विदेश मंत्री एस. जयशंकर का छह दिवसीय यूरोप दौरा, नीदरलैंड, डेनमार्क और जर्मनी में होंगे शामिल

विदेश मंत्री एस. जयशंकर 19 मई से 24 मई तक नीदरलैंड, डेनमार्क और जर्मनी के छह दिवसीय दौरे पर रहेंगे, जहाँ वे द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करेंगे।

Mon, 19 May 2025 13:12:07 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

नई दिल्ली: भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर सोमवार, 19 मई से एक महत्वपूर्ण यूरोपीय दौरे पर रवाना हो रहे हैं, जो छह दिनों तक चलेगा और 24 मई को समाप्त होगा। इस दौरे के दौरान वह तीन प्रमुख यूरोपीय देशों – नीदरलैंड, डेनमार्क और जर्मनी – की यात्रा करेंगे। दौरे का उद्देश्य द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ करना, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करना, और सीमा पार आतंकवाद जैसी साझा चिंताओं पर गहन विमर्श करना है। जयशंकर इस यात्रा में संबंधित देशों के विदेश मंत्रियों, शीर्ष नेताओं, नीति निर्माताओं और सामरिक समुदाय के सदस्यों से मुलाकात करेंगे, जिससे भारत के विदेश नीति एजेंडे को आगे बढ़ाने का अवसर मिलेगा।

विदेश मंत्रालय के अनुसार, इस दौरे के दौरान विदेश मंत्री जयशंकर कई उच्च-स्तरीय बैठकों और संवादों में भाग लेंगे, जहां व्यापार, प्रौद्योगिकी, जलवायु परिवर्तन, वैश्विक सुरक्षा और आतंकवाद जैसे विषयों पर चर्चा की जाएगी। उनके एजेंडे में विशेष रूप से पाकिस्तान द्वारा जारी सीमा पार आतंकवाद और इससे उत्पन्न क्षेत्रीय अस्थिरता का मुद्दा प्रमुख रूप से शामिल रहने की संभावना है। हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर चार दिनों तक चला सैन्य तनाव इस चर्चा को और अधिक प्रासंगिक बनाता है। यह जयशंकर की सैन्य झड़प के बाद पहली अंतरराष्ट्रीय यात्रा होगी, जिससे यह दौरा कूटनीतिक दृष्टि से और भी अधिक अहम हो जाता है।

नीदरलैंड की यात्रा के दौरान, वह द हेग में अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों से भी मुलाकात कर सकते हैं, जहां भारत की अंतरराष्ट्रीय न्याय प्रणाली में भूमिका को लेकर सहयोग के नए आयाम तलाशे जाएंगे। इसके बाद डेनमार्क में, जयशंकर भारत-नॉर्डिक साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेंगे। जलवायु सहयोग, स्वच्छ ऊर्जा और डिजिटल नवाचार जैसे क्षेत्रों में भारत और डेनमार्क के बीच पहले से मौजूद सहयोग को और मजबूत करने पर जोर रहेगा। जर्मनी में उनकी यात्रा का केंद्र बर्लिन होगा, जहां वे अपने जर्मन समकक्ष के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे और दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी के भविष्य की दिशा तय करने में योगदान देंगे।

इस यात्रा के दौरान भारत और इन तीनों यूरोपीय देशों के बीच व्यापार, निवेश, शिक्षा, अनुसंधान और रक्षा सहयोग जैसे विविध क्षेत्रों में साझेदारी के अवसरों पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह दौरा भारत की यूरोप नीति के संदर्भ में न केवल वर्तमान द्विपक्षीय संबंधों को गति देगा, बल्कि बदलते वैश्विक परिदृश्य में भारत की भूमिका को और भी प्रभावशाली बनाने में मदद करेगा। वहीं, यह भी देखा जा रहा है कि विदेश मंत्री की इस यात्रा से भारत की चिंताओं, विशेषकर सीमा पार आतंकवाद को लेकर, वैश्विक समुदाय में अधिक व्यापक समर्थन हासिल करने की दिशा में एक रणनीतिक प्रयास है।

जयशंकर का यह दौरा ऐसे समय हो रहा है जब दुनिया एक बार फिर भू-राजनीतिक अस्थिरता, उभरते वैश्विक संकट और ऊर्जा सुरक्षा की चुनौतियों से जूझ रही है। ऐसे में भारत की कूटनीति का यह सक्रिय और स्पष्ट स्वरूप अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसकी स्थिति को और अधिक मजबूत कर सकता है।

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