Fri, 04 Apr 2025 16:26:53 - By : SANDEEP KR SRIVASTAVA
नोएडा: बिसरख कोतवाली क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले पुराना हैबतपुर गांव में शुक्रवार की सुबह एक ऐसी दिल दहला देने वाली खबर आई, जिसने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया। घरेलू कलह से टूट चुकी एक मां ने अपने जीवन का अंत अपने दो मासूम बच्चों के साथ कर लिया।
मृतकों की पहचान 35 वर्षीय आरती, उसकी 6 वर्षीय बेटी और 5 वर्षीय बेटे के रूप में हुई है। पुलिस के अनुसार आरती ने घर की ऊपरी मंजिल पर रेलिंग से दुपट्टे का फंदा बनाकर पहले अपने बच्चों को और फिर खुद को लटका लिया। यह मंजर जितना अविश्वसनीय है, उतना ही पीड़ादायक भी।
पल भर में उजड़ गया पूरा संसार
बताया जा रहा है कि आरती का अपने पति से किसी बात को लेकर विवाद हुआ था। यह कोई नया झगड़ा नहीं था, पर शायद इस बार की चिंगारी ने अंदर ही अंदर सब कुछ जला डाला। झगड़े के बाद आरती ने खामोशी से अपने दोनों बच्चों को साथ लिया और ऊपर चली गई। घर में बाकी सदस्य मौजूद थे, मगर किसी को भनक तक नहीं लगी कि आरती अंदर ही अंदर इतनी टूटी हुई थी।
कुछ ही घंटों बाद, जब परिवारवालों ने आरती और बच्चों को तलाशा, तो दृश्य देखकर उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। तीनों को तुरंत एक निजी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
पूरे गांव में पसरा मातम
इस घटना के बाद गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है। हर चेहरा ग़मगीन, हर आंख नम है। मोहल्ले की औरतें कहती हैं, आरती बहुत शांत स्वभाव की थी। बच्चों से बहुत प्यार करती थी। कौन सोच सकता है कि वो ऐसा कदम उठा सकती है। वहीं पुरुष वर्ग स्तब्ध हैं। एक मां, जो दुनिया की सबसे मजबूत मानी जाती है, वो भी इस हद तक टूट सकती है, यह सोचकर हर कोई सहम गया है।
पुलिस की जांच जारी, सभी पहलुओं पर हो रही पड़ताल
कोतवाली प्रभारी का कहना है कि यह मामला प्रथम दृष्टया आत्महत्या का लग रहा है, लेकिन जांच के दौरान हर कोण से पड़ताल की जा रही है। परिजनों और रिश्तेदारों से पूछताछ जारी है ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या आरती किसी मानसिक तनाव में थी या उसे आत्महत्या के लिए उकसाया गया था।
पुलिस ने तीनों शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट रूप से कहा जा सकेगा कि मौत के पीछे असल वजह क्या थी।
सवाल छोड़ गई आरती की चुप्पी
आरती अब नहीं है। उसके मासूम बच्चों की खिलखिलाहट भी इस संसार से विदा हो चुकी है। मगर उनकी चुप्पी एक सवाल छोड़ गई है, क्या हम अपने घरों में एक-दूसरे की भावनाओं को समझने की कोशिश करते हैं। क्या एक मां को इतनी दर्द के बीच भी कोई सहारा नहीं मिल सकता।
यह सिर्फ एक खबर नहीं, समाज के उस हिस्से की तस्वीर है, जिसे हम अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। जहां एक स्त्री, एक मां, एक इंसान अपने दर्द को भीतर ही भीतर जीती है, और जब सहनशक्ति जवाब दे जाती है, तो ऐसा अंत होता है, जिसे शब्दों में बयान करना भी मुश्किल हो जाता है।
यूपी खबर की अपील
अगर आपके आसपास कोई मानसिक या पारिवारिक तनाव से गुजर रहा है, तो उसके साथ संवाद करें। उसे सुनें, समझें, और समय रहते मदद करें। एक छोटा सा साथ, एक छोटी सी कोशिश किसी का पूरा जीवन बचा सकती है।