Mon, 16 Jun 2025 23:19:02 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
बलिया: सोमवार की देर शाम, बलिया जिले के सागरपाली-बैरिया-थम्हनपुरा मार्ग पर एक दिल दहला देने वाली घटना ने जिले के लोगों को गहरे सदमे में डाल दिया। एक बेकाबू डीसीएम वाहन ने रफ्तार की सनक में इंसानों को रौंदते हुए तांडव मचाया, जिससे दो परिवारों के आंगन सूने हो गए और कई घरों में चीख-पुकार की दर्दनाक गूंज फैल गई। यह हादसा केवल एक दुर्घटना नहीं थी, यह उस मानवीय पीड़ा की तस्वीर बन गई जो वर्षों तक भूलाई नहीं जा सकेगी।
डीसीएम चालक भरौली की ओर जा रहा था, लेकिन अजोरपुर के पास वह वाहन पर से नियंत्रण खो बैठा। सड़क किनारे अपनी दिनचर्या में लगे या राह गुजरते नौजवानों और वृद्धों पर वाहन ऐसे चढ़ा जैसे इंसानी जान की कोई कीमत ही न हो। बिट्टू चावर (24), मनु गोंड (19) और बुजुर्ग सर्वदेव गुप्ता (65) को जोरदार टक्कर मार दी गई। वाहन आगे बढ़ता गया, रुकने का नाम नहीं लिया, बल्कि जैसे मौत खुद रफ्तार पकड़ चुकी थी।
कोट अंजोरपुर में गुलशन (13), निशांत स्वरूप (25) और मनु कुमार (19) को भी यह डीसीएम रौंदता चला गया। गांव में चीख-पुकार मच गई, लोग कुछ समझ पाते इससे पहले ही वाहन बैरिया की ओर भाग निकला। लेकिन ग्रामीणों ने हार नहीं मानी। इंसानियत और साहस की मिसाल पेश करते हुए उन्होंने डीसीएम का पीछा शुरू कर दिया।
शाहपुर बभनौली निवासी अखिलेश यादव (25), हृदय नारायण यादव (35) और करंजा बाबा तर की रामदुलारी देवी (30) भी इसकी चपेट में आ गए। हर टक्कर के साथ मानो ज़िंदगी खुद कराह रही थी। आखिरकार ग्रामीणों ने करंजा बाबा तर के पास वाहन को घेर कर पकड़ लिया और पुलिस के हवाले कर दिया।
घायलों को तत्काल सीएचसी नरहीं और जिला अस्पताल पहुंचाया गया, लेकिन कोट अंजोरपुर के मनु कुमार और गुलशन की ज़िंदगी नहीं बच सकी। गुलशन, सिर्फ़ 13 साल का मासूम, जिसकी आँखों में सपने थे और मन में जिज्ञासा, अब एक तस्वीर बन गया है दीवार पर टंगी हुई। उसके माता-पिता के लिए यह दुनिया एकाएक थम-सी गई है। वहीं मनु कुमार, अपने घर का सहारा था, जिसने अभी जिंदगी की जद्दोजहद शुरू ही की थी, लेकिन किस्मत ने उसे बीच रास्ते में ही रोक दिया।
इस हादसे के बाद पूरे इलाके में हाहाकार मच गया। बैरिया-थम्हनपुरा मार्ग पर भय और आक्रोश का माहौल है। लोग बेसुध-से अपने प्रियजनों को खोने के ग़म में डूबे हैं। नरही पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए डीसीएम को कब्जे में लेकर चालक को गिरफ्तार कर लिया है।
यह हादसा केवल कानून व्यवस्था या सड़क सुरक्षा की विफलता नहीं है, यह एक चेतावनी है।रफ्तार जब लापरवाही से मिले, तो उसका अंजाम कितना भयावह हो सकता है। प्रशासन द्वारा राहत कार्य किए जा रहे हैं, लेकिन जो ज़ख्म इस हादसे ने दिए हैं, वे प्रशासनिक राहत से नहीं भर सकते।
बलिया की यह घटना हम सबके लिए एक सवाल है। क्या हम सड़क सुरक्षा को लेकर अब भी उतने ही लापरवाह बने रहेंगे, जब तक अगला गुलशन किसी और गांव से न उठ जाए?
इस दर्दनाक हादसे ने जो खालीपन छोड़ा है, वह सिर्फ आंकड़ों में दर्ज नहीं होगा, बल्कि हर उस दिल में धड़कता रहेगा, जिसने कभी अपनों को यूं अचानक खोने का ग़म सहा है।
सौजन्य: न्यूज रिपोर्ट