Tue, 27 May 2025 19:48:29 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कोविड-19 के नए वेरिएंट जेएन.1 का पहला मामला सामने आया है, जिससे स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से सतर्क हो गया है। मंगलवार को प्रदेश भर में कोविड के 10 नए मामले सामने आए हैं, जिससे सक्रिय मामलों की संख्या बढ़कर 30 हो गई है। विशेषज्ञों की मानें तो यह स्थिति फिलहाल नियंत्रण में है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने ऐहतियातन अलर्ट जारी कर दिया है। अब सर्दी, खांसी और बुखार जैसे लक्षणों के साथ आने वाले सभी मरीजों की कोविड जांच की जाएगी, ताकि किसी भी संभावित संक्रमण को समय रहते रोका जा सके।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एनबी सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि लखनऊ में जेएन.1 वेरिएंट का पहला पॉजिटिव मामला अलीगंज क्षेत्र के एक बुजुर्ग व्यक्ति में पाया गया है। मरीज हाल ही में एक धार्मिक यात्रा से लौटे थे, जिसके बाद उनकी तबीयत बिगड़ने पर उन्हें पीजीआई में भर्ती कराया गया था। इलाज के बाद उनकी स्थिति में सुधार होने पर उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया, लेकिन इसी बीच जांच के लिए भेजा गया सैंपल पॉजिटिव पाया गया। इस खबर के बाद जिला अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) को तत्काल अलर्ट कर दिया गया है।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद जिले कोविड मामलों की दृष्टि से सर्वाधिक प्रभावित हैं। इन दोनों जिलों में कुल 26 सक्रिय मामले हैं, जिसमें गाजियाबाद के चार और गौतमबुद्ध नगर के नौ नए केस शामिल हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि शहरी क्षेत्रों में संक्रमण की गति ग्रामीण इलाकों की तुलना में तेज बनी हुई है।
इस बीच, स्वास्थ्य विभाग ने महामारी के दौरान नियुक्त किए गए अस्थाई, संविदा, आउटसोर्स और अल्पकालिक मानव संसाधनों के समायोजन की प्रक्रिया को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने जानकारी दी कि कोविड के दौरान नियुक्त किए गए कई कर्मियों को पहले ही समायोजित किया जा चुका है और अब शेष 676 कर्मियों को भी समाहित करने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं। इसके तहत इन कर्मचारियों को जिले स्तर पर स्वास्थ्य समिति द्वारा एक माह के भीतर समायोजित किया जाएगा।
प्रदेश सरकार द्वारा जारी पत्र में स्पष्ट किया गया है कि इन कार्मिकों को उनकी योग्यता के अनुसार कार्य सौंपा जाएगा। जिन ब्लॉकों में सार्वजनिक स्वास्थ्य इकाइयों की स्थापना हो चुकी है, वहां डाटा एनालिस्ट, लैब असिस्टेंट, ओटी टेक्नीशियन, आयुष और बीडीएस मेडिकल ऑफिसर, स्वीपर, वार्ड ब्वॉय, नॉन मेडिकल साइंटिस्ट, माइक्रोबायोलॉजिस्ट सहित विभिन्न पदों पर तैनाती दी जाएगी। साथ ही राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत काम कर रहे कार्यक्रमों में इन कार्मिकों की सेवाएं ली जाएंगी।
स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा यह भी निर्देशित किया गया है कि केवल उन्हीं कर्मचारियों को समायोजित किया जाए जो कोविड के दौरान कार्यरत थे। यदि किसी जिले में रिक्तियों की संख्या कम है तो संबंधित मुख्य चिकित्सा अधिकारी को अपने मंडलीय अपर निदेशक को इसकी जानकारी देनी होगी। साथ ही यह चेतावनी भी दी गई है कि यदि कोविड से इतर किसी और को इन पदों पर नियुक्त किया जाता है, तो उसे वित्तीय अनियमितता मानते हुए संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इस पूरे घटनाक्रम से स्पष्ट है कि राज्य सरकार कोविड की संभावित नई लहर को लेकर किसी भी तरह की लापरवाही बरतने के मूड में नहीं है। स्वास्थ्य व्यवस्था को पुनः सक्रिय किया जा रहा है और कर्मचारियों की पुनर्नियुक्ति सुनिश्चित करने के साथ-साथ जांच प्रणाली को भी सख्त किया जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि मौजूदा सतर्कता बनी रही तो जेएन.1 वेरिएंट के संक्रमण को समय रहते नियंत्रित किया जा सकता है। आम जनता से भी अपील की गई है कि वे किसी भी प्रकार के लक्षण नजर आने पर तुरंत जांच कराएं और मास्क व दूरी जैसे मूलभूत सुरक्षा उपायों का पालन करें।