कि नियम सभी पर समान रूप से लागू होंगे।

मोटर व्हीकल एक्ट समेत सभी नियमों के तहत अब कोई भी विशेषाधिकार प्राप्त व्यक्ति नियमों का उल्लंघन नहीं कर पाएगा। अगर वाहन में विधायक स्वयं नहीं हैं, तो टोल शुल्क देना अनिवार्य होगा।

विधानसभा पासों की मनमानी अब बीते दिनों की बात होगी। सीमित और टेक्नोलॉजी आधारित पास व्यवस्था न सिर्फ पारदर्शिता लाएगी, बल्कि सुरक्षा और अनुशासन भी सुनिश्चित करेगी। विधानसभा अध्यक्ष महाना का यह कदम विधायकों की विशेषाधिकार संस्कृति पर अंकुश लगाने की दिशा में अहम माना जा रहा है।

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