शाहजहांपुर: नवजात को मिट्टी में दफनाने की कोशिश, मजदूरों ने बचाई जान, मानवता शर्मसार

उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में एक निर्माणाधीन इमारत के पास दो महिलाओं ने एक नवजात बच्ची को मिट्टी में दफनाने की कोशिश की, लेकिन मजदूरों की सतर्कता से बच्ची की जान बच गई, पुलिस जांच जारी.

Mon, 19 May 2025 16:38:52 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

शाहजहांपुर: यह एक ऐसा दृश्य था जिसे देखकर पत्थर दिल भी पिघल जाए। मानवता को झकझोर देने वाली इस घटना ने पूरे शहर को सदमे में डाल दिया। सोमवार की दोपहर, जब लोग रोज़ की तरह अपने कामों में व्यस्त थे, नगर निगम के निर्माणाधीन कार्यालय के पास एक ऐसी घटना घटी जिसने ममता और मानवीय संवेदनाओं की परीक्षा ले ली।

करीब दोपहर 12 बजे, दो महिलाएं एक झोले में कुछ लेकर वहां पहुंचीं। किसी को शक नहीं हुआ, किसी ने रोकने की कोशिश नहीं की, लेकिन उन्होंने जो किया, वह किसी बुरे स्वप्न से कम नहीं था। उन महिलाओं ने एक नवजात बच्ची को निर्माण स्थल के पास बने एक गड्ढे में रखा और उस पर मिट्टी और ईंटें डाल दीं। जैसे किसी बेजान वस्तु को दफनाया जा रहा हो। पर वह बच्ची बेजान नहीं थी। उसकी सांसें चल रही थीं, उसका नन्हा शरीर धड़क रहा था और उसके होंठों से निकल रही मासूम रोने की आवाज़ ने वहां काम कर रहे मजदूरों को सतर्क कर दिया।

जैसे ही मजदूरों ने उस करुण पुकार को सुना, वे भागकर उस गड्ढे की ओर आए। मिट्टी हटाई गई, ईंटें उठाईं और एक नन्ही सी जान को बाहर निकाला गया, जिसे शायद अभी दुनिया देखनी थी, जीना था, मुस्कुराना था। इस दिल दहला देने वाली स्थिति में किसी ने तुरंत 112 नंबर पर कॉल कर पुलिस को सूचना दी। पुलिस टीम ने मौके पर पहुंचकर बच्ची को तुरंत राजकीय मेडिकल कॉलेज पहुंचाया।

कॉलेज के प्राचार्य डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि जब बच्ची को लाया गया था, तब उसकी सांसें कमजोर थीं, और उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। बच्ची का ओंठ भी कटा हुआ है, जो उसके इलाज को और जटिल बना रहा था। पर डॉक्टरों और नर्सों की तत्परता ने वह कर दिखाया जो एक चमत्कार से कम नहीं था। कुछ घंटों के उपचार के बाद बच्ची की हालत अब स्थिर है। उसकी सांसें अब सहज हैं, और शरीर में हरकत देखी जा रही है।

इस बीच पुलिस उन दो महिलाओं की तलाश में जुट गई है जिन्होंने इस निर्दयता को अंजाम दिया। घटनास्थल के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की जांच की जा रही है और चश्मदीदों से पूछताछ की जा रही है। अधिकारियों का मानना है कि जल्द ही उन महिलाओं की पहचान कर ली जाएगी।

यह घटना केवल एक बच्ची की जान बचने की कहानी नहीं है, बल्कि यह उस समाज पर एक प्रश्नचिह्न है जो एक नवजात को इस तरह मिट्टी में दबा देने की सोच रखता है। यह एक माँ की कोख से जन्मी उस बच्ची की करुण कथा है, जो दुनिया में आंखें खोलते ही मौत के आगोश में ढकेल दी गई। और साथ ही, यह उन मजदूरों की मानवता की मिसाल है, जिनकी सजगता ने एक मासूम की जिंदगी बचा ली।

आज वह बच्ची अस्पताल के वार्ड में सांस ले रही है, लेकिन उसके नन्हे होंठों पर पड़े जख्म हमारे समाज की संवेदनहीनता के गहरे घाव को दर्शाते हैं। अब यह हमारे समाज की ज़िम्मेदारी है कि न केवल उस बच्ची की परवरिश में मदद करे, बल्कि उस सोच को भी बदलने का प्रयास करे जो बेटियों को बोझ समझती है।

यह घटना हम सबको आत्मचिंतन के लिए विवश करती है। क्या हम सचमुच एक संवेदनशील समाज की ओर बढ़ रहे हैं? या हम अब भी उन अंधेरों में जी रहे हैं जहां नवजात की पहली साँसें ही उसकी सबसे बड़ी सज़ा बन जाती हैं।

कानपुर: विधायक सुरेन्द्र मैथानी का विधानसभा पास चोरी, थाने में शिकायत दर्ज, सुरक्षा पर सवाल

वाराणसी: फर्जी क्रिप्टो BSG के नाम पर 16.5 करोड़ की साइबर ठगी, तीन अपराधी गिरफ्तार

वाराणसी: निर्माणाधीन भवन का छत गिरने से हादसा, एक मजदूर की मौत, दूसरा घायल, मुख्यमंत्री ने व्यक्त की संवेदना

वाराणसी: ट्रांसफॉर्मर मरम्मत करते समय करंट लगने से बिजली कर्मी की मौत, परिवार में मातम

गाजीपुर: काशीदास पूजन की तैयारी में करंट लगने से 4 की मौत, 3 गंभीर, मचा कोहराम