अयोध्या: राम मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास का निधन, शोक में डूबी अयोध्या

राम मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास, जो रामलला के प्रति अपनी अटूट भक्ति के लिए जाने जाते थे, का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया, जिससे अयोध्या में शोक की लहर छा गई।

Wed, 12 Feb 2025 11:12:12 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

अयोध्या: राम मंदिर के मुख्य पुजारी और रामलला के प्रति अगाध भक्ति रखने वाले सत्येंद्र दास का निधन हो गया है। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे और उनका इलाज चल रहा था। उनके निधन से अयोध्या सहित पूरे देश में शोक की लहर है। सत्येंद्र दास ने राम मंदिर आंदोलन के दौरान अहम भूमिका निभाई थी और बाबरी विध्वंस के समय रामलला की मूर्ति को सुरक्षित बाहर निकालने में उनका योगदान अविस्मरणीय रहा।

सत्येंद्र दास ने अपने जीवन की शुरुआत एक शिक्षक के रूप में की थी। लेकिन रामलला के प्रति उनकी अटूट आस्था ने उन्हें शिक्षक से पुजारी बना दिया। वह राम मंदिर आंदोलन के दौरान रामलला के प्रमुख पुजारी के रूप में उभरे और उनकी सेवा में जीवनभर लगे रहे। उनकी भक्ति और समर्पण ने उन्हें लाखों भक्तों के बीच विशेष स्थान दिलाया।

6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद के विध्वंस के समय सत्येंद्र दास ने रामलला की मूर्ति को गोद में लेकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया था। यह घटना उनके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पल थी, जिसने उन्हें इतिहास का हिस्सा बना दिया। उनके इस साहसिक कदम ने उन्हें राम भक्तों के बीच एक नायक का दर्जा दिलाया।

सत्येंद्र दास ने अपने जीवन में राम मंदिर के निर्माण का सपना देखा था। उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर के लिए लंबे समय तक संघर्ष किया और अंततः उनका यह सपना पूरा होते देखा। 5 अगस्त 2020 को राम मंदिर के भूमि पूजन के समय वह मौजूद थे और उन्होंने इस ऐतिहासिक पल को अपनी आंखों से देखा।

सत्येंद्र दास के निधन की खबर से अयोध्या में शोक की लहर है। उनके भक्त और स्थानीय निवासी उनके घर पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं। राम मंदिर ट्रस्ट ने भी उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। ट्रस्ट के सदस्यों ने कहा कि सत्येंद्र दास का योगदान अमूल्य है और उनकी स्मृति हमेशा राम मंदिर के इतिहास में जीवित रहेगी।

सत्येंद्र दास का अंतिम संस्कार आज अयोध्या में किया जाएगा। उनके परिवार और राम मंदिर ट्रस्ट ने इसकी तैयारी कर ली है। उनके निधन से राम भक्तों के साथ-साथ पूरा देश शोक में डूब गया है।

सत्येंद्र दास का जीवन रामलला की सेवा और भक्ति का प्रतीक था। उनके निधन से राम मंदिर आंदोलन के एक युग का अंत हो गया है, लेकिन उनकी विरासत हमेशा अयोध्या और राम भक्तों के दिलों में जीवित रहेगी।

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