लखनऊ: एडेड महाविद्यालयों के मृतक शिक्षकों के परिजनों को राहत, डेथ ग्रेच्युटी का मिलेगा लाभ

उत्तर प्रदेश सरकार ने एडेड महाविद्यालयों के मृतक शिक्षकों के परिवारों को डेथ ग्रेच्युटी का लाभ देने का निर्णय लिया है, जो 58 वर्ष से पहले दिवंगत हुए, उच्च शिक्षा विभाग ने शासनादेश जारी किया।

Mon, 26 May 2025 21:51:48 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने सहायता प्राप्त अशासकीय (एडेड) महाविद्यालयों में कार्यरत मृतक शिक्षकों के परिवारों को एक बड़ी राहत दी है। सेवाकाल के दौरान जिन शिक्षकों की मृत्यु हो जाती है, उनके परिजनों को अब मृत्यु उपादान (डेथ ग्रेच्युटी) का लाभ मिलेगा। राज्य सरकार की कैबिनेट से मंजूरी के बाद उच्च शिक्षा विभाग ने इस संबंध में शासनादेश जारी कर दिया है। यह निर्णय मृतक शिक्षकों के परिवारों की वर्षों से लंबित एक प्रमुख मांग को पूरा करता है और इससे अब उन्हें वित्तीय रूप से बड़ी सहायता प्राप्त होगी।

उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने इस महत्वपूर्ण निर्णय की जानकारी देते हुए बताया कि शासनादेश के मुताबिक, एडेड महाविद्यालयों के उन शिक्षकों के परिवारों को डेथ ग्रेच्युटी का भुगतान किया जाएगा जिन्होंने सेवानिवृत्ति का विकल्प नहीं चुना था और जिनकी मृत्यु 58 वर्ष की आयु से पहले हो गई थी। इसके अलावा, ऐसे शिक्षक जिन्होंने 60 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्ति का विकल्प भरा था लेकिन निर्धारित विकल्प परिवर्तन अवधि समाप्त होने से पहले ही उनका निधन हो गया, उनके परिजनों को भी इस योजना का लाभ मिलेगा।

मंत्री उपाध्याय ने यह भी स्पष्ट किया कि 3 फरवरी 2004 के बाद हुए मामलों को भी इस नीति में शामिल किया गया है। ऐसे शिक्षक जिन्होंने सेवानिवृत्ति का कोई विकल्प नहीं दिया और जिनका निधन 60 वर्ष की आयु से पहले हो गया, उनके परिजनों को भी डेथ ग्रेच्युटी दी जाएगी। इसके साथ ही, यदि किसी शिक्षक ने 62 वर्ष की सेवानिवृत्ति का विकल्प चुना हो, लेकिन उनकी मृत्यु विकल्प परिवर्तन की निर्धारित अवधि से पहले हो गई हो, तो उस स्थिति में भी परिवार को इस योजना के तहत सहायता प्रदान की जाएगी।

यह निर्णय न केवल मृतक शिक्षकों के परिवारों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगा, बल्कि यह सरकार की संवेदनशीलता और कर्मचारियों के प्रति उत्तरदायित्व को भी दर्शाता है। वर्षों से लंबित यह मुद्दा अब सुलझ गया है और इससे राज्य के सैकड़ों परिवारों को लाभ मिलने की संभावना है। यह भी उम्मीद जताई जा रही है कि इस फैसले से एडेड महाविद्यालयों के अन्य कर्मचारियों में भी एक सकारात्मक संदेश जाएगा और वे भविष्य को लेकर अधिक आश्वस्त महसूस करेंगे।

सरकार का यह कदम एक मानवीय दृष्टिकोण को प्रकट करता है, जहां केवल कर्मचारियों की सेवा के दौरान ही नहीं, बल्कि उनके असामयिक निधन के बाद भी उनके परिवारों की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित किया जा रहा है।

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