UP में बिजली कर्मचारियों का बेमियादी कार्य बहिष्कार 29 मई से, उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ सकता है खामियाजा

पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण कंपनियों के निजीकरण के विरोध में उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारियों और अभियंताओं ने 29 मई से बेमियादी कार्य बहिष्कार का ऐलान किया है, जिससे राज्यभर में बिजली व्यवस्था प्रभावित हो सकती है.

Sat, 24 May 2025 21:44:59 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की बिजली व्यवस्था एक बड़े संकट की ओर बढ़ रही है। अगर आपकी योजना है कि आप बिजली कनेक्शन लें, बिल का भुगतान करें या अपने पुराने बकाया को निपटाएं, तो यह काम 29 मई से पहले ही निपटा लेना होगा। कारण है प्रदेशभर में विद्युत कर्मचारियों और अभियंताओं द्वारा प्रस्तावित बेमियादी कार्य बहिष्कार, जो पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण कंपनियों के निजीकरण के विरोध में शुरू होने जा रहा है। यह आंदोलन लखनऊ सहित पूरे प्रदेश में बिजली व्यवस्था को प्रभावित कर सकता है, और इससे उपभोक्ताओं को व्यापक असुविधाएं झेलनी पड़ सकती हैं।

व्यवस्था ठप होने की आशंका

प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ही 14 लाख उपभोक्ता पावर कॉर्पोरेशन से जुड़े हुए हैं। यदि उपकेंद्र, उपखंड और खंड स्तर पर कार्यरत अभियंता और कर्मचारी काम करना बंद कर देंगे, तो न तो नए बिजली कनेक्शन मिल पाएंगे, न ही कटे हुए कनेक्शन पुनः जोड़े जा सकेंगे। यही नहीं, उपभोक्ताओं के बिल जमा करने, गलत बिल के संशोधन और नए कनेक्शन के लिए आवश्यक निरीक्षण जैसी सेवाएं भी ठप हो जाएंगी। विद्युत तकनीकी कर्मचारी एकता संघ के केंद्रीय अध्यक्ष वी.के. सिंह और ट्रांस एवं सिस गोमती इकाई के अध्यक्ष चंद्रशेखर और अरविंद कुमार ने संयुक्त रूप से बताया कि आंदोलन के दौरान चार प्रमुख कार्यों का बहिष्कार किया जाएगा—बिल वसूली, कनेक्शन काटना, कनेक्शन देना और बिल संशोधन।

बिल जमा और वसूली भी ठप

संघर्ष समिति की ओर से बताया गया कि 29 मई से कैश कलेक्शन सेंटरों पर तैनात कर्मी उपभोक्ताओं से बिजली बिल नहीं लेंगे, जिससे राजस्व संग्रह पर सीधा असर पड़ेगा। साथ ही, बकाया बिल के आधार पर कनेक्शन काटने की प्रक्रिया भी पूरी तरह बंद रहेगी। यह कदम पावर कॉर्पोरेशन की आय को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।

निजीकरण के विरोध में सुलग रहा है गुस्सा

संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने निजीकरण की प्रक्रिया को जनविरोधी और पूंजीपतियों के हित में बताया। उन्होंने कहा कि निजीकरण से बिजली व्यवस्था कुछ मुट्ठीभर उद्योगपतियों के हाथ में चली जाएगी, जो मनमाने तरीके से बिजली की दरें बढ़ा सकते हैं। उन्होंने सरकार से अपील की कि इस निर्णय को तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाए। वहीं, समिति ने आमजन से भी इस लड़ाई में सहयोग देने की अपील की है और आश्वस्त किया कि बेमियादी कार्य बहिष्कार के बावजूद बिजली आपूर्ति में आने वाली तकनीकी बाधाओं को दूर किया जाएगा, ताकि आमजन को गर्मी में अनावश्यक कष्ट न हो।

कर्मचारियों पर दमनात्मक कार्रवाई का आरोप

पदाधिकारियों ने पावर कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष आशीष गोयल पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 311(2) का उल्लंघन करते हुए कर्मचारियों की बर्खास्तगी के आदेश जारी किए, जो न केवल असंवैधानिक है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेशों का भी उल्लंघन है। साथ ही आरोप है कि महाप्रबंधक (आईआर) प्रदीप कुमार और महाप्रबंधक (एचआर) ए.के. सेठ द्वारा यूनियन नेताओं को फोन पर धमकाया जा रहा है। समिति का दावा है कि जरूरत पड़ने पर इसके प्रमाण भी सार्वजनिक किए जाएंगे।

आंदोलन के लिए तैयार कर्मचारी संगठन

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारी संजय सिंह चौहान, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय, पी.के. दीक्षित, सुहैल आबिद, शशिकांत श्रीवास्तव, चंद्र भूषण उपाध्याय, आर.वाई. शुक्ला, छोटेलाल दीक्षित और देवेंद्र पांडेय सहित अन्य नेताओं ने घोषणा की है कि कर्मचारी हर स्तर पर आंदोलन के लिए तैयार हैं और किसी भी दमन का डटकर मुकाबला किया जाएगा।

निदेशक वित्त पर घोटाले का आरोप

इसी बीच पावर कॉर्पोरेशन के निदेशक (वित्त) निधि कुमार नारंग का कार्यकाल तीन माह के लिए फिर बढ़ाए जाने को लेकर भी सवाल उठे हैं। संयोजक शैलेंद्र दुबे ने आरोप लगाया कि निजीकरण की प्रक्रिया में वित्तीय अनियमितताओं को छिपाने के लिए नवचयनित निदेशक पुरुषोत्तम अग्रवाल को पदभार ग्रहण नहीं करने दिया गया और निदेशक निधि कुमार नारंग को दोबारा कार्यकाल बढ़ा दिया गया। उन्होंने कहा कि ग्रांट थॉर्नटन जैसी कंपनी को ट्रांजेक्शन एडवाइजर बनाने और क्लीन चिट देने का निर्णय भी इसी संदिग्ध प्रक्रिया का हिस्सा है।

सरकार के सामने चुनौती

अब सारी नजरें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर टिकी हैं, जिनसे कर्मचारियों ने अपील की है कि वे इस ‘तानाशाहीपूर्ण और असंवैधानिक प्रक्रिया’ में हस्तक्षेप कर निजीकरण को रोके और दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें। यदि सरकार जल्द हस्तक्षेप नहीं करती है, तो प्रदेशभर में बिजली व्यवस्था गंभीर रूप से प्रभावित हो सकती है, जिसका सीधा असर आम जनता की दिनचर्या और व्यावसायिक गतिविधियों पर पड़ेगा।

उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मचारियों का यह आंदोलन एक अहम मोड़ पर पहुंच चुका है। प्रशासन और कर्मचारियों के बीच टकराव की यह स्थिति यदि जल्द नहीं सुलझती, तो इसका असर आम नागरिकों को भुगतना पड़ेगा। उपभोक्ताओं के लिए यह चेतावनी है कि वे अपने बिजली संबंधित सभी जरूरी काम 29 मई से पहले निपटा लें, अन्यथा एक लंबे इंतजार के लिए तैयार रहें।

वाराणसी: मिर्जामुराद में तेज रफ्तार ट्रक ने कार को मारी टक्कर, तीन युवकों की मौत, एक घायल

वाराणसी: विधायक सौरभ श्रीवास्तव ने जनसुनवाई में सुनी जनता की पीड़ा, समस्या समाधान के लिए दिए निर्देश

वाराणसी: रामनगर-वरिष्ठ पत्रकार मनोज श्रीवास्तव के बड़े भाई बब्बू श्रीवास्तव का निधन, क्षेत्र में शोक की लहर

वाराणसी: भेलूपुर पुलिस की बड़ी सफलता, सात चोरी की मोटरसाइकिलें बरामद, तीन अभियुक्त गिरफ्तार

मोदी सरकार के 11 वर्ष, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने गिनाईं उपलब्धियां, विपक्ष पर बोला हमला