Sat, 17 May 2025 21:47:59 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
दिल्ली: राजधानी दिल्ली के पहाड़गंज इलाके में शनिवार की सुबह उस समय मातम पसर गया जब अराकाशन रोड स्थित कृष्णा होटल के पास बेसमेंट निर्माण के दौरान एक निर्माणाधीन दीवार अचानक भरभराकर गिर पड़ी। यह हादसा उस समय हुआ जब इलाके में तेज बारिश हो रही थी, जिससे दीवार की नींव कमजोर हो गई थी। इस हादसे में तीन लोगों की दर्दनाक मौत हो गई, जबकि एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गया, जिसे तत्काल अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
यह हादसा सुबह लगभग 6:20 बजे हुआ, जब PCR को सूचना मिली कि पहाड़गंज के कृष्णा होटल के पास निर्माण स्थल पर दीवार गिर गई है और लोग मलबे में दबे हुए हैं। सूचना मिलते ही दिल्ली फायर सर्विस की चार दमकल गाड़ियां, राहत और बचाव दल के साथ घटनास्थल पर पहुंचीं और तेजी से मलबा हटाने का काम शुरू किया गया। मौके पर मौजूद लोगों की मदद से बचाव कार्य में तेजी लाई गई और मलबे में दबे चार लोगों को बाहर निकाला गया।
मृतकों की पहचान मुंगेर निवासी प्रभु (65), निरंजन (40) और आजमगढ़, उत्तर प्रदेश निवासी रोशन (35) के रूप में हुई है। प्रभु ठेकेदार के रूप में बेसमेंट निर्माण कार्य की देखरेख कर रहे थे, जबकि निरंजन और रोशन उनके सहयोगी कर्मचारी थे। हादसे में घायल हुए 35 वर्षीय छुट्टन, जो मुंगेर के ही रहने वाले हैं, को CATs एम्बुलेंस की मदद से नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी हालत गंभीर बनी हुई है और डॉक्टरों की निगरानी में उनका इलाज जारी है।
स्थानीय लोगों के अनुसार, इलाके में पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश के कारण जमीन पहले से ही भीगी हुई थी। दीवार की नींव शायद इस जलभराव और दबाव को सह नहीं पाई और अचानक भरभराकर गिर गई। हादसे की आवाज इतनी तेज थी कि आसपास के लोग सहम गए और कुछ ही मिनटों में बड़ी संख्या में स्थानीय लोग मौके पर जमा हो गए। लोग अपनी आंखों से देख रहे थे कि कैसे मजदूरों का जीवन एक पल में मलबे के नीचे दब गया।
प्रशासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल जांच के आदेश दे दिए हैं। निर्माण कार्य के दौरान सुरक्षा मानकों की अनदेखी की गई थी या नहीं, इसको लेकर भी जांच की जा रही है। शुरुआती जानकारी के अनुसार, बेसमेंट निर्माण के दौरान साइट पर किसी भी प्रकार का मजबूत सुरक्षा घेरा नहीं लगाया गया था और न ही बारिश के कारण काम को रोका गया था, जो इस हादसे का कारण बन सकता है।
बचाव अभियान अभी भी जारी है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कहीं और कोई मलबे में फंसा न हो। NDRF और स्थानीय प्रशासन के अधिकारी भी घटनास्थल पर पहुंचे हैं और पूरे क्षेत्र की घेराबंदी कर दी गई है। पुलिस ने कहा है कि हादसे में ज़िम्मेदारी तय करने के बाद संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
यह हादसा सिर्फ एक निर्माण कार्य की लापरवाही नहीं बल्कि उन मजदूरों की बेबसी और असुरक्षा का आइना भी है जो अपनी रोज़ी-रोटी के लिए जान हथेली पर रख कर काम करते हैं। प्रभु, जो अपने परिवार का सहारा थे, अब नहीं रहे। निरंजन और रोशन के घरों में भी मातम पसरा हुआ है। उनके बच्चों की आंखों में अब केवल सवाल हैं। क्या हमारे पिता की जान की कोई कीमत नहीं थी?
यह घटना एक बार फिर से हमारे सामने यह सवाल खड़ा करती है कि क्या निर्माण स्थलों पर काम करने वाले श्रमिकों की सुरक्षा को लेकर हम उतने सजग हैं जितना होना चाहिए? क्या मानवीय जीवन से ज्यादा निर्माण की गति और मुनाफा महत्वपूर्ण हो गया है?
सरकार और स्थानीय प्रशासन को अब सिर्फ जांच तक सीमित न रहकर यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में ऐसा कोई हादसा न हो। हर निर्माण स्थल पर सुरक्षा मानकों का सख्ती से पालन हो, बारिश या अन्य प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में निर्माण कार्य रोका जाए और श्रमिकों के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपकरण मुहैया कराए जाएं।
दिल्ली के पहाड़गंज में हुआ यह हादसा भले ही एक स्थान पर घटा हो, लेकिन इसकी गूंज पूरे देश में उन करोड़ों निर्माण मजदूरों के परिवारों तक पहुंचनी चाहिए जो हर दिन इसी डर के साए में काम करते हैं। कि कहीं अगली बार मलबा उनके ऊपर न गिरे।