वाराणसी: रामनगर/भीषण गर्मी में पशु-पक्षियों के लिए युवाओं ने उठाया बीड़ा, पेड़ों पर लगाए जलपात्र

रामनगर में युवा समाजसेवी शुभम सिंह और उनके साथियों ने भीषण गर्मी में पशु-पक्षियों के लिए पेड़ों पर जलपात्र लगाए, ताकि उन्हें पानी की कमी से बचाया जा सके, यह कार्य मानवता का प्रतीक है।

Fri, 02 May 2025 17:13:22 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

वाराणसी: जब गर्मी अपने चरम पर हो और आसमान से आग बरस रही हो, तब इंसान तो कई उपायों से राहत पा लेता है, लेकिन आसमान में उड़ने वाले नन्हे परिंदों और आस-पास रहने वाले पशु-पक्षियों के लिए यह मौसम जीवन और मृत्यु के बीच की एक कठिन परीक्षा बन जाता है। ऐसे समय में रामनगर क्षेत्र के युवाओं ने एक बेहद सराहनीय और मानवता से ओत-प्रोत कार्य की मिसाल पेश की है, जिसे देख क्षेत्रवासी भी प्रशंसा किए बिना नहीं रह पाए।

इस पुनीत कार्य की अगुवाई युवा समाजसेवी शुभम सिंह ने की, जिन्होंने अपने साथियों के साथ क्षेत्र के अलग-अलग हिस्सों में पेड़ों और सुरक्षित स्थानों पर मिट्टी के जलपात्र (पानी के बर्तन) लगाए और नियमित रूप से उनमें स्वच्छ पानी भरने का संकल्प लिया। यह कदम सिर्फ एक सामाजिक जिम्मेदारी नहीं बल्कि संवेदनशीलता और पर्यावरणीय जागरूकता का प्रतीक बन गया है।

शुभम सिंह ने बताया, "गर्मी के दिनों में तापमान इतना बढ़ जाता है कि पशु-पक्षी पानी की तलाश में इधर-उधर भटकते हैं। कभी-कभी तो उन्हें कई किलोमीटर तक पानी नहीं मिलता, जिससे उनकी जान तक चली जाती है। इंसानों की तरह उनके पास पानी का कोई निश्चित स्रोत नहीं होता। ऐसे में यह हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम उनके लिए थोड़ा सा प्रयास करें। एक छोटा सा जलपात्र कई पक्षियों की जान बचा सकता है।"

गौरतलब है कि यह पहल सिर्फ जलपात्र लगाने तक ही सीमित नहीं रही, बल्कि युवाओं की टीम ने यह भी संकल्प लिया कि वे हर दिन इन पात्रों की सफाई करेंगे और ताजा पानी भरेंगे। इसके साथ ही शुभम सिंह ने सभी नागरिकों से भी अपील की कि वे अपने घरों, दुकानों, कार्यालयों और छतों पर एक छोटा सा बर्तन रखें, जिसमें साफ पानी और कुछ दाना हो ताकि पक्षी आकर अपनी भूख और प्यास मिटा सकें। उन्होंने कहा कि "हमारे छतों पर रखे ये बर्तन भले ही हमें सामान्य लगें, लेकिन यही किसी पक्षी के लिए जीवनदायिनी साबित हो सकते हैं।"

इस अवसर पर गोबिंद यादव ने भी बेहद संवेदनशील टिप्पणी करते हुए कहा, "इंसान तो प्यास लगने पर खुद पानी ढूंढ सकता है, लेकिन इन बेजुबानों के पास न तो कोई मांगने की आवाज होती है और न ही कोई व्यवस्था। अगर हम सब मिलकर सिर्फ इतना कर दें कि थोड़े-से पानी की व्यवस्था कर दें, तो यह सैकड़ों पक्षियों के जीवन की डोर थाम सकता है।"

शुभम सिंह और उनकी टीम में शामिल गोबिंद यादव, शिव शरण, शिवम सिंह, दुर्गा शरण और अनिल साहनी ने यह उदाहरण पेश किया है कि छोटे-छोटे प्रयास भी बड़े बदलाव ला सकते हैं। इस पहल की न केवल स्थानीय लोगों ने सराहना की, बल्कि कई लोगों ने इस कार्य को देखकर अपने घरों में भी जलपात्र रखने की शुरुआत कर दी है।

रामनगर के इन युवाओं की यह सोच सिर्फ परिंदों को राहत देने तक सीमित नहीं है, यह समाज में संवेदनशीलता, सहयोग और प्रकृति से जुड़ाव की भावना को भी मजबूती देती है। इस तरह की पहलें आने वाली पीढ़ियों को यह सिखाती हैं कि मानवता केवल इंसानों की सेवा तक सीमित नहीं है, बल्कि हर जीव के प्रति करुणा और दया का भाव भी उतना ही आवश्यक है।

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