Mon, 07 Apr 2025 13:35:59 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
जौनपुर: नवरात्रि की अष्टमी, जब भक्तगण माँ शीतला के दरबार में शीश नवाने उमड़ते हैं, जब हर कोना गूंजता है 'जय शीतला मैया' के जयघोष से, तब एक ऐसी घटना सामने आई जिसने लाखों श्रद्धालुओं की भावनाओं को झकझोर कर रख दिया। मां शीतला धाम चौकियां, जिसे आस्था का प्रतीक माना जाता है, वहां की पवित्रता को एक सरकारी वर्दीधारी ने इस तरह तार-तार कर दिया कि समूचे क्षेत्र में रोष की लहर दौड़ गई।
सोमवार को सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ एक वीडियो लोगों की आंखों में विश्वास को चूर-चूर कर गया। वीडियो में चौकियां धाम के चौकी इंचार्ज ईशचंद यादव मंदिर परिसर में जूते पहनकर टहलते हुए कुछ लोगों से बातचीत करते नजर आए। यह वही स्थल है जहाँ श्रद्धालु नंगे पाँव, सिर झुकाकर, आस्था के साथ कदम रखते हैं। वहीं एक पुलिस अधिकारी का इस तरह मंदिर की मर्यादा भंग करना, सिर्फ एक ‘वायरल वीडियो’ नहीं बल्कि आस्था पर गहरा आघात है।
भावनाओं का विस्फोट, श्रद्धालुओं में आक्रोश:
मंदिर के मुख्य महंत विवेकानंद पंडा ने इस पर कड़ा ऐतराज जताते हुए कहा, चाहे कोई भी हो, वर्दी में हो या बिना वर्दी के, मंदिर की पवित्रता से खिलवाड़ स्वीकार नहीं किया जा सकता। ड्यूटी के नाम पर धर्मस्थल की मर्यादा को रौंदने की इजाजत किसी को नहीं है।
पंडा समाज और पुजारियों का आरोप है कि चौकी प्रभारी का व्यवहार न सिर्फ मंदिर में अनुचित था, बल्कि आम जनों और दुकानदारों के साथ भी कई बार असभ्य रहा है। उनके अनुसार, यह पहली बार नहीं है जब ईशचंद यादव विवादों में आए हैं, आए दिन मंदिर क्षेत्र में कहासुनी की खबरें आती रहती हैं।
चौकी प्रभारी की सफाई—तथ्य या भ्रम
चौकी इंचार्ज ईशचंद यादव ने खुद को निर्दोष बताते हुए दावा किया कि वे मंदिर के भीतर नहीं बल्कि परिसर के बाहर खड़े थे। लेकिन वीडियो में दिख रहा दृश्य उनके बयान से मेल नहीं खाता। सवाल उठता है—क्या मंदिर की चारदीवारी के भीतर कदम रखने का नियम सबके लिए समान नहीं है।
प्रशासन ने लिया संज्ञान:
सोमवार को जब मामले की जानकारी अपर पुलिस अधीक्षक शहर आयुष श्रीवास्तव को दी गई, तो उन्होंने कहा, मामले की जांच कराई जाएगी और जो भी दोषी होगा, उस पर नियमानुसार कार्रवाई होगी।
जनता का सवाल—क्या आस्था से बड़ा है ‘अहम’
पूर्वांचल में चौकियां धाम सिर्फ एक मंदिर नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों की श्रद्धा का केंद्र है। नवरात्र जैसे पवित्र पर्व पर इस तरह की घटना, एक सवाल बनकर खड़ी हो गई है—क्या वर्दीधारी अधिकारी को यह अधिकार है कि वह धार्मिक स्थलों की गरिमा का उल्लंघन करे।
अब सबकी नजर प्रशासन की जांच और कार्रवाई पर है। आस्था को ठेस पहुंचाने वाले इस कृत्य पर क्या उचित न्याय होगा, यह आने वाला समय बताएगा। परंतु इतना तय है—मां शीतला की चौखट पर सिर नवाने वाले भक्त, इस घटना को जल्द भूलने वाले नहीं हैं।
यूपी खबर इस मुद्दे की गहराई से निगरानी करता रहेगा, क्योंकि जहां बात आस्था की हो—वहां हर सवाल जरूरी होता है।