Thu, 08 May 2025 13:30:03 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
नई दिल्ली: भारतीय सेना ने एक बार फिर साबित किया है कि जब देश की सुरक्षा की बात आती है, तो नारी शक्ति पीछे नहीं रहती, बल्कि अग्रिम पंक्ति में खड़ी होकर नेतृत्व भी करती है। हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर ने इस बात की गवाही दी है। इस सफल अभियान में थल सेना, वायुसेना और नौसेना तीनों ने अभूतपूर्व तालमेल के साथ आतंकियों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की। इस संयुक्त ऑपरेशन की जानकारी देने के लिए जब मीडिया के सामने दो महिला सैन्य अधिकारी विंग कमांडर व्योमिका सिंह और कर्नल सोफिया कुरैशी प्रकट हुईं, तो वह क्षण केवल रणनीतिक जानकारी का नहीं बल्कि भारतीय सैन्य बलों में महिलाओं की उभरती भूमिका का प्रतीक बन गया।
कर्नल सोफिया कुरैशी, जो भारतीय थल सेना में एक अत्यंत प्रतिष्ठित अधिकारी हैं, न केवल इस मिशन में अहम भूमिका में थीं, बल्कि उन्होंने सेना में महिलाओं की भूमिका को मजबूती देने का काम भी किया है। वडोदरा, गुजरात में जन्मी कर्नल सोफिया ने महज 17 साल की उम्र में सेना में सेवा देने का सपना देखा और उसे साकार करते हुए 1999 में शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत भारतीय सेना में प्रवेश किया। उनका सैन्य पृष्ठभूमि से जुड़ा होना। जहां उनके दादा और पति दोनों सेना में सेवा दे चुके हैं। उनके दृढ़ निश्चय और अनुशासन की नींव बना। उन्होंने ऑपरेशन पराक्रम के दौरान पंजाब सीमा पर और उत्तर पूर्व के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत अभियानों में अपनी नेतृत्व क्षमता का सफल प्रदर्शन किया। उनका अंतरराष्ट्रीय अनुभव भी कम सराहनीय नहीं है; फोर्स 18 नामक बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास में, जिसमें 18 देशों के 40 सैन्य अधिकारी शामिल थे, वे भारतीय प्रतिनिधिमंडल की एकमात्र महिला थीं। यह केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं थी, बल्कि यह भारतीय सेना की वैश्विक मंच पर उपस्थिति में महिलाओं की भागीदारी का प्रमाण भी बना।
दूसरी ओर, विंग कमांडर व्योमिका सिंह, भारतीय वायुसेना की एक नायिका हैं, जिन्होंने अपने नाम के अनुरूप आकाश को छूने का सपना संजोया और उसे साकार भी किया। बचपन से ही उन्हें उड़ान का जुनून था, और उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद भारतीय वायुसेना में प्रवेश किया। चेतक और चीता जैसे चुनौतीपूर्ण हेलीकॉप्टरों का संचालन करने वाली व्योमिका ने जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर के दुर्गम क्षेत्रों में कई महत्वपूर्ण अभियानों को अंजाम दिया है। 2019 में उन्हें वायुसेना की फ्लाइंग ब्रांच में स्थायी कमीशन मिला, जो उनकी प्रतिबद्धता और क्षमता का प्रमाण है। इसके साथ ही, 2021 में उन्होंने माउंट मणिरंग पर तीनों सेनाओं की महिला पर्वतारोहण टीम का हिस्सा बनकर यह सिद्ध कर दिया कि उनके इरादों में कोई कमी नहीं है। चाहे वो जमीन हो या आसमान, वह हर मोर्चे पर डटी रहती हैं।
ऑपरेशन सिंदूर केवल एक जवाबी सैन्य कार्रवाई नहीं था, बल्कि यह भारत की सैन्य शक्ति में समाहित हो रही नारी नेतृत्व की छवि को भी उजागर करता है। जब देश के सामने चुनौतियां खड़ी होती हैं, तब व्योमिका और सोफिया जैसी महिलाएं न केवल उनका मुकाबला करती हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणादायक रास्ता भी खोलती हैं। यह ऑपरेशन एक संदेश है। भारत की बेटियां अब केवल सीमाओं की रक्षा में नहीं, बल्कि युद्धनीति और रणनीति के केंद्र में खड़ी होकर नेतृत्व कर रही हैं।