Thu, 10 Apr 2025 13:23:03 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
भदोही: जनपद के दुर्गागंज थाना क्षेत्र अंतर्गत जद्दोपुर गांव गुरुवार सुबह उस वक्त चीख-पुकार से गूंज उठा, जब गांव की 35 वर्षीय अन्नू देवी अपने तीन नन्हे बच्चों के साथ गांव के तालाब में छलांग लगा दी। यह खबर किसी के भी दिल को चीर देने वाली है – एक मां, जो खुद जिंदगी से हार गई, अपनी ममता की छांव में पल रहे फूल जैसे बच्चों को भी मौत की आगोश में ले गई।
गांव की गलियों में गूंजती अब भी वही एक चीख – “अब किसके सहारे जियूं?” – जिसने शायद अन्नू के अंतर्मन में कई दिनों से उफनते तूफान को शब्द दिए। मुंबई में रहकर पति संग जीवन यापन करने वाली अन्नू देवी हाल ही में अपनी सास चमेलिया देवी की तेरहवीं में शामिल होने गांव आई थीं। मां समान सास की मौत ने अन्नू को अंदर से तोड़ दिया था। परिजनों ने बताया, अन्नू अक्सर सिसक-सिसक कर यही कहती – “अब किसके लिए जियूं?”
गुरुवार की अलसुबह, जब सूरज ने अपनी पहली किरण धरती को छूई, अन्नू देवी अपनी मासूम बेटी दीक्षा (8), बेटे सूर्यांश (6) और नन्हे दिव्यांश (3) को लेकर गांव के तालाब पर पहुंचीं – और फिर जो हुआ, उसने पूरे जद्दोपुर को सन्न कर दिया। तालाब की ठंडी गहराइयों में समा गई मां और उसके तीन बच्चे। थोड़ी ही देर बाद दिव्यांश का शव पानी की सतह पर दिखा और फिर गांव में मच गया कोहराम।
सूचना मिलते ही दुर्गागंज पुलिस और गोताखोरों की टीम तालाब पर पहुंची और सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया। समाचार लिखे जाने तक दो अन्य बच्चों और अन्नू देवी की तलाश जारी थी। तालाब के किनारे जमा सैकड़ों ग्रामीणों की आंखों में आंसू और दिलों में सवाल थे – क्यों? आखिर क्यों?
थाना प्रभारी ने बताया कि प्रारंभिक जांच में यह मामला आत्महत्या का प्रतीत हो रहा है, लेकिन जांच के बाद ही वास्तविक कारण सामने आएगा। पुलिस हर पहलू की बारीकी से पड़ताल कर रही है।
गांव के बुजुर्ग हों या बच्चे – हर कोई स्तब्ध है। किसी को यकीन नहीं हो रहा कि अन्नू जैसी हंसती-खिलखिलाती महिला इतना बड़ा कदम उठा सकती है। गांव की महिलाओं का कहना है कि मानसिक अवसाद और पारिवारिक तनाव ने शायद उसे तोड़ दिया।
मानवीय संवेदना की दरकती ज़मीन
यह महज एक आत्महत्या नहीं, बल्कि ममता, संवेदना और अवसाद की उस जटिल त्रासदी की तस्वीर है जिसे अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। एक मां जब अपने बच्चों को लेकर मौत की तरफ बढ़ती है, तो वह केवल अपनी नहीं, समाज की हार होती है।
प्रशासन से गुहार, व्यवस्था से सवाल
ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि इस दर्दनाक घटना की निष्पक्ष जांच हो और मानसिक स्वास्थ्य जैसी गंभीर समस्याओं को भी प्राथमिकता दी जाए। यदि समय रहते अन्नू की पीड़ा को समझा गया होता, तो शायद आज चार जिंदगियां यूं न बुझतीं।
आज जद्दोपुर गांव के हर घर में मातम पसरा है, और हर आंख नम है। यह केवल एक खबर नहीं, यह एक चेतावनी है – कि संवेदनाओं को पहचानें, अपनों की चुप्पियों को पढ़ें, और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता की लौ जलाएं।