Tue, 03 Jun 2025 17:00:25 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
बहराइच: इंसानी संवेदनाओं को झकझोर देने वाली एक हृदयविदारक घटना ने सोमवार रात बहराइच जिले के गढ़ीपुरवा गांव को गहरे शोक में डुबो दिया। रात करीब 12 बजे, जब एक मां अपने दो वर्षीय बेटे को गोद में लेकर चारपाई पर सो रही थी, तभी एक भेड़िया चुपके से घर में घुस आया और मां की ममता की मूरत को अपनी जबड़ों में दबाकर जंगल की ओर भाग गया। यह वही इलाका है जहां आठ महीने पहले भी इसी तरह का हमला हुआ था, और अब एक बार फिर वही भयावह मंजर दोहराया गया, लेकिन इस बार शिकार बना एक मासूम, जिसे उसकी मां ने आंखों के सामने खो दिया।
पीड़िता खुशबू, जो अपने मायके आई हुई थीं, घर के बरामदे में खुले आसमान के नीचे अपने नन्हे आयुष को गोद में लिए चारपाई पर लेटी हुई थीं। गर्मी की मार झेलते हुए जैसे ही थोड़ी राहत की नींद आई, तभी मौत ने दबे पांव दस्तक दी। खुशबू के बेटे की एक दर्दभरी चीख ने उनकी नींद तोड़ दी, और आंख खुलते ही जो दृश्य सामने था, वो किसी भी मां को ताउम्र झकझोरने के लिए काफी था। सामने एक भेड़िया था, जो उनके लहूलुहान बेटे को अपने जबड़ों में दबाए खेतों की ओर भाग रहा था। मां बुरी तरह चीखती-चिल्लाती उसके पीछे दौड़ी, लेकिन अंधेरे और भेड़िए की फुर्ती के आगे ममता की दौड़ थम गई। थोड़ी ही देर में गांव के बाकी लोग भी जग गए और लाठियां लेकर खेतों और जंगलों में बच्चे की तलाश में निकल पड़े।
रातभर चले इस हृदयविदारक सर्च ऑपरेशन का अंत मंगलवार सुबह पांच बजे हुआ, जब गांव से करीब दो किलोमीटर दूर एक गन्ने के खेत में बच्चे का शव मिला। दृश्य इतना दर्दनाक था कि जिसने भी देखा, उसकी रूह कांप गई। मासूम आयुष का एक पैर और दोनों हाथ भेड़िया पहले ही खा चुका था। लाश देखते ही खुशबू जोर-जोर से रोने लगीं और फिर बेहोश होकर गिर पड़ीं। गांव की महिलाओं ने पानी के छींटे मारकर उन्हें होश में लाने की कोशिश की, लेकिन जो मां अपनी आंखों के सामने अपने बच्चे को यूं खा लिया जाते देखे, उसे कैसे होश आता? परिवारवालों की चीख-पुकार और मातमी सन्नाटा पूरे गांव में फैल गया।
इस दर्दनाक हादसे की सूचना मिलते ही पुलिस और वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची। अधिकारियों ने मौके का मुआयना किया और भेड़िए की तलाश शुरू कर दी है। ग्रामीणों की मानें तो पिछले कुछ दिनों से रात के समय जानवरों की अजीब आवाजें सुनाई दे रही थीं और खेतों में पगचिह्न भी देखे गए थे, लेकिन किसी ने अंदाजा नहीं लगाया था कि ये आवाजें मौत का संकेत बनकर लौटेंगी।
मृतक बच्चा आयुष, अपनी मां के साथ उसके मायके गढ़ीपुरवा आया हुआ था। खुशबू की शादी फखरपुर थाना क्षेत्र के कोठवल कला गांव में हुई थी और वो पिछले 15 दिन से यहां रह रही थीं। अब यह मुलाकात जिंदगी की सबसे बड़ी सजा बन गई।
स्थानीय ग्रामीणों में भय और आक्रोश का माहौल है। उनका कहना है कि प्रशासन और वन विभाग को पहले ही इस दिशा में सक्रियता दिखानी चाहिए थी, क्योंकि इससे पहले भी इसी इलाके में भेड़िए द्वारा एक बच्चे को उठाकर ले जाने की घटना हो चुकी है। बावजूद इसके कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला गया, जिसका परिणाम फिर एक मासूम की जान के रूप में सामने आया।
अब गांव में मातम पसरा है, हर घर में सन्नाटा है और हर मां की आंखों में डर। प्रशासन के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती है – भेड़िए को पकड़ना और ग्रामीणों में दोबारा सुरक्षा का विश्वास लौटाना। लेकिन सवाल यह है कि जब तक ऐसा कोई कदम उठाया जाएगा, तब तक कहीं कोई और मासूम तो शिकार नहीं बन जाएगा?
यह घटना न केवल प्रशासन को जगाने वाली है, बल्कि समाज और मानवता को भी यह सोचने पर मजबूर करती है कि आधुनिकता की दौड़ में हम कितने असुरक्षित होते जा रहे हैं। ममता की गोद को मौत की दस्तक से बचाने के लिए हमें जल्द ही ठोस उपाय करने होंगे। नहीं तो ऐसे हादसे संवेदनाओं को रुलाते रहेंगे, और मां की गोद से बच्चों को छीनने वाले यह खूंखार साए फिर लौटते रहेंगे।
सौजन्य: न्यूज रिपोर्ट