उत्तर प्रदेश: भाजपा विधायकों का होगा ऑडिट, 2027 चुनाव में टिकट का भविष्य होगा तय

उत्तर प्रदेश में भाजपा ने 2027 विधानसभा चुनावों के लिए विधायकों के प्रदर्शन की समीक्षा शुरू की है, जिसमें जनता की छवि, कार्यक्षमता और राजनीतिक समीकरणों के आधार पर टिकट वितरण होगा।

Mon, 19 May 2025 13:29:19 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आगामी 2027 के विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए विधायकों के प्रदर्शन की व्यापक समीक्षा की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह आंतरिक ऑडिट तय करेगा कि किस मौजूदा विधायक को आगामी चुनाव में पार्टी टिकट मिलेगा और किसे नहीं। लगातार दो बार सरकार बनाने के बाद भाजपा अब प्रदेश में तीसरी बार सत्ता हासिल करने की रणनीति पर काम कर रही है। इस बार पार्टी टिकट वितरण में किसी भी तरह की चूक से बचना चाहती है और इसलिए बेहद सुनियोजित तरीके से विधायकों का आकलन कर रही है।

इस प्रक्रिया के तहत राज्य सरकार ने कुछ स्वतंत्र एजेंसियों को जिम्मेदारी सौंपी है, जो गोपनीय रूप से काम शुरू कर चुकी हैं। ये एजेंसियां न केवल विधायकों की जनता के बीच छवि और क्षेत्र में उनकी सक्रियता का विश्लेषण कर रही हैं, बल्कि प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के सामाजिक और राजनीतिक समीकरणों का भी गहराई से अध्ययन कर रही हैं। सर्वेक्षण के जरिए एक समग्र डाटा तैयार किया जा रहा है, जिसमें यह आंका जाएगा कि कौन सा विधायक जनता की कसौटी पर खरा उतरता है और किसकी पकड़ अपने क्षेत्र में कमजोर हो चुकी है।

विधायकों के प्रदर्शन को तीन श्रेणियों—ए, बी और सी—में वर्गीकृत किया जाएगा। जो विधायक सर्वाधिक अंक प्राप्त करेंगे, उन्हें ए श्रेणी में रखा जाएगा। यह वर्गीकरण विधायकों की छवि, विकास कार्यों में सहभागिता, जनता की समस्याओं के समाधान में तत्परता, विकास निधियों के उपयोग, और पिछली जीत के मार्जिन जैसे बिंदुओं पर आधारित होगा। इसके अलावा यह भी देखा जाएगा कि आगामी चुनाव में संबंधित विधायक की जीत की संभावना कितनी मजबूत है।

भाजपा का यह कदम पार्टी के भीतर एक संदेश भी देता है कि अब प्रदर्शन ही टिकट का आधार बनेगा। पार्टी नेतृत्व यह सुनिश्चित करना चाहता है कि केवल वही चेहरे दोबारा मैदान में उतरें, जिन्होंने जनता के बीच भरोसे और समर्थन की मजबूत स्थिति बनाई है। दूसरी ओर, जिन विधायकों की लोकप्रियता में गिरावट आई है या जिनका पिछला कार्यकाल संतोषजनक नहीं रहा, उनकी दावेदारी संकट में पड़ सकती है।

इस ऑडिट का दायरा केवल भाजपा विधायकों तक सीमित नहीं है। सर्वेक्षण में मुख्य विपक्षी दलों की ताकत और प्रभाव का भी मूल्यांकन किया जा रहा है। इसमें जातिगत समीकरण, क्षेत्रीय प्रभाव और समाज के विभिन्न वर्गों में दलों की पकड़ का विश्लेषण किया जा रहा है। यह देखा जा रहा है कि किस समुदाय में कौन सी पार्टी मजबूत स्थिति में है और कहां भाजपा को नए सिरे से रणनीति बनानी होगी।

2027 का विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए एक और बड़ी परीक्षा साबित होने जा रहा है, जिसमें पार्टी न केवल सत्ता में अपनी वापसी सुनिश्चित करना चाहती है, बल्कि उम्मीदवारों के चयन में भी पूरी पारदर्शिता और व्यावसायिकता लाने की कोशिश कर रही है। यह ऑडिट प्रक्रिया पार्टी की चुनावी तैयारी का अहम हिस्सा है, जिसमें न सिर्फ आंकड़े बल्कि जमीनी हकीकत भी निर्णायक भूमिका निभाएगी। इसके नतीजे आने वाले महीनों में टिकट वितरण के फैसलों में निर्णायक होंगे।

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