अंबेडकरनगर: झुग्गी में लगी आग, बच्ची ने जान पर खेलकर बचाई किताबें

अंबेडकरनगर के अरई गांव में अवैध झुग्गियों को गिराने के दौरान एक झोपड़ी में आग लग गई। एक छोटी बच्ची ने अपनी जान जोखिम में डालकर अपनी किताबें बचाई, जिसकी बहादुरी ने सबको भावुक कर दिया।

Tue, 25 Mar 2025 13:35:09 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA

अंबेडकरनगर: अरई गांव की संकरी गलियों में धूल और धुएं के बादल उठ रहे थे। प्रशासन की टीम अवैध झोपड़ियों को गिराने पहुंची थी। लोग अपने आशियानों को टूटते हुए बेबसी से देख रहे थे। इसी बीच अचानक एक झोपड़ी में आग लग गई, जिससे भगदड़ मच गई। पुलिस और स्थानीय लोग आग बुझाने में जुटे ही थे कि तभी एक नन्ही बच्ची की हिम्मत ने सभी को स्तब्ध कर दिया।

बच्ची की हिम्मत ने लोगों को किया भावुक

तेज़ लपटों के बीच, जब कोई झोपड़ी के पास जाने की हिम्मत नहीं कर रहा था, तभी एक छोटी बच्ची अचानक दौड़ पड़ी। पुलिसवाले कुछ समझ पाते इससे पहले ही वह आग से घिरी अपनी झोपड़ी में घुस गई। वहां मौजूद लोगों की सांसें थम गईं। प्रशासन के अधिकारी और पुलिसकर्मी चिल्लाने लगे, लेकिन बच्ची की हिम्मत अडिग थी। कुछ ही सेकंड बाद, वह अपने स्कूल बैग और किताबें सीने से लगाकर बाहर निकली। चेहरे पर धुएं की कालिख थी, लेकिन आंखों में चमक और संतोष था, मानो अपनी सबसे कीमती चीज़ बचा लाई हो।

गरीबी की बेड़ियों में लिपटी शिक्षा की अलख

बच्ची की इस दिलेरी को देखकर वहां मौजूद हर किसी की आंखें नम हो गईं। कई लोगों को यह सोचकर झटका लगा कि इतनी कम उम्र में कोई अपनी किताबों के लिए जान जोखिम में डाल सकता है। बच्ची को डर इस बात का था कि अगर उसकी किताबें जल गईं, तो वह आगे पढ़ाई कैसे कर पाएगी? उसके परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वे दोबारा किताबें खरीद सकें।

इस घटना का वीडियो जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, लोगों ने बच्ची की हिम्मत की जमकर सराहना की। इस वीडियो को समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने भी साझा किया और सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने लिखा,

अंबेडकरनगर में प्रशासनिक अधिकारी झोपड़ियां गिरा रहे हैं और एक बच्ची अपनी किताबें बचाने के लिए जान की बाज़ी लगा रही है। ये वही भाजपाई लोग हैं, जो बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा देते हैं।

बच्ची की मदद को आगे आया समाज

इस बहादुरी भरे कदम ने हर किसी का दिल जीत लिया। जब स्थानीय स्कूल प्रबंधक राजित राम यादव को इस घटना की जानकारी मिली, तो उन्होंने तुरंत घोषणा कर दी कि वह बच्ची की 12वीं तक की शिक्षा और रहने की पूरी व्यवस्था निःशुल्क करेंगे। इसके अलावा, समाजवादी पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष रामशकल यादव ने भी मदद की पेशकश की।

बच्ची की हिम्मत बनी प्रेरणा

यह घटना एक तरफ प्रशासन की बेरुखी दिखाती है, तो दूसरी तरफ उस नन्ही बच्ची की जिजीविषा, जिसने शिक्षा को सबसे ऊपर रखा। यह सिर्फ एक बच्ची की कहानी नहीं, बल्कि उस हर बच्चे की तस्वीर है जो कठिनाइयों के बावजूद अपने सपनों को टूटने नहीं देना चाहता।

आज अंबेडकरनगर की इस नन्ही लड़की का जज़्बा पूरे देश में गूंज रहा है। उसकी हिम्मत उन सभी के लिए प्रेरणा है जो संघर्षों से घबराते हैं। यही हौसला अगर हर बच्चे में हो, तो कोई भी विपरीत परिस्थिति उनके सपनों को कुचल नहीं सकती।

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