लखनऊ: महिला सिपाही ऋतु का शव फंदे से लटकता मिला, जांच जारी

लखनऊ के गाजीपुर थाना क्षेत्र में मड़ियांव थाने में तैनात महिला सिपाही ऋतु का शव उसके कमरे में फंदे से लटका मिला, पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा, सुसाइड नोट नहीं मिला, जांच जारी।

Tue, 27 May 2025 21:13:59 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

लखनऊ: राजधानी के गाजीपुर थाना क्षेत्र के ए-ब्लॉक में मंगलवार की सुबह एक दर्दनाक और चौंकाने वाली घटना सामने आई, जिसने पुलिस महकमे को ही नहीं, पूरे शहर को गमगीन कर दिया। 27 वर्षीय महिला सिपाही ऋतु का शव उसके कमरे में फंदे से लटकता हुआ मिला। ऋतु वर्तमान में मड़ियांव थाने में पैरोकार के पद पर तैनात थीं और मूल रूप से अमरोहा जिले के सैदनगली थाना क्षेत्र के भीखनपुर गांव की निवासी थीं।

घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस टीम मौके पर पहुंची। दरवाजा अंदर से बंद था और आवाजें देने पर कोई जवाब न मिलने पर दरवाजा तोड़कर कमरे में प्रवेश किया गया। अंदर का दृश्य देखकर सभी स्तब्ध रह गए—ऋतु फंदे से लटक रही थीं। शव को नीचे उतार कर पंचायतनामा की कार्रवाई पूरी की गई और फिर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। घटनास्थल से कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है, जिससे मामले की गंभीरता और बढ़ गई है।

पुलिस द्वारा मृतका के मोबाइल की जांच में यह सामने आया है कि ऋतु ने अपनी आखिरी कॉल अपने परिजनों को की थी। यह बात कई सवालों को जन्म देती है।क्या वह अपने दर्द को साझा करना चाह रही थीं? क्या वह किसी संकट में थीं? इन सवालों के उत्तर फिलहाल जांच के दायरे में हैं। पुलिस ने कॉल डिटेल्स और अन्य इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों के आधार पर जांच शुरू कर दी है और परिजनों व जानकारों से पूछताछ की तैयारी चल रही है।

ऋतु वर्ष 2019 बैच की सिपाही थीं। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने गाजीपुर थाने में भी सेवाएं दी थीं, जहां से तबादले के बाद वह मड़ियांव थाने में तैनात थीं। जिस मकान के सेकंड फ्लोर पर ऋतु किराए पर रहती थीं, उसी के ग्राउंड फ्लोर पर एसआई गीता भी किरायेदार के रूप में रहती हैं। मंगलवार सुबह जब गीता उन्हें बुलाने के लिए ऊपर गईं तो दरवाजा बंद मिला। आवाजें देने पर कोई उत्तर नहीं मिला, तो उन्हें अनहोनी की आशंका हुई और उन्होंने तत्काल डायल 112 पर पुलिस को सूचना दी।

करीब 9 बजे पुलिस मौके पर पहुंची और दरवाजा तोड़कर अंदर गई। ऋतु का शव फंदे से लटकता मिला। घटना की जानकारी मृतका के परिवार को दी गई और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया। एसीपी गाजीपुर ने बताया कि प्रथम दृष्टया कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है, लेकिन कॉल रिकॉर्ड्स और अन्य डिजिटल साक्ष्यों के आधार पर मामले की गहनता से जांच की जा रही है। आत्महत्या के पीछे के कारणों का पता लगाने के लिए एक विशेष जांच टीम गठित की गई है।

यह घटना न केवल पुलिस महकमे के लिए एक आंतरिक आघात है, बल्कि यह भी याद दिलाती है कि वर्दी के पीछे भी एक संवेदनशील दिल और इंसानी भावनाएं होती हैं। ऋतु जैसी युवा और समर्पित सिपाही का इस प्रकार दुनिया को अलविदा कह जाना कई स्तरों पर चिंतन का विषय है। क्या हम अपने सहकर्मियों की मानसिक स्थिति को समय रहते समझ पा रहे हैं? क्या हमारे संस्थान इतने सक्षम हैं कि वे संकट में फंसे कर्मचारियों को मनोवैज्ञानिक सहायता दे सकें?

ऋतु की यह दुखद कहानी हमें सोचने पर मजबूर करती है कि आत्महत्या जैसे निर्णय के पीछे कितना गहरा और अनकहा दर्द छिपा होता है। यह घटना पुलिस महकमे के भीतर मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति पर एक बार फिर रोशनी डालती है और इस दिशा में ठोस पहल की आवश्यकता को रेखांकित करती है। जब तक जांच पूरी नहीं होती, तब तक ऋतु की यह चुप्पी कई सवालों के साथ हम सबके दिलों में एक टीस बनकर रह जाएगी।

ऋतु अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी खामोश विदाई हमें यह सिखा गई कि संवेदनशीलता और समय रहते संवाद ही ऐसी त्रासदियों को टाल सकते हैं।

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