लखनऊ: भोजपुरी सिने अवॉर्ड्स 2025 में उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक और सत्येन्द्र बारी ने बढ़ाई शोभा

लखनऊ में आयोजित भोजपुरी सिने अवॉर्ड्स 2025 में उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक और राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य सत्येन्द्र बारी ने शिरकत कर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।

Thu, 10 Apr 2025 20:26:07 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

लखनऊ: आज उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ साक्षी बनी एक भव्य, मनोरंजन से भरपूर और संस्कृति को समर्पित ऐतिहासिक आयोजन की—भोजपुरी सिने अवॉर्ड्स 2025। सितारों से सजी इस चमचमाती शाम में जब फिल्मी जगत के नामचीन चेहरे एक मंच पर इकट्ठा हुए, तब उनके साथ ही एक खास उपस्थिति ने कार्यक्रम को गरिमा और गरमजोशी से भर दिया।

प्रदेश के यशस्वी उपमुख्यमंत्री आदरणीय श्री बृजेश पाठक जी ने बतौर विशिष्ट अतिथि इस भव्य आयोजन में शिरकत की, और अपने प्रभावशाली वक्तव्य से कार्यक्रम की शोभा और ऊंचाई को नया आयाम दिया। उनके साथ मंच पर मौजूद थे राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग, उत्तर प्रदेश सरकार के सम्माननीय सदस्य श्री सत्येन्द्र बारी, जिनकी गरिमामयी उपस्थिति ने इस आयोजन को और अधिक गौरवमय बना दिया।

सांस्कृतिक चेतना और क्षेत्रीय कला का संगम

भोजपुरी सिने अवॉर्ड्स केवल एक फिल्मी समारोह नहीं, बल्कि यह उस सांस्कृतिक चेतना का उत्सव है जो भोजपुरी समाज की जड़ों से जुड़ी है। उपमुख्यमंत्री श्री पाठक ने अपने उद्बोधन में भोजपुरी भाषा और सिनेमा को जन-जन तक पहुंचाने और इसे राज्य सरकार के सहयोग से नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने का संकल्प दोहराया।

सत्येन्द्र बारी की उपस्थिति ने समारोह को दी विशेष ऊर्जा

सत्येन्द्र बारी, जो न केवल सामाजिक सरोकारों के प्रति सजग हैं बल्कि सांस्कृतिक गतिविधियों में भी गहरी रुचि रखते हैं, ने इस आयोजन में भाग लेकर यह स्पष्ट कर दिया कि सरकार के प्रतिनिधि भोजपुरी भाषा, उसकी कला और फिल्मी अभिव्यक्ति को गंभीरता से समर्थन दे रहे हैं। उन्होंने अपने संक्षिप्त मगर प्रेरणादायक संबोधन में कहा, "भोजपुरी केवल भाषा नहीं, यह हमारी अस्मिता है। इसे संरक्षित रखना हम सबका कर्तव्य है।"

लखनऊ बना भोजपुरी सिनेमा का काशी

सांझ ढलते ही जब रौशनी से जगमग हुआ मंच और तालियों की गड़गड़ाहट ने आसमान चीर दिया, तब ऐसा लगा मानो लखनऊ कुछ पलों के लिए काशी बन गया हो—भोजपुरी सिनेमा की आत्मा से भरा-पूरा, भावनाओं से सराबोर।

यह आयोजन न केवल मनोरंजन का एक पर्व था, बल्कि यह एक मजबूत संदेश भी था कि उत्तर प्रदेश सरकार, भोजपुरी भाषा और इससे जुड़े सृजनात्मक प्रयासों को पूरी शिद्दत से समर्थन देती है। और जब मंच पर बृजेश पाठक जैसे प्रभावशाली नेता और सत्येन्द्र बारी जैसे समाजसेवी एक साथ नजर आते हैं, तो यकीन हो जाता है—भविष्य सुनहरा है।

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